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म्युकर मायकोसिस का नया संकट

 मधुमेह पीडित कोविड संक्रमितों के लिए ज्यादा खतरा

  •  रोग प्रतिरोधक क्षमता घटने से फंगस को फैलने का मिल रहा मौका

  •  नेत्र व ईएनटी विशेषज्ञों ने जतायी राय, स्वास्थ्य की ओर विशेष ध्यान देने की दी सलाह

अमरावती/प्रतिनिधि दि.21 – इस समय कोविड संक्रमण का खतरा जारी रहने के साथ ही म्युकर मायकोसिस नामक बीमारी का संकट भी पैदा हो गया है, जो मधुमेह पीडित रहनेवाले कोविड संक्रमित मरीजों को अपना शिकार बना रहा है. ब्लैक फंगस के नाम से जाना जाता म्युकर मायकोसिस का संक्रमण इतना अधिक खतरनाक होता है कि, इसकी वजह से संक्रमित मरीज की एक अथवा दोनों आंख ऑपरेशन के जरिये निकालनी पड सकती है. साथ ही यदि यह फंगस मस्तिष्क में प्रवेश कर जाये, तो मरीज की जान बचाना भी मुश्किल होता है. यह फंगस नाक के जरिये शरीर में प्रवेश करता है और सायनस में घर बनाते हुए आंखों व मस्तिष्क की ओर आगे बढता है. इस दौरान यह चेहरे के भीतर रहनेवाली जबडे की तमाम हड्डियों को खाकर नष्ट कर देता है. इस फंगस की भयावहता का अंदाजा लगाया जा सकता है. साथ ही सबसे खतरनाक बात यह है कि, इस फंगस की चपेट में आने के बाद यदि समय रहते इसकी ओर ध्यान नहीं दिया गया, तो ऑपरेशन ही इसका एकमात्र इलाज है. यह ऑपरेशन काफी जटील रहने के साथ-साथ बेहद महंगा भी होता है. साथ ही मरीज को बचाने हेतु लगनेवाली दवाईयां भी काफी महंगी होती है. इस बीमारी के इलाज में करीब 4 से 5 लाख रूपये आसानी से खर्च हो जाते है. इसके बावजूद भी मरीज की जान बचने की कोई गारंटी नहीं होती है.
इस बीमारी को लेकर मिल रही खबरों और इसकी भयावहता को देखते हुए दैनिक अमरावती मंडल ने शहर के वरिष्ठ चिकित्सकों तथा नेत्ररोग व ईएनटी विशेषज्ञों से इस बारे में चर्चा की और इस बीमारी के लक्षणों, परिणाम व इलाज के बारे में आवश्यक जानकारी प्राप्त की. साथ ही इस बीमारी से बचने हेतु क्या कदम उठाये जाये और कौनसे उपाय किये जाये, इसे लेकर भी बातचीत की. जिसमें अधिकांश विशेषज्ञों का कहना रहा कि, म्युकर मायकोसिस यानी ब्लैक फंगस हम सबके बीच काफी पहले से मौजूद है और यह कोविड वायरस की तरह कोई नई बीमारी नहीं है. किंतु अब तक इस बीमारी का कोई खास असर नहीं देखा जाता था. वहीं इन दिनों कोविड से संक्रमित होनेवाले मरीजों, विशेषकर मधुमेह यानी डायबिटीज से पीडित मरीजों तथा कोविड संक्रमण के दौरान स्टेरायड के अत्याधिक प्रयोग से रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जानेवाले मरीजों के इस बीमारी की चपेट में आने का खतरा काफी अधिक बढ गया है.

 

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जिन मरीजों को कोविड संक्रमित होने के पहले से शुगर की बीमारी है अथवा जिन कोविड संक्रमित मरीजों पर कोविड इलाज के दौरान स्टेरायड का प्रयोग अधिक प्रमाण में किया गया है, उनके म्युकर मायकोसीस की चपेट में आने का खतरा काफी अधिक होता है. अत: ऐसे मरीजों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है. साथ ही लक्षण दिखाई देते ही उन्हें तुरंत ईएनटी विशेषज्ञ डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, ताकि समय रहते इस बीमारी का इलाज किया जा सके. इस बीमारी के चलते में समय सबसे महत्वपूर्ण फैक्टर है, क्योंकि इस फंगस का फैलाव शरीर में बडी तेजी से होता है और यह देखते ही देखते आंखों व मस्तिष्क तक फैल जाता है. जिसके बाद केवल ऑपरेशन ही एकमात्र रास्ता बचता है. किंतु यह ऑपरेशन और इस बीमारी में लगनेवाली दवाईयां काफी महंगे होते है और इसमें करीब 4 से 5 लाख रूपये का खर्च आ सकता है. इसके बावजूद भी मरीज के बचने की कोई निश्चित गारंटी नहीं होती. अत: बेहद जरूरी है कि, हर कोई अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर रखने पर ध्यान दें.
– डॉ. प्रफुल्ल कडू
वरिष्ठ स्वास्थ्य विशेषज्ञ

 

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म्युकर मायकोसिस की बीमारी किसी भी मरीज को घर पर नहीं होती, बल्कि यह उसे कोविड अस्पतालों से दान में मिल रही है. जिसके लिए काफी हद तक डॉक्टरों की अज्ञानता व लापरवाही जिम्मेदार है. म्युकर मायकोसिस से संक्रमित 80 फीसदी मरीज डायबिटीज से पीडित है और 20 प्रतिशत मरीज ऐसे है, जिन पर कोविड अस्पतालों में स्टेरॉयड का अत्याधिक प्रयोग हुआ है. इसके साथ ही कोविड संक्रमित रहने के दौरान गंभीर स्थितिवाले जिन मरीजों को ऑक्सिजन लगाया जाता है, तो उससे पहले ऑक्सिजन सिलेंडर के साथ जुडे रहनेवाले ऑक्सिजन चेंबर को स्टरलाईज नहीं किया जाता, और उस चेंबर में रहनेवाले पानी को भी नहीं बदला जाता, जबकि ऐसा करना बेहद जरूरी होता है. इस वजह से भी मरीज की नाक के जरिये म्युकर मायकोसिस का फंगस उसके शरीर में प्रवेश कर सकता है. जिसका असर 6 से 8 सप्ताह के बाद दिखाई देता है. ऐसे में बेहद जरूरी है कि कोविड अस्पतालों में भी इस बात का ख्याल रखा जाये कि, आगे चलकर कोई भी मरीज म्युकर मायकोसिस संक्रमण की चपेट में न आये.
– डॉ. अविनाश चौधरी
वरिष्ठ चिकित्सक व नेफ्रॉलॉजीस्ट

 

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यह एक ऐसी बीमारी है, जिसका इलाज कोई एक अकेला डॉक्टर नहीं कर सकता, बल्कि इसमें ईएनटी, नेत्ररोग तथा दंत व मुखशल्य विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम को साथ मिलकर काम करना पडता है. इस बीमारी से बचने का सबसे बेहतरीन तरीका यह है कि, कोविड संक्रमण के दौरान मरीज की शुगर लेवल बढनी नहीं चाहिए. ऐसे में रोजाना ही ब्लड शूगर की जांच होनी चाहिए. साथ ही मरीज को भरती होते ही स्टेरॉयड नहीं दिया जाना चाहिए. इस बीमारी से बचाव ही इसका सबसे बेहतरीन इलाज है. साथ ही अगर बावजूद इसके इस बीमारी के लक्षण दिखाई देते है, तो मरीज ने बिना समय गवाये अपनी जांच करानी चाहिए, ताकि समय रहते इलाज शुरू करते हुए इस फंगस को आगे फैलने से रोका जा सके.
– डॉ. क्षितीज पाटील
ईएनटी विशेषज्ञ

 

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कोविड मुक्त होने के बाद जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, उन पर इस फंगस के हमले का खतरा काफी अधिक होता है. ऐसे में कोविड मुक्त हो चुके मरीजों, विशेषकर मधुमेह से पीडित रहनेवाले मरीजों ने अपने स्वास्थ्य की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए और म्युकर मायकोसिस के लक्षण दिखाई देते ही तुरंत अपनी जांच करवानी चाहिए, अन्यथा यह खतरनाक रूप से सकता है. साथ ही सरकार ने जिस तरह कोविड के इलाज हेतु दरें तय की है, उसी तरह म्युकर मायकोसिस के इलाज, टेस्टिंग की दरें तय की जानी चाहिए और इस बीमारी में लगनेवाली दवाईयों को जीएसटी के दायरे से मुक्त किया जाना चाहिए. साथ ही अमरावती के ईएनटी विशेषज्ञों द्वारा इस बीमारी का कम से कम दरों में इलाज किये जाने पर विचार किया जा रहा है.
डॉ. नीरज मुरके
ईएनटी विशेषज्ञ

 

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वातावरण में हमेशा से मौजूद रहनेवाला यह फंगल इंफेक्शन किसी भी सामान्य व्यक्ति को नहीं होता, बल्कि कोविड संक्रमित होने के बाद जिन लोगोें की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, उन्हें यह इंफेक्शन होने का खतरा होता है. ऐसे में कोविड संक्रमण की चपेट में आकर कोविड मुक्त हो चुके सभी लोगों ने अपने स्वास्थ्य की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए, क्योेंकि इस ब्लैक फंगस की चपेट में आने के बाद स्थिति बेहद खतरनाक हो सकती है और इसका इलाज भी काफी महंगा है. साथ ही जान जाने का भी खतरा होता है. अत: इससे बचे रहना ही सबसे बेहतरीन रास्ता है.
डॉ. अनिल धामोरीकर
नेत्र रोग विशेषज्ञ

 

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धूल एवं नमीवाली जगह पर म्युकर मायकोसिस नामक ब्लैक फंगस हमेशा ही रहता है और यह इंसानी शरीर पर तभी हमला करता है, जब किसी इंसान की रोग प्रतिकारक क्षमता कम हो जाती है. इन दिनों कोविड संक्रमित मरीजों के इलाज हेतु स्टेरॉयड, टोसिलीजुमैब व रेमडेसिविर जैसी दवाईयों का बडे पैमाने पर प्रयोग किया जा रहा है. इन दवाईयों से रोग प्रतिकारक क्षमता के घटने का खतरा होता है और इसमें से रेमडेसिविर की वजह से शुगर लेवल बढने की संभावना होती है. साथ ही कई मरीजों को ऑक्सिजन व आयरन भी दिया जाता है. ये सभी स्थितियां ब्लैक फंगस के लिए बेहद पोषक है और वह नाक के भीतरी हिस्से में चिपककर पनपना शुरू होता है. यह फंगस एक बार पनप गया तो बडी तेजी से फैलता है और इसमें हड्डियों को खा जाने की ताकत होती है. साथ ही यह सायनस, ऑरबिट व मस्तिष्क में प्रवेश कर जाता है. जिसके बाद ऑपरेशन ही एकमात्र इलाज होता है. ऐसे में इसका समय रहते इलाज करना बेहद जरूरी है.
– डॉ. मनीष तोटे
नेत्ररोग विशेषज्ञ

 

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  •  जिलाधीश कार्यालय में हुई विशेषज्ञों की बैठक

इन दिनों जिस रफ्तार से कई कोविड मुक्त हो चुके मरीज म्युकर मायकोसीस के संक्रमण की चपेट में आ रहे है, उसे सरकार व प्रशासन ने भी बेहद गंभीरता से लिया है. यही वजह है कि, गत रोज स्थानीय जिलाधीश कार्यालय में शहर के कई नेत्र रोग विशेषज्ञों व ईएनटी विशेषज्ञों की एक संयुक्त बैठक हुई. जिसमें इस बीमारी के निदान व बचाव को लेकर आवश्यक विचार-विमर्श किया गया. इस बैठक में जिलाधीश शैलेश नवाल, जिप के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अविश्यांत पांडा, मनपा आयुक्त प्रशांत रोडे, शहर के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. प्रफुल्ल कडू व डॉ. बबन बेलसरे, आयएमए की अमरावती शाखा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अनिल रोहनकर, अध्यक्ष डॉ. दिनेश ठाकरे, सचिव डॉ. संदीप दानखेडे, डॉ. अजय डफले, डॉ. जयश्री नांदूरकर, डॉ. क्षितीज पाटील, डॉ. नीरज मुरके, डॉ. स्वप्नील शर्मा आदि उपस्थित थे. इस बैठक में म्युकर मायकोसीस के लक्षणों, जांच व इलाज सहित इससे बचने के उपायों पर विस्तारपूर्वक चर्चा की गई. साथ ही अब कोविड संक्रमित मरीजों पर स्टेरायड का अनावश्यक प्रयोग टालने का निर्देश जिलाधीश द्वारा जारी किया गया. साथ ही उन्होंने स्टेरायड की बिक्री पर नियंत्रण रखने का निर्देश अन्न व औषधी प्रशासन को दिया. इसके अलावा सभी नागरिकों से आवाहन किया कि, यदि उनमें म्युकर मायकोसीस से संबंधित कोई भी लक्षण दिखाई देते है, तो वे तुरंत ही ईएनटी विशेषज्ञ से संपर्क करते हुए अपनी जांच करवाये.

 

  • ये है बीमारी के लक्षण

सिर दुखना, चेहरे पर सूजन आना, बुखार आना, मुंह और दांत में मवाद होना, दांत हिलना, जबडे की हड्डियों में दर्द होना, मसूडों में सूजन आना और उनसे खून निकलना, सायनस में खून के थक्के जमना, आंखों का लाल होना, आंखों में सूजन आने के साथ ही आंखों की हलचले कम होना, अस्पष्ट दिखाई देना, चेहरे की त्वचा काली पडना, नाक में काली पपडी जमना तथा दांत निकालने के बाद जख्म नहीं भरना आदि को ब्लैक फंगस यानी म्युकर मायकोसिस के लक्षण माना जा सकता है और यह लक्षण दिखाई देने पर तुरंत ही दंत व मूखरोग विशेषज्ञ तथा ईनएनटी विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए.

  •  जांच व इलाज

डॉक्टरों द्वारा मरीज की योग्य जानकारी लेना आवश्यकता होता है. जिसमें कोविड संक्रमण के दौरान मरीज पर प्रयोग किये गये स्टेरायड की विस्तृत जानकारी ली जानी चाहिए. रक्त जांच, सिटी स्कैन, इंडोस्कोपी व बायोप्सी के जरिये म्युकर मायकोसिस की जांच करना बेहद आसान है. हर एक कोविड संक्रमित मरीज को म्युकर मायकोसिस की बीमारी नहीं होती. किंतु बावजूद इसके कोविड मुक्त होने के बाद सभी मरीजों ने अपने मुंह की साफसफाई व स्वच्छता पर ध्यान देना जरूरी है. साथ ही कोविड मुक्त होने के बाद भी मास्क का आवश्यक तौर पर प्रयोग करना चाहिए. इसके अलावा कोविड संक्रमित होने से पहले या संक्रमित होने के बाद ब्लड शूगर की बीमारी का सामना करनेवाले मरीजों ने कोविड मुक्त होने के बाद अगले 10 से 12 दिनों के भीतर किसी ईएनटी विशेषज्ञ के पास जाकर म्युकर मायकोसिस से संबंधित जांच करवानी चाहिए, ताकि संभावित खतरे को टाला जा सके. क्योंकि यदि उनमें ब्लैक फंगस ने अपना घर बना लिया है, तो उसे तत्काल दवाईयों के जरिये खत्म किया जाये. अन्यथा यह फंगस बडी तेजी से फैलता है और समय पर इसका निदान नहीं किये जाने पर बाद में महंगे इलाज व ऑपरेशन के अलावा अन्य कोई पर्याय शेष नहीं रहता.

  • हकीकत में क्या है ‘म्युकर मायकोसिस’

म्युकर मायकोसिस नामक फंगस की वजह से यह संक्रमण होता है. यह फंगस पर्यावरण तथा हर इन्सानी शरीर में प्राकृतिक रूप से अस्तित्व में रहता है. किंतु जब किसी व्यक्ति की रोग प्रतिकारक क्षमता कम होती है, तो यह फंगस अपना असर दिखाना शुरू करता है और सांस के जरिये शरीर में प्रवेश करते हुए सायनस व फुफ्फुस पर हमला करता है. इससे पहले किडनी व कैन्सर जैसी बीमारियों से पीडित कुछ मरीजों पर म्युकर मायकोसीस का असर देखा जाता था. किंतु इसका प्रमाण भी बेहद अत्यल्प था. पर इन दिनों डायबिटीज से पीडित रहनेवाले कोविड संक्रमित मरीजों के इस बीमारी की चपेट में आने का प्रमाण बढ गया है, जो बेहद चिंता का विषय है.

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