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भुमि अभिलेख में काम बंद की समस्या कायम

नागरिकों को हो रही बडे पैमाने पर दिक्कते

  • खरीदी-बिक्री पंजीयन व फेरफार का काम रूका

  • जनसमस्याओं की ओर जनप्रतिनिधियों का कोई ध्यान नहीं

अमरावती प्रतिनिधि/दि.१ – स्थानीय जिलाधीश कार्यालय परिसर में स्थित भुमि अभिलेख कार्यालय के कर्मचारियोें द्वारा पिछले आठ दिनों से उपअधीक्षक के तबादले की मांग को लेकर काम बंद आंदोलन किया जा रहा है. जिसकी वजह से आम नागरिकों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड रहा है, क्योंकि इस कार्यालय में खरीदी-बिक्री व्यवहारों का पंजीयन होने के साथ ही जमीन के फेरफार से संबंधित काम होते है और आठ दिनों से चल रही हडताल की वजह से यहां पर पूरा कामकाज ठप्प पडा हुआ है. ऐसे में अब आम नागरिकों में इस हडताल को लेकर रोष व संताप की लहर दिखाई देने लगी है. साथ ही सर्वाधिक गुस्सा इस मामले को लेकर जनप्रतिनिधियों की चुप्पी के संदर्भ में है. वहीं दूसरी ओर उपअधीक्षक द्वारा कर्मचारियों के सामूहिक अवकाश का आवेदन खारिज कर दिया गया है. ऐसे में अब यह संकट और भी गहराने की आशंका दिखाई दे रही है. बता दें कि, भुमि अभिलेख कार्यालय के कर्मचारियों ने विगत २२ सितंबर से उपअधीक्षक के खिलाफ काम बंद आंदोलन शुरू किया है. कर्मचारियों का आरोप है कि, उपअधीक्षक उनके साथ अपमानजनक व्यवहार करते है. अत: उपअधीक्षक का यहां से तबादला किया जाना चाहिए. लेकिन इस आंदोलन की वजह से अब आम लोग प्रभावित होने लगे है. न्नशे, भूमापन, खेत व घरों की नापजोख सहित अन्य कई काम प्रलंबित पडे है और पुरानी फाईलों की ढेर में अब और नई फाईले भी जुडने लगी है. सर्वाधिक उल्लेखनीय यह है कि, इस मामले में अधिकारी व कर्मचारियों में से कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं है. उप अधीक्षक का कहना है कि, वे सरकारी कामकाज को लेकर ही कर्मचारियों से सवाल-जवाब करते है, वहीं कर्मचारी भी अपने भुमिका पर अडे हुए है. लेकिन इन दोनों पक्षों के चक्कर में जिले की आम जनता का सैंडविच हो गया है और वे सोच रहे है कि, आखिर वे अपनी कैफियत किससे कहे.

बॉ्नस, फोटो विधायक सुलभा खोडके हम इस संदर्भ में राजस्व मंत्री बालासाहब थोरात से चर्चा करेंगे और यद्यपि काम बंद आंदोलन चल रहा है, लेकिन इसकी वजह से आम नागरिकों को कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए. हमारे पास इन दिनों काफी शिकायतें आ रही है और हम मामले का समाधान करने का प्रयास कर रहे है. – सुलभा संजय खोडके विधायक, अमरावती

बॉ्नस, फोटो डॉ. नितीन व्यवहारे यह भुमि अभिलेख विभाग का कार्यालयीन अंतर्गत विषय है, और इस पर उन्हें ही रास्ता निकालना होगा. भुमि अभिलेख का अंतर्गत विषय रहने की वजह से हम इसमें कुछ भी नहीं कर सकते है. – डॉ. नितीन व्यवहारे निवासी उपजिलाधीश

बॉ्नस * कोरोना, लॉकडाउन और अब हडताल उल्लेखनीय है कि, सभी सरकारी कार्यालयों सहित भुमि अभिलेख कार्यालय में भी कोरोना की वजह से कामकाज प्रभावित हुआ. जिसके बाद लॉकडाउन जारी होने के चलते कर्मचारियों की उपस्थिति को घटाकर आधे से भी कम कर दिया गया. साथ ही लॉकडाउन काल के दौरान सभी सरकारी कार्यालयों में कामकाज न के बराबर हुआ. वहीं अब अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के बाद भुमि अभिलेख कार्यालय में उपस्थिति का प्रमाण बढा है, लेकिन पिछले करीब आठ-दस दिनों से इस विभाग में पूरी तरह से सन्नाटा छाया हुआ है और कामकाज पूरी तरह से ठप्प है.

कर्मचारियों ने अधिक्षक के पत्र को भी अनदेखा किया
बता दें कि, २२ सितंबर से काम बंद आंदोलन करनेवाले भुमि अभिलेख कार्यालय के २८ कर्मचारियों को भुमि अभिलेख जिला अधीक्षक कार्यालय से २५ सितंबर को पत्र जारी कर कारण बताओ नोटीस दी गई और तुरंत काम पर लौटने कहा गया. लेकिन इस पत्र के बाद भी कर्मचारी अपने काम पर नहीं लौटे, बल्कि उन्होंने २९ सितंबर को सामूहिक तौर पर आवेदन करते हुए व्यक्तिगत अवकाश दिये जाने की मांग की. लेकिन कार्यालय में अटके कामों के चलते कर्मचारियों के अवकाश आवेदन को नामंजूर कर उन्हें एक बार फिर काम पर हाजीर होने का पत्र दिया गया. लेकिन इसके बावजूद भी आंदोलनकारी कर्मचारी काम पर नहीं लौटे है. ऐसे में नागरिकों के प्रलंबित कामोें को निपटाने और इस कार्यालय पर बढ चुके काम के बोझ को कम करने के लिए भुमि अभिलेख जिला अधीक्षक कार्यालय से अस्थायी तौर पर दस कर्मचारियों की मांग की गई है.

मैं अपने काम से काम रखनेवाला व्यक्ति, अधिनस्थों को काम तो बताउंगा ही
इस पूरे मामले को लेकर प्रतिक्रिया देते हुए भुमि अभिलेख उपअधीक्षक अनिल फुलझेले ने बताया कि, उन्होंने विगत दिनोें ही अमरावती में भुमि अभिलेख उपअधीक्षक के तौर पर अपना पदभार स्वीकारा है और वे अपने काम से काम रखनेवाले अनुशासित व्यक्ति है. साथ ही अपने कार्यालय में कार्यालयीन कामकाज का अनुशासन लाने का प्रयास कर रहे है. जिसका कुछ कामचोर कर्मचारियों द्वारा विरोध किया जा रहा है. उपअधीक्षक फुलझेले ने बताया कि, इस कार्यालय में कई लोगोें के काम दो-तीन वर्षों से अटके पडे है, जबकि वे तमाम काम एक सप्ताह के भीतर पूरे हो जाने चाहिए थे. उन्होंने बताया कि, यदि एक दिव्यांग व्यक्ति को अपनी संपत्ति की नापजोख के लिए भुमि अभिलेख कार्यालय में सात माह तक चक्कर काटने पडते है, तो कार्यालय प्रमुख होने के नाते क्या उन्होंने संबंधित कर्मचारी से इस बारे में पूछताछ नहीं करनी चाहिए.

हडताली कर्मचारियों के खिलाफ अपराध दर्ज करो -प्रहारियों ने की जिलाधीश से मांग
वहीं दूसरी ओर प्रहार जनशक्ति पार्टी द्वारा इस मामले को लेकर जिलाधीश को ज्ञापन सौंपते हुए कहा गया कि, भुमि अभिलेख कार्यालय के कर्मचारियोें द्वारा किये जा रहे आंदोलन की वजह से आम नागरिकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड रहा है और आंदोलनकारी कर्मचारियों द्वारा अपनी व्यक्तिगत लडाई के चक्कर में आम जनता को पीसा जा रहा है. ऐसे में २२ सितंबर से काम बंद आंदोलन कर रहे कर्मचारियों का इतने दिनों का वेतन काटा जाये. साथ ही उनके खिलाफ अपराध भी दर्ज किये जाये. ज्ञापन सौंपते समय प्रहार जनशक्ति पार्टी के निलेश पानसे, गोलु पाटिल, सुधीर उगले, इम्तियाज अहमद, चंदू उगले व निलेश ठाकुर आदि उपस्थित थे.

 

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