अमरावती में हुई विश्व की दुर्लभ शस्त्रक्रिया
झेनीथ हॉस्पिटल के डॉ. नीरज राघानी ने की यह सफल शस्त्रक्रिया
अमरावती/दि.29- हृदय विकार के उपचार के लिए विख्यात रहे झेनीथ हॉस्पिटल में एक 56 वर्षीय महिला के दील की विश्व की दुर्लभ शस्त्रक्रिया सफलतापूर्वक पूर्ण की गई.
नागपुर शहर में एक 56 वर्षीय महिला का दिल निष्क्रिय हो गया था और उस पर दो दफा ओपन हार्ट सर्जरी कर उसे बदला भी गया. लेकिन किसी कारण से दोनों ऑपरेशन पूरी तरह सफल नहीं हो पाए और मरीज की परेशानी कम नहीं हुई. उसकी फिर से जांच करने पर वॉल के पास का भाग जिसे महाधमनी सायनस करते है, वह बडा होकर हृदय के भीतर के चेम्बर में फूट गया था. इस कारण वहां से छेद बढता जा रहा था. इसे वैद्यकीय शास्त्र में सायनस वलसाल्व (आरएसओवी) फूटना कहते है. अधिकांश तौर पर यह जन्मजात बीमारी है. दील के दाहिनी बाजू से यह छेद होता है और उसे यंत्र डालकर बंद किया जा सकता है. लेकिन इस मरीज ने यह छेद बायी तरफ से ओर हृदय के कृत्रिम स्थल के पास थी. इस कारण उसे दुरुस्त करना काफी कठिन था. तीसरी दफा ओपन हार्ट सर्जरी करने से डॉक्टर ने इंकार कर दिया था और मरीज भी इसके लिए तैयार नहीं था. कैथलैब मशीन और 4डी इको मशीन की सहायता से ऑपरेशन न करते हुए यह शस्त्र्रक्रिया की गई. झेनीथ हॉस्पिटल के डॉ. नीरज राघानी ने कहा कि उसके पास उपलब्ध हाय एण्ड मशीन की सहायता से यह ऑपरेशन सफल हुआ. 4डी इको मशीन जो संपूर्ण विदर्भ में केवल झेनीथ हॉस्पिटल में उपलब्ध है इस यंत्र की सहायता से हृदय के भीतरी भाग में काफी स्पष्ट रुप से देखकर समस्या पहचानकर ऑपरेशन का चरण अचूकता से करते आ सकता है. यह ऑपरेशन 4डी इको की सहायता से कोई भी छेद न करते हुए अचूकता से किया गया. इस प्रक्रिया में कोनार नामक उपकरण उस छेद में कैथरेटर की सहायता से बैठाया जाता है और छेद बंद किया जाता है. सामान्यत: ऐसे ऑपरेशन बडी संस्था में किए जाते हैं. लेकिन अत्याधुनिक तकनीक की सहायता से डॉ. राघानी ने यह शस्त्रक्रिया सफलतापूर्वक पूर्ण की. इस तरह का ऑपरेशन विश्व में पहली बार हुआ है. डॉ. राघानी उसे कॉर्डियोलॉजी जनरल में प्रकाशित करने वाले हैं.