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राज्य में रेडीरेकनर की दरें बढीं

  • नई दरों पर आज से होगा अमल

  • फैसले से रियल ईस्टेट व्यवसायियों में नाराजगी

अमरावती प्रतिनिधी/ दि.१२ – राज्य में रेडीरेकनर की दरों में औसतन १.७४ फीसद वृध्दि हुई हैं. ग्रामीण इलाके में २.८१ फीसद व प्रभाव क्षेत्र में १.८९ फीसदी, नगर पालिका, नगर पंचायत क्षेत्र में १.२९ फीसद तथा महापालिका क्षेत्र में १.२ फीसद बढोत्तरी की गई है. राज्य में सर्वाधिक पुणे जिले में ३.९१ फीसद बढोत्तरी की गई है. पीसीएमसी में ३.२, पीएमसी में २, मुंबई में ६, ठाणे में ०.४४, नासिक में ०.७४, नागपुर में ०.१, नई मुंबई में ०.९९, रायगड में ३ फीसद वृध्दि की गई है. कोरोना काल में राज्य का राजस्व ६० फीसद तक घटा है. दस्तावेज पंजीयन में ४० फीसद तक काम प्रभावित हुआ है. राज्य में रेडीरेकनर की दरें बढाये जाने के चलते रियल ईस्टेट व्यवसायियों में काफी हद तक नाराजगी व असंतोष का माहौल देखा जा रहा है. रियल ईस्टेट व्यवसायियों का मानना है कि, इस समय पहले ही कोरोना काल एवं लॉकडाउन की वजह से सारे कामकाज पूरी तरह से ठप्प है. ऐसे में सरकार की ओर से राहत दिये जाने की अपेक्षा थी, लेकिन सरकार ने रेडी रेकनर की दरें बढाकर राहत की बजाय मुसिबत बढा दी है. इसका सीधा असर व्यवसाय पर पडेगा और व्यवसाय में तेजी आने में अब थोडा और वक्त लगेगा.
बता दें कि, २४ मार्च से देश में लॉकडाउन रहने से राज्य सरकार ने नये आर्थिक वर्ष के प्रारंभ में रेडीरेकनर की दरें घोषित नहीं की थी और पिछले वित्तीय वर्ष अनुसार मुद्रांक शुल्क वसूला जा रहा है. अब शनिवार, १२ सितंबर से नई दरें लागू होंगी. जून माह में नई दरें घोषित करते समय कटौती के साथ घोषित करनी चाहिए. यह मांग की जा रही थी.

  •  क्या है रेडीरेकनर?

रेडीरेकनर क्या है, यह सवाल कईयों के मन में उमड रहा है. मूल्य दरें यानी अंग्रेजी में इसे रेडीरेकनर कहा जाता है. स्थाई व संपत्ति खरीदने के लिए इसका इस्तेमाल होता है. मूल्य दर सूची में निर्माण को सूचीबध्द कर जिला, तहसील, गांव, प्रभाव क्षेत्र, महापालिका, नगरपालिका, नगर परिषद अनुसार स्वतंत्र दर निर्धारित किये जाते हैं. पंजीयन महानिरीक्षक अथवा मूल्य नियंत्रक राजस्व प्राधिकारी की अनुमति से रेडीरेकनर के दर निर्धारित होते है. २०१६ से यह दरें १ अप्रैल से लागू होती हैं. साल २०१८-१९ में रेडीरेकनर की दरें बरकरार रखी थीं.

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  • एक हाथ से दिया, दूसरे हाथ से छिना

मौजूदा वक्त को देखते हुए सरकार से राहत मिलने की उम्मीद थी. इसके तहत सरकार ने विगत दिनों स्टैम्प ड्यूटी घटाकर राहत देने का प्रयास किया, लेकिन अब रेडीरेकनर की दरें बढाकर एक हाथ से दी गई राहत को दूसरे हाथ से छिन भी लिया. ऐसे में तो व्यापार के संभलने और व्यवहार में तेजी आने की उम्मीद नहीं की जा सकती. रियल ईस्टेट व भवन निर्माण क्षेत्र से करीब ९६ तरह के व्यवसाय जुडे होते है. यदि रियल ईस्टेट व्यवसाय में तेजी नहीं आयी, तो ये सभी व्यवसाय भी प्रभावित होंगे.
– शैलेश वानखडे पूर्व अध्यक्ष, अमरावती क्रेडाई

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  • बढोत्तरी नगण्य, लेकिन फर्क पडना तय

इस समय अमरावती मनपा में ०.८१, पालिका व पंचायत क्षेत्रों में ०.४० तथा ग्रामीण क्षेत्रों में २.९४ प्रतिशत की बढोत्तरी के साथ अमरावती जिले में औसत १.६२ प्रतिशत की बढोत्तरी रेडीरेकनर की दरों में की गई है. हालांकि यह बढोत्तरी बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन फिर भी इस समय जिस तरह का दौर चल रहा है, उसे देखते हुए सरकार ने फिलहाल रेडीरेकनर की दरों को नहीें बढाना चाहिए था, क्योकी इस समय पहले ही कोरोना व लॉकडाउन की वजह से तमाम कामकाज पूरी तरह से ठप्प पडे है.
– पंकज देशमुख अध्यक्ष, अमरावती क्रेडाई

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  • मुश्किल दौर को और भी मुश्किल कर दिया

इस समय पहले ही बेहद मुश्किल दौर चल रहा है. ऐसे में सरकार ने रेडीरेकनर की दरें बढाकर और भी अधिक मुश्किलें खडी कर दी है. इस समय रेडीरेकनर की दरें नहीं बढायी जानी चाहिए थी. इन दरों को इस समय बढाने की वजह से कोई विशेष लाभ नहीं होनेवाला. हालांकि इससे कुछ खास नुकसान भी नहीं होने जा रहा. ऐसे में इसे कुछ समय के लिए टाला जा सकता था.
-कपील आंडे सचिव, अमरावती क्रेडाई

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  •  कम से कम दो वर्ष नहीं बढनी चाहिए दरें

जिस तरह से स्टैम्प ड्यूटी के दर कम करने से रियल ईस्टेट मार्केट में हलचल बढी है, उसी तर्ज पर रेडीरेकनर की दरें भी कम होनी चाहिए. ताकि इस बिकट परिस्थिति में सामान्य जनता भी खरीदी-बिक्री के व्यवहार में आगे आकर आर्थिक मंदी से देश को बाहर निकालने में सहायक बन सके. इस समय पहले ही मंदी की वजह से सामान्य जनता का बजट बिगड गया है. वहीं अब रेडीरेकनर की दरें बढने की वजह से न केवल सामान्य जनता की जेब पर कैंची चलेगी, बल्कि अर्थव्यवस्था और भी अधिक खराब होगी.
– नीलिमा दुधे आर्किटेक्ट

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  • कोई खास फर्क नहीं पडेगा

वास्तविक मूल्य एवं रेडीरेकनर की दरों में काफी फर्क था और पिछले दो वर्षों से रेडीरेकनर की दरें नहीं बढेगी. वहीं अब सरकार द्वारा रेडीरेकनर की दरों में जो बढोत्तरी की गई है, वह काफी अत्यल्प है. ऐसे में इससे कामकाज पर कोई विशेष फर्क नहीं पडेगा. हालांकि यह सही है कि, इस समय जिस तरह का दौर व वक्त चल रहा है, उसे देखते हुए सरकार ने फिलहाल रेडीरेकनर की दरों को नहीं बढाना चाहिए था.
-सुभाष तलडा श्री गोविंदा गु्रप

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  • बहुत ज्यादा फर्क नहीं पडेगा, पर गलत समय लिया फैसला

रेडीरेकनर की दरों में जिस तरह से बढोत्तरी की गई है, उससे यूं तो बहुत ज्यादा फर्क नहीं पडेगा, लेकिन इतना जरूर कहा जा सकता है कि, दरें बढाने का फैसला लेने का यह सही समय नहीं था. यद्यपि यह बढोत्तरी बेहद मार्जीनल है, लेकिन हमें दरों को कम किये जाने की अपेक्षा थी और सरकार मौजूदा स्थिति को देखते हुए दरों को कम से कम स्थिर ही रख सकती थी. लेकिन सरकार ने दरों को बढाकर अपनी भावनाएं उजागर कर दी है. हालांकि इसके बावजूद इस बढोत्तरी का व्यवसाय पर कोई विशेष नकारात्मक प्रभाव नहीं पडेगा. ऐसे में हम सभी को सकारात्मक ढंग से अपना काम करते रहना होगा.
– नरेंद्र भाराणी ड्रीम्ज इन्फ्रा

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  • घुमा-फिराकर सब बराबर हो गया

सरकार ने एक तरफ स्टैम्प ड्यूटी की दरें घटाने की घोषणा की. वहीं दूसरी तरफ रेडीरेकनर की दरें बढा दी. यानी घुमा-फिराकर सब पहले की तरह बराबर हो गया. इसमें भी सरकार ने मुंबई, पुणे व नासिक जैसे बडे शहरों को विशेष सहूलियत दी है और मुंबई में तो रेडीरेकनर की दरे घटायी गयी है. वहीं राज्य के अन्य हिस्सों में दरें बढायी गयी है. इससे तो रियल ईस्टेट क्षेत्र में विषमता बढेगी. सरकार को यदि लॉकडाउन काल के बाद सभी व्यापार क्षेत्रों में तेजी लानी है, तो सबसे पहले कम से कम छह माह के लिए जीएसटी की दरों को घटाया जाना चाहिये. तभी व्यापार क्षेत्र संभल सकता है.
– सुधीर वाकोडे

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  •  पहले राहत दी, फिर राहत छीनी

सरकार ने एक तरफ स्टैम्प ड्यूटी घटायी, दूसरी तरफ रेडी रेकनर की दरें बढायी. ऐसे में घुमाफिराकर बात तो वहीं के वहीं रही और किसी को कोई राहत नहीं मिली. सरकार ने फिलहाल रेडीरेकनर की दरें नहीं बढानी थी. इस समय दरें बढाने का व्यापार पर उल्टा असर होगा और पहले ही मंदी का शिकार व्यवसाय और अधिक मंदी का शिकार होंगे. -जुजर सैफी

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  • कोई खास फायदा या नुकसान नहीं

सरकार ने रेडी रेकनर की दरों में कोई खास इजाफा नहीं किया है. बल्कि यह बेहद मामूली दरवृध्दि है. वहीं सरकार द्वारा स्टैम्प ड्यूटी में तीन प्रतिशत की छूट दी गई है. ऐसे में यदि रेडिरेकनर की दरें थोडी बढती भी है तो पुरानी स्टैम्प ड्यूटी की दरों की तुलना में अब भी स्टैम्प ड्यूटी कम ही लगेगी. ऐसे में किसी का कोई नुकसान नहीं होने जा रहा बल्कि, सभी को स्टैम्प ड्युटी कटौती का फायदा ही होगा. अत: किसी ने भी रेडि रेकनर की नई दरों को लेकर बिना वजह टेंशन नहीं लेना चाहिए.
– प्रवीण मालू बिल्डर व भूविकासक

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