* अहिल्यादेवी स्त्रीशक्ति पुरस्कारोें का किया वितरण
* सांस्कृतिक भवन में 5 कर्तृत्ववान महिलाएं हुई सम्मानित
अमरावती /दि.9– विगत कुछ वर्षों के दौरान महिलाएं अपने मानवीय प्रयासों से सभी क्षेत्रों में बंधनों को तोड रही है. आज हर विद्यापीठ के दीक्षांत समारोह में 10 में से 8 स्पर्णपदक छात्राओं द्वारा हासिल की जाती है. वहीं अब बडे-बडे कॉर्पोरेट बोर्ड में कंपनी सचिव व चार्टर्ड अकाउंटंट के तौर पर महिलाओं की उपस्थिति बढ रही है. इसके अलावा महिलाएं उद्योग क्षेत्र में भी बडी तेजी के साथ आगे आ रही है. जिसे देखते हुए माना जा सकता है कि, महिलाओं की भागीदारी के दम पर सन 2047 तक भारत एक विकसित राष्ट्र बनने जा रहा है और मौजूदा सदी में महिलाओं का योगदान सबसे महत्वपूर्ण साबित होने वाला है. इस आशय का प्रतिपादन राज्य के राज्यपाल रमेश बैस द्वारा किया गया है.
राजमाता अहिल्यादेवी फाउंडेशन द्वारा आज स्थानीय संत ज्ञानेश्वर सांस्कृतिक भवन में अहिल्यादेवी स्त्रीशक्ति पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया था. जिसकी अध्यक्षता करते हुए राज्यपाल रमेश बैस ने उपरोक्त विचार व्यक्त किए. साथ ही अहिल्यादेवी स्त्री शक्ति पुरस्कार प्राप्त राज्य के कामगार कल्याण विभाग की प्रधान सचिव विनिता सिंघल, ख्यातनाम गायिका वैशाली भैसने-माडे, उद्योजिका स्नेहल लोंढे, शिव छत्रपति राज्य क्रीडा पुरस्कार से सम्मानित रेश्मा पुणेकर तथा पति, ससुर व देवर द्वारा आत्महत्या कर लिए जाने के बाद भी खुद को संभालकर खेती के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने वाली अकोला निवासी महिला किसान ज्योति देशमुख का अभिनंदनन किया.
इस अवसर पर अपने संबोधन में राज्यपाल रमेश बैस ने पुण्यश्लोक राजमाता महारानी अहिल्यादेवी होलकर की स्मृतियों का अभिवादन करते हुए उनके द्वारा किए गए कार्यों व 250 वर्ष पहले महिला सशक्तिकरण हेतु लिए गए निर्णयों का भी उल्लेख किया. साथ ही पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी के नाम पर स्त्रीशक्ति पुरस्कार की परंपरा शुरु किए जाने के लिए राजमाता अहिल्यादेवी फाउंडेशन की प्रशंसा की.
इस समय मंच पर राज्य के उपमुख्यमंत्री अजित पवार, महिला व बालविकास मंत्री अदिती तटकरे, पूर्व सांसद पद्मश्री डॉ. विकास महात्मे, पूर्व राज्यमंत्री व विधायक प्रवीण पोटे पाटिल, राजमाता अहिल्यादेवी फाउंडेशन के अध्यक्ष संतोष महात्मे व पूर्व जिप अध्यक्ष सुरेखा ठाकरे बतौर प्रमुख अतिथि मंचासीन थे. इन सभी गणमान्यों के हाथों अहिल्यादेवी स्त्रीशक्ति पुरस्कार प्राप्त पांचों कर्तृत्ववान महिलाओं का समारोहपूर्वक सत्कार किया गया.
संत ज्ञानेश्वर सांस्कृतिक भवन के सभागार में आयोजित इस पुरस्कार वितरण समारोह में शहर सहित जिले के विभिन्न क्षेत्रों से वास्ता रखने वाले अनेकों गणमान्य उपस्थित थे. जिनमें महिलाओं की संख्या सर्वाधिक रही. इस कार्यक्रम के दौरान जब सत्कारमूर्ति महिलाओं की संघर्ष गाथा को एलइडी स्क्रीन पर ऑडियो विज्युअल पद्धति से दर्शाया गया, तो कई बार उपस्थितों की आंखे नम हो गई. विशेष तौर पर अमरावती जिले से ही वास्ता रखने वाले महागायिका वैषाली माडे व अकोला जिले के किसान आत्महत्याग्रस्त परिवार से वास्ता रखने वाली महिला किसान ज्योति देशमुख की संघर्षगाथा ने सभी को बेहद भावूक कर दिया. सभी सत्कार मूर्तियों पर बनाई गई डॉक्यूमेंट्री की समाप्ति के बाद सभागार में मौजूद प्रत्येक व्यक्ति ने अपने स्थान पर खडे रहकर सत्कार मूर्तियों का अभिनंदन किया.
* पांचों सत्कार मूर्तियों से नई पीढी को मिलेगी प्रेरणा
वहीं इस समय अपने संबोधन में राज्य के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने अहिल्यादेवी स्त्रीशक्ति पुरस्कार हेतु चयनीत पांचों सत्कार मूर्ति महिलाओं की प्रशंसा करते हुए कहा कि, इन पांचों सत्कार मूर्ति महिलाओं की संघर्ष यात्रा को देखने व समझने के बाद इस पुरस्कार हेतु उनके चयन को पूरी तरह से योग्य कहा जा सकता है. साथ ही यह उम्मीद भी की जा सकती है कि, इन पांचों महिलाओं की उपलब्धियों को देखते हुए नई पीढी उनसे प्रेरणा हासिल करेगी तथा हमारे युवा संघर्ष बिना घबराए सफलता की राह पर आगे बढेंगे. इसके साथ ही डेप्यूटी सीएम अजित पवार ने यह भी कहा कि, इस समय महाराष्ट्र हर क्षेत्र में बडी तेजी के साथ आगे बढ रहा है तथा सुसंस्कृत महाराष्ट्र के निर्माण हेतु सरकार एवं प्रशासन द्वारा किए जाने वाले प्रयासों में महिला जनप्रतिनिधियों व महिला अधिकारियों का योगदान सबसे महत्वपूर्ण होता है. ऐसे में महिलाओं में खुद को घरों की चार दीवारी में ही रखने की बजाय सार्वजनिक व सामाजिक जीवन में भी सक्रिय होना चाहिए.
* इन पांच कर्तृत्ववान महिलाओं का हुआ सत्कार
राजमाता अहित्यादेवी फाउंडेशन द्वारा आयोजित अहिल्यादेवी स्त्रीशक्ति पुरस्कार वितरण समारोह के तहत गणमान्यों के हाथों राज्य के कामगार कल्याण विभाग की प्रधान सचिव विनिता सिंघल, ख्यातनाम गायिका वैशाली भैसने-माडे, उद्योजिका स्नेहल लोंढे, शिव छत्रपति राज्य क्रीडा पुरस्कार से सम्मानित रेश्मा पुणेकर तथा पति, ससुर व देवर द्वारा आत्महत्या कर लिए जाने के बाद भी खुद को संभालकर खेती के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने वाली अकोला निवासी महिला किसान ज्योति देशमुख का समारोहपूर्वक सत्कार किया गया.