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नवाथे मल्टीप्लेक्स को लेकर भिडे सत्ताधारी और विपक्षी

 ‘ड्रीम’ प्रोजेक्ट को लेकर चल रही जबर्दस्त तनातनी

  • मनपा पदाधिकारियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू

अमरावती/प्रतिनिधि दि.25 – स्थानीय नवाथे परिसर में स्थित मनपा की मिल्कीयतवाली 1 लाख स्क्वेअर फीट क्षेत्रफलवाली जमीन पर बनाये जानेवाले मल्टीप्लेक्स के ड्रीम प्रोजेक्ट की निविदा प्रक्रिया स्थायी समिती द्वारा आमसभा की अनुमति लिये बिना शुरू किये जाने को लेकर मनपा की सत्ता में रहनेवाली भाजपा और विपक्ष में रहनेवाली कांग्रेस आपस में भिड गये है और दोनों दलोें के नेता एक-दूसरे पर जमकर आरोप प्रत्यारोप कर रहे है.
इस मामले को लेकर भाजपा का कहना है कि, मनपा चुनाव को नजदिक आता देख कांग्रेस द्वारा जानबूझकर इस मामले को हवा दी जा रही है. वहीं कांग्रेस पदाधिकारियों की ओर से कहा जा रहा है कि, वे अमरावती मनपा का नुकसान नहीं होने देना चाहते. इसलिए इस मामले को लेकर कोई ठोस निर्णय होना बेहद अपेक्षित है. विगत 18 जून को हुई आमसभा में भाजपा के स्वीकृत पार्षद मिलींद चिमोटे ने नवाथे मल्टीप्लेक्स का प्रारूप नये सिरे से तय करने हेतु आमसभा में चर्चा किये जाने की मांग की. जबकि इससे पहले ही निविदा प्रक्रिया पूर्ण करते हुए पीएमसी (प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कन्सलटन्सी) की नियुक्ति की जा चुकी थी. ऐसे में मनपा के नेता प्रतिपक्ष बबलु शेखावत, पूर्व महापौर व पार्षद विलास इंगोले व पार्षद प्रकाश बनसोड ने पीएमसी को स्थगित करते हुए सभागृह में इस विषय को लेकर चर्चा किये जाने की मांग की. जिस पर महापौर ने नवाथे मल्टीप्लेक्स मामले को लेकर सभागृह को पूरी जानकारी मिले, इस हेतु प्रक्रिया को स्थगित करने का निर्णय लिया. किंतु इस समय निगमायुक्त प्रशांत रोडे द्वारा सभागृह को बताया गया कि, पीएमसी की नियुक्ति पहले ही हो चुकी है और इसे लेकर हाईकोर्ट द्वारा भी निर्णय दिया गया है. साथ ही यह मामला सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विचाराधीन है. जहां से अभी तक स्थगनादेश नहीं मिला है. जिस पर बबलु शेखावत ने कहा कि, न्यायालय ने निविदा जारी करने के लिए भी नहीं कहा था और यह मामला पुराने ठेकेदार के खिलाफ दायर किया गया था.
इन तमाम बातों के चलते सभागृह में काफी देर तक हंगामा भी मचा था, क्योंकि फिलहाल नवाथे स्थित जमीन की कीमत 100 से 120 करोड रूपयों के आसपास है और इतने बडे उपक्रम में किसी तरह की कोई लापरवाही न हो, इस हेतु नियमानुसार चर्चा पर जोर दिया जा रहा है. किंतु इसकी आड लेकर सत्ता पक्ष व विपक्ष द्वारा अपने-अपने दांव चले जा रहे है. साथ ही एक-दूसरे के खिलाफ जमकर आरोप-प्रत्यारोप भी किये जा रहे है.

  •  मनपा का नुकसान करनेवाले सभी उपक्रमों का विरोध

मनपा के नेता प्रतिपक्ष बबलू शेखावत तथा पूर्व महापौर व पार्षद विलास इंगोले द्वारा कहा गया कि, मनपा का नुकसान करनेवाले सभी प्रकल्पों का कांग्रेस द्वारा विरोध किया जायेगा और धारा 79 के अनुसार जब तक आमसभा के समक्ष नीति तय नहीं होती है, तब तक नवाथे मल्टीप्लेक्स को स्थायी समिती द्वारा मंजुरी न दी जाये. इसके बाद ही इस मामले को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हुआ.

  •  प्रक्रिया को रद्द नहीं, बल्कि स्थगित किया है

मनपा के सभागृह नेता तुषार भारतीय ने इस मसले को लेकर कहा कि, विगत 10 वर्षों से मल्टीप्लेक्स का मामला प्रलंबित पडा है. ऐसे में पीएमसी की नियुक्ति करते हुए निर्माण कार्य किस तरह शुरू किया जाये, इसे लेकर भाजपा पार्षद मिलींद चिमोटे द्वारा जानकारी मांगी गई. जिसके चलते सभागृह को पूरे मामले की जानकारी हो, इस बात के मद्देनजर सभापति ने इस प्रक्रिया को स्थगित किया है, रद्द नहीं. इसके बावजूद कांग्रेस द्वारा बेवजह भ्रष्टाचार का ढोल पीटा जा रहा है.

 

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  • भ्रष्टाचार के आरोप लगानेवाले खुद अपने गिरेबान में झांके

मनपा में कांग्रेस की सत्ता रहते समय कई घोटाले उजागर हुए थे, जो अब तक चर्चा में है. ऐसे में कांग्रेसी नेताओं को आगामी मनपा चुनाव में हार का डर अभी से सता रहा है. जिसकी वजह से वे बेसिरपैर की अफवाहें फैलाते हुए भाजपा को बदनाम करने का प्रयास कर रहे है. जबकि उन्हेें चाहिए कि, वे खुद अपने गिरेबान में झांके.
चेतन गावंडे
    महापौर

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  •  अपनी मर्जी के ठेकेदार को काम देने का प्रस्ताव

नवाथे मल्टीप्लेक्स का ठेका भाजपा अपने मर्जी के किसी ठेकेदार को देना चाहती थी. किंतु यह बात उजागर हो जाने के चलते भाजपा द्वारा कांग्रेस के समय भ्रष्टाचार होने का आरोप लगाया जा रहा है. इसमें निश्चित तौर पर कुछ काली कारगुजारिया है, जिन्हें छिपाने का प्रयास किया जा रहा है.
बबलु शेखावत
   नेता प्रतिपक्ष

 

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  • कांग्रेसियों का भ्रष्टाचार पर बोलना मजाक ही है

कांग्रेस नेताओं द्वारा भ्रष्टाचार पर बोलना और भ्रष्टाचार का विरोध करना किसी मजाक की तरह है. खुद कांग्रेस ने मनपा को आर्थिक दिक्कतों में फंसाया और आज वे बेगानी शादी में अब्दुल्ला दिवाना की तरह व्यवहार कर रहे है. हमारा काम पूरी तरह से पारदर्शक है, लेकिन आरोप लगानेवालों को चाहिए कि, वे पहले खुद आईना देखे.
तुषार भारतीय
   सभागृह नेता

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  • 2019 में पहले ही निविदा जारी की गई थी

वर्ष 2019 में नवाथे मल्टीप्लेक्स को मंजूरी देने के साथ ही निविदा जारी की गई थी. ऐसे में यह निविदा प्रक्रिया पहली बार नहीं, बल्कि दूसरी बार चलायी जा रही है.
सचिन रासने
स्थायी समिती सभापति

 

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  •  खुली चुनौती, कांग्रेस का भ्रष्टाचार साबित करो

सत्ता पक्ष द्वारा यह प्रकल्प पुरानी कीमत में देने का षडयंत्र रचा जा रहा था. हमारी खुली चुनौती है कि आरोप लगाने की बजाय कांग्रेस द्वारा किया गया कोई भी भ्रष्टाचार भाजपा सबूतों के साथ साबित करके दिखाये. जिसके लिए हम शर्त में कुछ भी हारने के लिए तैयार है.
विलास इंगोले
पूर्व महापौर व पार्षद

 

  •  आखिर तमाम घोटालों का ‘वो’ मास्टरमाइंड कौन?

इस समय यद्यपि भाजपा व कांग्रेस द्वारा खुद को पाक साफ बताते हुए अपने-अपने कार्यकाल को पूरी तरह से पारदर्शक बताया जा रहा है. किंतु हकीकत यह है कि, दोनों ही दलों के कार्यकाल दौरान अमरावती मनपा में कई घोटाले और आर्थिक गडबडियां उजागर हुए है. जिनकी फेरहिस्त काफी लंबी ही हो सकती है, लेकिन आज तक यह पता नहीं चल पाया कि, आखिर इन तमाम घोटालों के पीछे मुख्य रूप से किसका ‘शातीर’ दिमाग काम कर रहा था और किस मास्टरमाइंड के इशारे पर कुछ लोगों ने मोहरों के तौर पर काम करते हुए घोटालों व आर्थिक गडबडियों को अंजाम दिया. सबसे बडा आश्चर्य यह भी है कि, दोनों ही कार्यकाल के दौरान सत्ता पक्ष या विपक्ष के पार्षदों द्वारा ‘उस’ मास्टर माइंड की पहचान को उजागर करने के लिए भी कोई विशेष प्रयास नहीं किये गये.

  • ऐसी रही नवाथे मल्टीप्लेक्स की कहानी

शहर अभियंता रविंद्र पवार ने दी जानकारी
इस संदर्भ में आमसभा व स्थायी समिती के समक्ष अपनी ओर से पूरे मामले की जानकारी देते हुए शहर अभियंता रविंद्र पवार की ओर से बताया गया कि, अमरावती मनपा क्षेत्र में नवाथे स्थित नझूल शिट क्र. 64 के भूखंड क्रमांक 7 मनपा की मिल्कीयतवाली जगह है. जहां पर मल्टीप्लेक्स तैयार करने हेतु प्रस्ताव तैयार किया गया था. किंतु इसके खिलाफ कार्यालय से प्राप्त जानकारी के आधार पर कुछ तकनीकी वजहों के चलते मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में याचिका दाखिल की गई थी. जहां पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने मनपा के पक्ष में निर्णय देते हुए इस स्थान पर मनपा के मार्फत मल्टिप्लेक्स की इमारत के निर्माण को अनुमति दी. जिसके बाद 15 जून 2019 को जारी पत्र में शहर अभियंता कार्यालय द्वारा इस इमारत के निर्माण हेतु नये सिरे से प्रक्रिया शुरू करने के आदेश जारी किया गया. साथ ही 9 अगस्त 2029 को निगमायुक्त ने इस इमारत के निर्माण की प्रक्रिया हेतु प्रकल्प व्यवस्थापन सलाहकार की नियुक्ति का आदेश जारी किया. जिसे 23 अगस्त 2019 को स्थायी समिती द्वारा मान्यता दी गई. इस हेतु निविदा के नियमों व शर्तों को विधि अधिकारी द्वारा 9 सितंबर 2019 को मान्यता दी गई. पश्चात 11 सितंबर 2019 को निगमायुक्त द्वारा निविदा प्रकाशित करने का आदेश दिया गया. जिसके अनुसार 12 सितंबर 2019 को पहली बार पीएमसी नियुक्त करने हेतु निविदा प्रकाशित की गई और 23 सितंबर 2019 को निविदा पूर्व बैठक हुई. निविदा पेश करने हेतु 7 अक्तूबर 2019 व निविदा खोलने हेतु 9 अक्तूबर 2019 की अंतिम तिथी तय की गई थी. किंतु इससे पहले 21 सितंबर 2019 को राज्य विधानसभा चुनाव की आचारसंहिता लागू होने की वजह से निविदा पूर्व बैठक नहीं ली जा सकी और इससे पहले 23 सितंबर 2019 व पश्चात 15 अक्तूबर 2019 तक समयावृध्दि दी गई. इस समय भी आचारसंहिता लागू रहने के चलते इसे एक बार फिर समयावृध्दि देते हुए 1 नवंबर 2019 को निविदापूर्व बैठक रखी गयी और निविदा पेश करने हेतु 16 नवंबर 2019 व निविदा खोलने हेतु 18 नवंबर 2019 की तारीख तय की गई. 1 नवंबर को ही निविदा पूर्व बैठक में कमलेश कन्सलटंट (पुणे), बैप्कोस लिमीटेड (नागपुर), आर्चीनोवा डीजाईन (मुंबई), मोबीज आर्किटेक्ट (मुंबई) तथा केएनजे प्रोजेक्टस् (नागपुर) के प्रतिनिधि उपस्थित थे. जिन्होंने कुछ नये मुद्दे उपस्थित करते हुए निविदा प्रस्तुत करने हेतु अतिरिक्त समय दिये जाने की मांग की. इसके चलते 8 नवंबर 2019 को बीड धारकों द्वारा उपस्थित किये गये मुद्दों की ‘सीएसडी’ को ऑनलाईन प्रकाशित किया गया. जिसमें निविदा भरने हेतु 26 नवंबर 2019, निविदा खोलने हेतु 27 नवंबर 2019 तथा प्रेझेंटेशन हेतु 28 नवंबर 2019 की तारीख तय की गई. लेकिन 26 नवंबर 2019 को फोर्थ डाईमेंशन आर्किटेक्ट प्रा. लि. (पुणे), जेन्सीस टेक्नालॉजीस् (पुणे) तथा मोबीज आर्किटेक्ट प्रा. लि. (पुणे) द्वारा प्रेझेंटेशन के लिए अतिरिक्त समय दिये जाने का निवेदन करने पर आयुक्त की मंजुरी अनुसार निविदा भरने हेतु 5 दिसंबर 2019, निविदा खोलने हेतु 6 दिसंबर 2019 तथा प्रेझेंटेशन हेतु 9 दिसंबर 2019 की तारीख तय की गई और 9 दिसंबर 2019 की सुबह 11 बजे निगमायुक्त की अध्यक्षतावाली निविदा जांच समिती के समक्ष प्रेझेंटेशन रखा गया. इसके लिए एमएसवी इंटरनैशनल इंका, फोर्थ डाईमेंशन आर्किटेक्ट प्रा.लि. (पुणे) तथा आर्चिनोवा डीजाईन (मुंबई) के प्रतिनिधि उपस्थित हुए. इन तीनों का प्रेझेंटेशन देखने के बाद आयुक्त एवं पडताल समिती का समाधान नहीं हुआ. साथ ही आयुक्त द्वारा मनपा के हित हेतु टेक्निकल व फायनांशियल मॉडल के बारे में पूछे जाने पर किसी भी बीडधारक द्वारा समाधानकारक उत्तर भी नहीं दिया गया. ऐसे में समिती ने निविदा में इन सभी बातों का समावेश करने तथा निविदा के नियमों व शर्तों में संशोधन करने हेतु नई समिती गठित करने का सुझाव दिया और आयुक्त के आदेश पर 18 दिसंबर 2019 को इस निविदा के नियम व शर्त तय करने हेतु समिती गठित की गई. जिसमें उपायुक्त (सामान्य), सहायक संचालक नगर रचना अधिकारी, मुख्य लेखा परीक्षक तथा शहर अभियंता को बतौर सदस्य शामिल किया गया. एवं 7 जनवरी 2020 को उपायुक्त के कक्ष में समिती सदस्यों की बैठक बुलायी गयी. जिसमें निविदा के नियमों व शर्तों को लेकर चर्चा करते हुए उन्हें अंतिम रूप दिया गया. जिसे 8 जनवरी 2020 को आयुक्त द्वारा मान्यता दी गई और 16 जनवरी 2020 को संशोधित नियमों व शर्तों के साथ पीएमसी की नियुक्ति के लिए ई-निविदा प्रकाशित की गई. जिसमें निविदा पूर्व बैठक के लिए 3 फरवरी 2020, निविदा प्रस्तुत करने के लिए 18 फरवरी 2020 व निविदा खोलने के लिए 24 फरवरी 2020 की तारीख दी गई. 30 फरवरी को हुई निविदा पूर्व बैठक में माहीमट्रा कन्स्ट्रक्शन्स (मुंबई), जेन्सीस टेक्नॉलॉजीस् (पुणे), फोर्थ डाईमेंशन आर्किटेक्ट प्रा. लि. (पुणे), भोइगडे एन्ड एसोसिएटस् (मुंबई) के प्रतिनिधि उपस्थित थे. जिनके द्वारा उपस्थित किये गये मुद्दों का सीएसडी ऑनलाईन प्रकाशित किया गया और बीडधारकों के निवेदन पर निविदा भरने हेतु 5 मार्च 2020 व निविदा खोलने हेतु 6 मार्च 2020 की तारीख तय की गई. पश्चात फोर्थ डाईमेंशन (पुणे) तथा इंजिनिअरींग कन्सलटन्सी सर्विसेस (ग्वालियर) इन दो बिडधारकों की ओर से मिले तकनीकी लिफाफा क्रमांक 1 को आयुक्त की अनुमति से 16 मार्च 2020 को खोला गया और 20 मार्च 2020 को 4 बजे बिडधारकों के तकनीकी दस्तावेजों की जांच व प्रेझेंटेशन हेतु समय तय किया गया. किंतु इसी बीच कोविड संक्रमण की वजह से समूचे देश में लॉकडाउन शुरू करने की हलचले तेज हो गई. जिसके चलते इस बैठक को रद्द कर दिया गया और 25 जून 2020 को 4 बजे ऑनलाईन बैठक करते हुए निविदा पडताल समिती ने तांत्रिक लिफाफा क्रमांक 1 की जांच और बिडधारकों का प्रेझेंटेशन देखकर उन्हें अंक दिये. जिसमें फोर्थ डाईमेंशन को 82 तथा इंजिनिअरींग कन्सलटन्सी को 62 अंक प्राप्त हुए. ऐसे में दोनों बिडधारक लिफाफा क्रमांक 2 को खोलने हेतु पात्र माने गये तथा 27 जुलाई 2020 को दोनों पात्र बिडधारकों के लिफाफा क्रमांक 2 खोले गये. जिसमें पता चला कि, फोर्थ डाईमेंशन द्वारा 2.34 फीसद अधिक तथा इंजिनिअरींग कन्सलटन्सी द्वारा 1.89 प्रतिशत अधिक दरों की निविदा भरी गई है. पश्चात दोनों बिडधारकों के टेक्नीकल व फाईनांशियल अंकों की जांच करने तथा योग्य बिडधारक का चयन करने हेतु 31 जुलाई 2020 की सुबह 11 बजे बैठक बुलायी गयी. जिसमें निविदा की शर्त के मुताबिक तकनीकी पहलुओं के लिए 75 फीसदी व फाईनांशियल पहलु के लिए 25 फीसदी के आधार पर तुलनात्मक अंक दिये गये. जिसमें फोर्थ डाईमेंशन 80.19 तथा इंजिनिअरींग कन्सलटंसी को 73.16 अंक प्राप्त हुए और अधिक अंक रहने के चलते नवाथे मल्टीप्लेक्स के प्रकल्प व्यवस्थापन हेतु फोर्थ डाइमेंशन कंपनी को नियुक्त करने का आदेश 25 अगस्त 2020 को जारी किया गया. इसके बाद फोर्थ डाइमेंशन द्वारा दी गई दरें प्रतिस्पर्धि कंपनी की तुलना में अधिक रहने के चलते इन दरों पर पुनर्विचार करने हेतु आयुक्त ने 20 अक्तूबर 2020 को कंपनी के प्रतिनिधियों को चर्चा हेतु बुलाया. जिस पर फोर्थ डाइमेंशन की ओर से पत्र जारी करते हुए कहा गया कि, वे अपने द्वारा दिये गये 2.34 प्रतिशत अबाउ दर पर ही काम कर सकेंगे और इसमें कोई समझौता नहीं किया जा सकता. लेकिन नियमानुसार किसी भी सरकारी काम का ठेका 2 प्रतिशत से अधिक दरों पर नहीं दिया जा सकता. जिसके चलते आयुक्त ने दुबारा निविदा प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिये थे और इसे लेकर अब तक यह मामला अधर में अटका हुआ है.

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