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समुंदर लौटकर आया है ! अभिनंदन देवेन्द्र जी!

वर्ष 2017-18 में किसी मराठी चैनल पर अमोल कोल्हे अभिनीत संभाजी महाराज के जीवन पर आधारित धारावाहिक प्रसारित हो रहा था. छत्रपति संभाजी के जीवन पर आधारित धारवाहिक में औरंगजेब खलनायक दिखाया जाना चाहिए था. किंतु सीरियल में संपूर्ण फोकस ‘अनाजी पंत’ पात्र पर रखा गया. उसी समय अंदेशा हो गया था. इस किरदार का उपयोग कर फडणवीस और उनकी जाति को बदनाम करने का भरपूर प्रयत्न किया गया. आज भी हो रहा है. इसी दौरान कुछ प्रसिध्द पत्रकारों की एक-एक हाथ लंबी पोस्ट पढने में आयी. मूलपोस्ट में शब्दों को समानार्थी शब्द खोज कर लेख में वायरल किए जा रहे थे. निशाने पर थे केवल देवेन्द्र फडणवीस.
2019 के विधानसभा चुनाव में ‘मी पुन्हा येईन’ इन तीन शब्दों की बडी आलोचना हुई. महाराष्ट्र की राजनीति में सबसे वरिष्ठ कहे जाते शरद पवार ने तालियां बजाकर उलाहना दिया था कि हम ऐसे लोगों के साथ कुश्ती नहीं खेलते. पवार की बारिश की सभा महत्वपूर्ण थी. उस चुनाव को शरद पवार विरूध्द देवेन्द्र फडणवीस बनाया गया.
उस समय बीजेपी के 105 और शिवसेना के 56 विधायक चुने गये. जैसे-जैसे चुनाव के नतीजे घोषित हो रहे थे. युति के कार्यकर्ताओं का उत्साह और आनंद व्यक्त करना शुरू हो गया था. फडणवीस पुन: मुख्यमंत्री बनने वाले हैं, यह तय हो गया था. मतगणना शुरू हुई थी कि संजय राउत ने पत्रकार परिषद में घोषणा की. हमें सत्ता में समान हिस्सा चाहिए. अन्यथा हमारे लिए सभी दरवाजे खुले हैं. इस प्रकार की बात राउत ने कही. पहले लगा कि अधिक मंत्री पद के लिए यह दबाव तंत्र है. किंतु उन्होंने पैंतरा बदल लिया था.
शिवसेना- कांग्रेस -राकांपा ऐसी महाविकास आघाडी बनी. फडणवीस को मुख्यमंत्री पद से वंचित करना पडा. महाराष्ट्र के इतिहास में इतने बुरे अंदाज में किसी का मुख्यमंत्री पद छिन जाने का यह कदाचित पहला अवसर रहा. फडणवीस ने प्रयास किए. अजीत दादा को साथ लेकर 72 घंटे की सरकार भी बनाई. किंतु वह सरकार गिर गई. उस समय महाविकास आघाडी के कुछ नेताओें, कुछ पत्रकारों का व्यवहार और सोशल मीडिया पर उनके द्बारा प्रसिध्द लेखन द्बेष की पराकाष्ठा थी.
उध्दव ठाकरे के शपथ ग्रहण समारोह में फडणवीस से अत्यंत अपमानजनक व्यवहार किया गया. विधानमंडल की सदस्य न रहते हुए भी सुप्रिया सुले ने उध्दव ठाकरे के विश्वास मत के समय सदन में भाषण दिया जिसमें कहा कि ‘अकेला देवेन्द्र क्या करेगा’. जयंत पाटिल ने भी ताने मारे. मीडिया में आलोचना के अलावा कुछ न था. सोशल मीडिया पर भी खुद को छुटभैये चाणक्य बता रहे थे…. फडणवीस ने क्या- क्या सहा. इसकी कल्पना ही की जा सकती है. कक्षा में पहले नंबर पर रहनेवाले विद्यार्थी को आखरी बेंच पर बैठना पडा. महाराष्ट्र में ग्राम पंचायत के चुनाव की भी दुश्मनी जीवन भर का बैर लाती है. यहां तो एक निष्ठावान नेता का मुख्यमंत्री पद छीन लिया गया था. उन पर फिकरे कसे जा रहे थे. उनकी पत्नी, मां, बेटी, जाति सभी को लेकर तानों की झडी लगी थी. ‘टरबूज’ भी कहा गया. फडणवीस और उनके सहयोगियों को राजनीति से नेस्तनाबूद करने का प्रत्येक प्रयत्न किया गया. किंतु इस व्यक्ति ने रत्तीभर भी मर्यादा न छोडी.
विपक्ष के नेता के तौर पर देवेन्द्र फडणवीस का प्रदर्शन पहले से बेहतर रहा. अनिल परब और देवेन्द्र फडणवीस के बीच सभागृह मेें हुई बहस अभी भी यूट्यूब पर उपलब्ध है. नवोदित वकीलों को अवश्य देखना चाहिए. भाजपा नेताओं को फंसाने की महा विकास आघाडी सरकार की योजना का जब फडणवीस ने सरकारी वकील की मदद से पर्दाफाश किया तो सत्ता पक्ष पर बैठे दिग्गज नेताओं के चेहरे देखने लायक थे. राज्यसभा चुनाव और विधान परिषद चुनाव में महाविकास आघाडी को चीत कर पूरी सेना-फडणवीस ने बाजी मारी. पांच वर्ष तक सफलतापूर्वक मुख्यमंत्री पद पर रहने के बाद उन्होंने पार्टी की इच्छा की खातिर उपमुख्यमंत्री का पद स्वीकार किया. सालभर में अजित दादा को भी साथ में लिया. फिर अपमान की झडी अपने उपर ली. लोकसभा चुनाव हार गए. और उस हार की जिम्मेदारी भी स्वीकारी. सारे समीकरण विपरीत होने पर भी पार्टी ने 132 सीटें हासिल कर अहम भूमिका निभाई. और दूसरी बार मुख्यमंत्री पद के लिए तैयारी भी की.
उन्होंने कहा था, “मैं फिर आऊंगा”… वह वापस आ गए. धमाके के साथ आए.
यदि आप कुछ बनना चाहते हैं, तो जिस क्षेत्र में हैं, उसमें फडणवीस बनें, यही आज का संदेश है.
कम बात करें, मुद्दे पर बात करें,
कुछ भी मत भूलना
क्रोध हो तो उसे मनमें रखें.
अवसर की प्रतीक्षा करो,
मौका मिले तो टूट पडो,
तत्काल लाभ की तलाश न करें.
लंबा सोचो,
आलोचना को मुस्कुराहट के साथ स्वीकार करें.
समय हर किसी का आता है,
समय आने पर हिसाब चुकता करें
भीड का हिस्सा मत बनो,
गलत आकलन न करें, अपनी विशेषता साबित करें
फडणवीस को बुरा कहना आसान है,
लेकिन फडणवीस बनना कठिन है. इसलिए आप जहां भी हों, वहां के फडणवीस बनें
बधाई हो देवेन्द्र जी!
– राहुल कलोती, बालाजी प्लॉट अमरावती

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