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होटल लॉडर्स में लगी आग का राज हुआ उजागर

होटल के ही पूर्व कर्मचारी ने १५ लीटर पेट्रोल छिडककर लगायी थी आग

  • होटल में लगे सीसीटीवी कैमेरे के डीवीआर से हुआ पर्दाफाश

  • राजापेठ थाने ने आरोपी को किया गिरफ्तार, आरोपी ने अपना गुनाह कबूला

अमरावती प्रतिनिधि/दि.४ – कहा जाता है कि, अपराधी चाहे कितना भी होशियार या चालाक क्यों न हो, लेकिन अपने पीछे कोई न कोई सबूत जरूर छोड जाता है या फिर अपराध करते समय कोई ऐसी गलती जरूर कर बैठता है, जिसकी वजह से कभी न कभी कानून के शिकंजे में फंसता जरूर है.
ऐसे ही एक मामले का अमरावती में दस माह बाद पर्दाफाश हुआ है और पुलिस ने मामले की तह तक जाते हुए आरोपी को गिरफ्तार करने में सफलता भी हासिल की है. हिरासत में लिये जाने के बाद आरोपी ने पुलिस के सामने अपना गुनाह भी कबूल कर लिया है और अपने साथियों के नाम बताने के साथ ही इस अपराध की वजह बतायी है. जिसे सुनकर पुलिस भी हैरत में पड गयी है. बता दें कि, वर्ष २०१९ के आखरी दिन ३१ दिसंबर के तडके करीब चार-साढे चार बजे अमरावती के एमआयडीसी रोड स्थित होटल लॉर्डस में भीषण आग लग गयी थी. इस आग में होटल लॉडर्स का हर एक कोना धू-धूकर जल रहा था और दमकल विभाग के हरकत में आने से पहले ही यह होटल लगभग पूरी तरह से जलकर खाक हो गया था. इस अग्निकांड में होटल लॉडर्स का करीब दो करोड रूपयों का नुकसान हुआ था. और नववर्ष की पूर्वसंध्या से महज बारह घंटे पूर्व लगी इस आग की वजह से होटल संचालक महेश छाबडा को काफी बडे नुकसान का सामना करना पडा था. क्योकि उन्होंने अपने होटल में नववर्ष की पूर्व संध्या के लिए काफी तैयारियां कर रखी थी. उस समय काफी तफ्तीश करने के बाद भी यह पता नहीं चल पाया था कि, आखिर यह आग कैसे लगी. हालांकि होटल के हर एक कोने से पेट्रोलियम पदार्थ की गंध आने के चलते होटल संचालक महेश छाबडा सहित पुलिस को भी इस मामले को लेकर काफी संदेह था. सर्वाधिक हैरत इस बात को लेकर थी कि, होटल में लगे तमाम सीसीटीवी कैमेरे तो अपनी जगह पर थे और जलकर खाक हो गये थे, लेकिन होटल के काउंटर में रखी रिकॉर्डिंग यूनिट यानी डीवीआर मशीन का कहीं कोई पता नहीं चल पाया था. इसके बाद अप्रैल माह के आसपास होटल संचालक महेश छाबडा ने अपनी होटल को नये सिरे से तैयार करने हेतु नूतनीकरण करने का काम शुरू किया और उस समय एक दिन यूं ही अचानक होटल के पीछले हिस्से में बनाये गये तंदूर एवं किचन के पास होटल की सीसीटीवी कैमेरा रिकॉर्डिंग यूनिट यानी डीवीआर मशीन कचरे में पडी हुई पायी गयी.
यह डीवीआर मशीन सीके प्लस कंपनी द्वारा बनायी गयी थी. ऐसे में महेश छाबडा ने इस डीवीआर मशीन में रिकॉर्डेड फुटेज को प्राप्त करने कंपनी के साथ संपर्क किया. साथ ही इस बात से पुलिस को अवगत कराते हुए इस डीवीआर मशीन को दिल्ली की फॉरेन्सीक लैब में भेजा गया और जब इस मशीन में रिकॉर्डेड फुटेज सामने आये, तो महेश छाबडा की आंखे आश्चर्य से फटी की फटी रह गयी. क्योकि इस फुटेज में दिखाई दे रहा था कि, होटल लॉर्डस का अभिजीत भास्कर कावले नामक एक पूर्व कर्मचारी अपने तीन साथियों के साथ ३० से ३१ दिसंबर की दरम्यानी रात करीब २ बजे के आसपास होटल के पीछले दरवाजे से होटल के भीतर घुसा. इस समय उन सभी के पास पेट्रोल से भरी हुई बोतलें थी. जिसे उन्होंने होटल में हर ओर छिडका और इस दौरान अभिजीत कावले ने होटल के काउंटर पर जाकर सीसीटीवी कैमरों को डीवीआर मशीन से जोडनेवाले सभी वायर काट दिये. जिसके बाद वे लोग डीवीआर मशीन को अपने साथ लेकर बाहर निकले और किचन व तंदूर के पास से बाहर निकलते समय होटल में छिडके हुए पेट्रोल को माचिस की तिली दिखा दी. जिसके बाद होटल धू-धूकर जलने लगा और देखते ही देखते आग की लपटों में घिरते हुए जलकर खाक हो गया. इस वीडीयो फुटेज के सामने आते ही राजापेठ थाना पुलिस ने तुरंत ही बडनेरा के इंदिरा नगर निवासी अभिजीत भास्कर कावले नामक २१ वर्षीय युवक को अपनी हिरासत में लिया. इस समय पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में अभिजीत कावले ने बताया कि, वह किसी समय होटल लॉर्डस में नौकरी करता था और उसकी ड्यूटी मेन काउंटर पर लगायी गयी थी. उसने होटल के हिसाब-किताब में करीब ८० हजार रूपयों की गडबडी की थी. जिसके चलते होटल संचालक महेश छाबडा ने उसकी चोरी पकडने के बाद उसे सबके सामने अपमानित करते हुए काम से निकाल दिया था. यह बात उसे बेहद नागवार गुजरी थी और उसने काम से निकाले जाने के करीब १०-१२ दिन बाद नववर्ष की पूर्व संध्या पर होटल संचालक महेश छाबडा को सबक सिखाने की ठानी. जिसके तहत वह ३० व ३१ दिसंबर की दरम्यानी रात करीब दो से ढाई बजे के बीच अपने तीन दोस्तों के साथ एक कार में सवार होकर होटल लॉडर्स पहुंचा. उसे यह पता था कि, इस समय तक होटल संचालक महेश छाबडा अपने घर चले गये होंगे और होटल बंद हो चूका होगा. अपने साथ करीब १५ लीटर पेट्रोल लेकर पहुंचे चारों लोग होटल लॉडर्स के पीछले दरवाजे से होटल परिसर के भीतर घुसे और उन्होंने होटल के हर कोने में पेट्रोल छिडका. होटल का पूर्व कर्मचारी रहने के नाते अभिजीत कावले होटल के चप्पे-चप्पे से वाकीफ था और उसे होटल के सुरक्षा इंतजामों के बारे में भी पूरी जानकारी थी. ऐसे में उसने काउंटर पर पहुंचकर सभी सीसीटीवी कैमरों के तार काटने शुरू किये और पीछे कोई सबूत न छूट जाये, इस बात के मद्देनजर उसने काउंटर पर रखे रिकॉर्डिंग यूनिट को भी उठा लिया.
लेकिन होटल से बाहर निकलने के दौरान होटल में आग लगाते समय मची हडबडी की वजह से वहां से भागते समय वह डीवीआर यूनिट होटल के तंदूर के पास गिर गया और अगले तीन-चार माह तक वहीं पर कचरे में पडा रहा. पश्चात होटल का नूतनीकरण कार्य शुरू करते समय जब यह डीवीआर यूनिट बरामद हुआ तो यहीं इस मामले में सबसे बडा सबूत बनकर सामने आया. इस पूरे मामले में एक और रोचक पहलू उभरकर सामने आया है. पुलिस द्वारा हिरासत में लिये जाने पश्चात की गई पूछताछ में अभिजीत कावले ने ब्याजबट्टे का व्यवसाय करनेवाले नारायण तरडेजा नामक व्यक्ति का नाम पुलिस को बताया है. अभिजीत कावले के मुताबिक उसने जब नारायण तरडेजा को महेश छाबडा द्वारा अपने साथ किये गये अपमान जनक व्यवहार की जानकारी दी थी, तो तरडेजा ने ही उसे होटल लॉर्डस में आग लगाकर अपने अपमान का बदला लेने हेतु उकसाया था. ऐसे में पुलिस ने नारायण तरडेजा नामक व्यक्ति को भी पूछताछ के लिए थाने में बुलवाया है. जहां इस समय नारायण तरडेजा को अधिकृत तौर पर तो पुलिस हिरासत में नहीं लिया गया है, लेकिन उससे कडाई के साथ पूछताछ जारी है. इसके साथ ही पुलिस इस आगजनीवाले मामले में अभिजीत कावले के साथ शामिल अन्य तीन लोगों की भी तलाश कर रही है.

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