यवतमाल जिले की परंपरागत रक्तरंजित होली पर कोरोना का साया
जिले के बोरी गदाजी गांव में खेली जाती है खून की होली
यवतमाल/प्रतिनिधि दि.28 – होली दहन के दूसरे दिन धूलिवंदन का त्यौहार मनाया जाता है. साधारणत: धूलिवंदन गुलाल व रंगों के साथ मनाया जाता है. ऐसी कल्पना हमारी आंखों के सामने रहती है. किंतु यवतमाल जिले में मारेगांव तहसील अंतर्गत आनेवाला गांव बोरी गदाजी एक ऐसा गांव है जहां पर खून की होली खेली जाती है. किंतु इस साल कोरोना महामारी के चलते प्रशासन ने खूनी होली को अनुमति नहीं दी.
बोरी गदाजी गांव में रक्तरंजित होली खेले जाने की चर्चा हर साल परिसर में होती है और यहां की खूनी होली परिसर में चर्चित है. गदाजी महाराज की कर्मभूमि रहे इस गांव में खूनी होली की परंपरा पिछले 50 सालों से कायम है. होली के दिन गांव में एक दूसरे पर पत्थरबाजी की जाती है. यह कोई दंगे फसाद का हिस्सा नहीं है बल्कि यह ग्रामवासियों की प्राचीन परंपरा है.
फागुन महीने में पूर्णिमा के दिन होली के अवसर पर गदाजी महाराज की भव्य यात्रा भरती है. जिसमें बडी संख्या में भाविक सहभाग लेते है और एक दूसरे पर पत्थरों से वार करते है. पत्थर एक दूसरे पर फेंकना यह भाविकों की श्रद्धा का भाग है. इस उत्सव की एक विशेषता यह है कि जब तक एक दूसरे के शरीर से खून नहीं निकलता तब तक एक दूसरे पर पत्थर फेंकते रहते है. यह परंपरा विगत 50 वर्षो से शुरु है. किंतु इस साल कोरोना महामारी के चलते प्रशासन द्बारा अनुमति नहीं दिए जाने की वजह से यह परंपरा टूटेगी.