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संतरा उत्पादक किसानों की स्थिति गंभीर, सरकार तुरंत सहायता दें

पूर्व कृषि मंत्री डॉ. अनिल बोंडे ने उठाई मांग

अमरावती/प्रतिनिधि दि.5 – विदर्भ क्षेत्र में किसी समय संतरा उत्पादन को खेती-किसानी के लिहाज से वरदान माना जाता था, जो अब किसी श्राप की तरह है. अमरावती जिले में करीब डेढ लाख हेक्टेयर कृषि क्षेत्र में संतरे का उत्पादन किया जाता है. किंतु इस वर्ष मृग बहार व अंबिया बहार में मौसम और फसल ने किसानों को धोखा दिया है. जिसकी वजह से किसानों को अच्छे-खासे नुकसान का सामना करना पड रहा है. ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि, सरकार द्वारा नुकसान प्रभावित किसानों को 50 हजार रूपये प्रति हेक्टेयर का मुआवजा दिया जाये. इस आशय की मांग राज्य के पूर्व कृषि मंत्री तथा भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. अनिल बोंडे द्वारा की गई है.
इस बारे में सरकार के नाम जारी पत्र में डॉ. अनिल बोंडे ने कहा कि, गरमी के मौसम में अच्छीखासी धुप तपने के बाद यदी मृग नक्षत्र में बारिश अच्छी हुई, तो ही संतरे की मृग बहार की फसल आती है. किंतु इस वर्ष बेमौसम बारिश की वजह से जमीन को पर्याप्त गरमी नहीं मिली. साथ ही मृग नक्षत्र की बारिश में भी कुछ विलंब हुआ. जिसकी वजह से मृग बहार की फसल ही नहीं आयी. ऐसे में जिन बगीचों को मृग बहार के लिए छोडा गया था, वे आज मृग बहार की फसल नहीं रहने के चलते पूरी तरह खाली पडे है और जिले के 90 फीसदी से अधिक किसान मृग बहार से वंचित है. दुर्भाग्य से प्रकृति का यह खेल मौसम आधारित बीमा के मानकों में शामिल नहीं किया गया है. ऐसे में यदि किसानों को सरकार द्वारा मदद नहीं की जाती है, तो किसानों के हाथ खाली ही रहनेवाले है.
इसके साथ ही पूर्व कृषि मंत्री डॉ. अनिल बोंडे ने यह भी कहा कि, इससे पहले अंबिया बहार का संतरा बिक्री हेतु बाजार में लाये जाने पर व्यापारियों द्वारा किसानों की एक तरह से आर्थिक लूट की गई. वहीं विदर्भ क्षेत्र से करीब 10 से 20 प्रतिशत संतरे का निर्यात बांग्लादेश में किया जाता है, किंतु अब बांग्लादेश ने आयात कर बढा दिया है. जिसकी वजह से विदर्भ सहित भारत से भेजे जानेवाले संतरे बांग्लादेश में काफी महंगे हो गये है. ऐसे में बांग्लादेश में किये जानेवाले निर्यात में भी कमी आयी है. अत: डॉ. अनिल बोंडे ने केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी को केंद्र सरकार के जरिये बांग्लादेश सरकार को आयात कर कम करने हेतु भी निवेदन किया है.

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