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शिवजी की भक्ति और शिवाजी की शक्ति से पवित्र है महाराष्ट्र की मिट्टी

अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पं. प्रदीप मिश्रा के मुखारबिंद से शुरु हुई शिवमहापुराण कथा

* पहले दिन की कथा सुनने भाविक श्रद्धालुओं की उमडी अपार भीड
* पंडितजी ने विदर्भ की धरा को बताया शिव और शक्ति की कृपावाला क्षेत्र
अमरावती/दि.16 – पूरे देश में महाराष्ट्र एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां पर सबसे अधिक पुरातन शिवमंदिर पाये जाते है. साथ ही महाराष्ट्र की देश का एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां पर सबसे अधिक संत एवं महापुरुष हुए है. देश के अन्य राज्यों की तुलना में महाराष्ट्र में ही सबसे अधिक ज्योतिर्लिंग स्थित है. ऐसे में कहा जा सकता है कि, महाराष्ट्र से ही समूचे देश में शिवभक्ति की गंगा प्रवाहित होती है. इसके साथ ही महाराष्ट्र से ही छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे धर्मरक्षक राजा हुए. जिन्होंने अपनी शक्ति से सनातन धर्म की रक्षा का कार्य किया. ऐसे में कहा जा सकता है कि, शिवजी की भक्ति और शिवाजी की शक्ति का महाराष्ट्र एक अनूठा संगम क्षेत्र है. वहीं आदि शक्ति सरुपा मां अंबादेवी व मां एकवीरा देवी का स्थान रहने के चलते अमरावती शहर सहित पूरा विदर्भ क्षेत्र शिव और शक्ति का कृपापात्र क्षेत्र कहा जा सकता है. अत: अमरावती सहित विदर्भ परिसर के वासियों में इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए शिव की भक्तिधारा को अविरत आगे बढाना चाहिए. इस आशय का प्रतिपादन अंतरराष्ट्रीय कथा प्रवक्ता पं. प्रदीप मिश्रा द्वारा किया गया.
समिपस्थ भानखेडा परिसर स्थित हनुमान गढी में 5 दिवसीय शिवमहापुराण कथा का प्रारंभ करते हुए कथाव्यास पं. प्रदीप मिश्रा ने उपरोक्त प्रतिपादन करने के साथ ही शिवमहापुराण कथा का महात्म्य बताया और कहा कि, कलयुग में इस भवसागर को पार करने के लिए भक्ति मार्ग ही एकमात्र रास्ता उपलब्ध है और सभी जीवों को अपना जीवनचक्र पूरा करने के बाद महाकाल यानि भगवान भोलेनाथ की शरण में ही जाना है, तो जिनकी शरण में मृत्यु पश्चात जाना है. उन्हें अभी से अपना बनाकर उनकी शरण ले लेनी चाहिए, ताकि मृत्यु पश्चात इस भवसागर को पार करते हुए जीवनचक्र की झंझट से मुक्ति मिले. अन्यथा फिर वहीं 84 लाख योनियों में भटकना पडेगा. जहां से भटकते-भटकते हम जीवनचक्र के अंतिम छोर यानि मनुष्य के तौर पर पैदा हुए है और अब यहां से हमें मौक्ष का रास्ता पकडना है. जिसके लिए पुण्य-कर्म करने के साथ ही भक्तिमार्ग को अंगीकार करना बेहद जरुरी है.
पांच दिवसीय शिवमहापुराण कथा का प्रारंभ करते हुए पं. प्रदीप मिश्रा ने अमरावती का भी बडा बखान किया तथा बताया कि, यहां आने से पहले ही उन्हें यह ज्ञात है कि, अमरावती सहित आसपास के परिसर में कई प्राचीन व पुरातन शिव मंदिर स्थित है, जो किसी जमाने में ऋषिमूनियों की तपोभूमि हुआ करते थे. साथ ही अमरावती का रामायण व महाभारत काल से भी सीधा संबंध है. ऐसे में खुद को अमरावती आने का मौका मिलने पर वे स्वयं को बेहद धन्यभागी समझते है. साथ ही इस पवित्रधरा पर जन्मे लोगों सहित यहां बैठकर शिवमहापुराण कथा का श्रवण करने वाले सभी लोग उनकी नजर में बेहद सौंभाग्यशाली है. ऐसे में यहां पर कथा श्रवण कर रहे सभी लोगों को चाहिए कि, वे अपना व अपने परिचय में रहने वाले सभी लोगों का जीवन सार्थक करने हेतु शिवभक्ति की परंपरा को आगे बढाये, क्योंकि जीवन की सभी समस्याओं का हल एवं समाधान केवल भगवान शिव की भक्ति में जरिए ही प्राप्त हो सकता है.
इस समय अपने संबोधन में पं. प्रदीप मिश्रा ने कहा कि, प्रभू श्रीरामचंद्र की दादी यानि राजा दशरथ की माता इंदूमति विदर्भ की सुपुत्री थी. साथ ही कृष्णप्रिया माता रुख्मिणी का मायका भी विदर्भ ही है. यानि विदर्भ की बेटियां समूचे विश्व में अपनी पताका फैलाती है. राणी इंदूमति ने अपने जीवनकाल में एक हजार करोड पार्थिव शिवलिंग का निर्माण किया था और लाखों शंकर स्वरुप का पूजन करते हुए वे हमेशा शिवनाम लिया करती थी. जिसके चलते उनकी आंखों में एक अनूठा तेज था और उनकी संकल्प शक्ति बडी प्रबल थी. यहीं वजह है कि, विदर्भ क्षेत्र पर आक्रमन करने से पहले विधर्मी व विद्रोही भी डरा करते थे.

* सबके लिए खुला है शिवजी का दरबार
शिवमहापुराण कथा के तहत भगवान भोलेनाथ की भक्ति का महत्व बताते हुए पं. प्रदीप मिश्रा ने कहा कि, इन दिनों भले ही भगवान भोलेनाथ के मंदिर बनने लगे है. जहां पर दरवाजे और ताले भी लगने लगे है. लेकिन अनादिकाल से शंकरजी का विग्रह रहने वाला शिवलिंग खुले में रहता था. जहां पर किसी के आने-जाने को लेकर कोई रोक-टोक नहीं थी, क्योंकि शिवजी का दरबार सबके लिए बराबर खुला रहता है. खुद भगवान भोलेनाथ के विवाह में भी किसी को निमंत्रण या न्यौता नहीं दिया गया था, लेकिन बिना निमंत्रण व न्यौते के ही सभी लोग भगवान भोलेनाथ की बारात में पहुंचे थे. इसी तरह हर व्यक्ति ने किसी के बलाने का इंतजार किए बिना खुद होकर शिव की भक्ति के मार्ग पर आगे बढना चाहिए और भगवान भोेलेनाथ की मर्जी पर भरोसा भी करना चाहिए. क्योंकि भगवान भोलेनाथ के दरबार से कोई भी खाली हाथ नहीं जाता.

* एक लोटा जल, सभी समस्याओं का हल, सुधरेगा आपका कल
पं. प्रदीप मिश्रा ने कहा कि, शिवमहापुराण की कथा किसी भी तरह से देवी-देवताओं और उनके भक्तों के बीच कोई भेद नहीं करती, बल्कि स्पष्ट संदेश देती है कि, भक्ति मार्ग के सभी रास्ते अनादि व अनंत रहने वाले भगवान शिव की शरण तक जाते है. साथ ही शिवलिंग पर चढाया जाने वाला एक लोटा जल सभी देवी-देवताओं तक पहुंचता है और शिवलिंग पर एक लोटा जल चढाने से भगवान भोलेनाथ सहित सभी देवी-देवता प्रसन्न होते है. यहीं वजह है कि, एक लोटा जल को सभी समस्याओं का हल कहा जाता है और शिवलिंग पर रोजाना एक लोटा जल अर्पित करते हुए अपने आने वाले कल यानि भविष्य को और अधिक बेहतर बनाया जा सकता है. अत: सभी ने नियमित तौर से अपने घर के आसपास स्थित शिवमंदिरों में जाकर शिवलिंग पर एक लोटा जल अर्पित करना चाहिए. यदि कोई व्यक्ति किसी कारण के चलते मंदिर जाने में समर्थ है, तो उसने अपने घर में ही शिवनामस्मरण करते हुए घर में बने शिवलिंग पर एक लोटा जल अर्पित जरुर करना चाहिए. पं. प्रदीप मिश्रा के मुताबिक नामस्मरण व मंत्रजाप में काफी बडी शक्ति होती है. जिसके जरिए जीवन में आने वाली बडी से बडी समस्याएं हल हो जाती है.

* भोजन और भजन पर ध्यान देना बेहद जरुरी
शुद्ध व सात्विक जीवनशैली पर विशेष जोर देते हुए पं. प्रदीप मिश्रा ने कहा कि, जिस तरह शरीर को गतिमान रखने हेतु भोजन करना जरुरी होता है, ताकि भोजन से शरीर को उर्जा मिले, उसी तरह मन और आत्मा को गति व उर्जा देने के लिए भजन करना भी बेहद जरुरी है. यदि ध्यान रखे कि, शरीर में कोई रोग आने पर भोजन नहीं हो पाता और मन में पाप बढ जाने पर भजन नहीं हो पाता. ऐसे में जिसके जीवन में भोजन और भजन अच्छे से चल रहे है, तो समझ लेना चाहिए कि, शिवजी की कृपा है और यदि दोनों में से एक भी चीज गडबडा रही है, तो समझ लेना चाहिए कि, भक्ति मार्ग शायद पीछे छूट रहा है. ऐसे समय तुरंत अपने आपको संभालकर भक्ति मार्ग पर आगे बढना चाहिए. साथ ही पं. प्रदीप मिश्रा ने कहा कि, जिस तरह कर्ज लेना आसान है, परंतु उसका भुगतान करना मुश्किल है, ठीक उसी तरह पाप करना अथवा किसी का अपमान करना बेहद आसान है, परंतु पाप-कर्म को भोगना बेहद मुश्किल है. अत: किसी का दिल दुखाने से या पाप करने से हमेशा बचना चाहिए.

* कई भाविक श्रद्धालुओं के बताए अनुभव, पत्र पढकर सुनाए
पहले दिन की कथा के दौरान पं. प्रदीप मिश्रा ने अपने द्वारा बताए गए उपायों के जरिए कई भाविक श्रद्धालुओं के जीवन में आए परिवर्तन तथा उन्हें हुए लाभ के संदर्भ में भी जानकारी दी तथा उपस्थितों के समक्ष ऐसे भाविक श्रद्धालुओं की ओर से भेजे गए पत्रों को पढकर सुनाते हुए उनके अनुभवों को विशद किया. साथ ही कहा कि, पवित्र नदियों के जल सहित रुद्राक्ष के जल में काफी शक्ति होती है. इसके अलावा शिवजी के नामस्मरण व पंचाक्षरी मंत्र के जाप से भी विभिन्न बाधाओें व समस्याओं को दूर किया जा सकता है. अत: सभी ने अपने आप को शिवभक्ति के मार्ग में समर्पित कर देना चाहिए.

* संगीतमय भजनों पर झूमे श्रद्धालू
पं. प्रदीप मिश्रा ने शिवमहापुराण की कथा सुनाने के साथ ही कथा के बीच में एक से बढकर एक सुमधुर भजन भी सुनाए तथा पंडितजी एवं उनके साथ आये गायकों व संगीतकारों की टीम ने पूरे आयोजन के दौरान कर्णप्रिय संगीत प्रस्तूत करते हुए माहौल बना रखा था. साथ ही संगीतमय भजनों की प्रस्तूति ने इसमें चार चांद लगा दिये थे. इस समय पं. प्रदीप मिश्रा द्वारा प्रस्तूत ‘प्रभू अपने दर से अब तो न उठाओ,’ ‘शंभू शरण पडी मांगों घडी-घडी,’ ‘तेरे मंदिर में आना मेरा काम है, मेरी बिगडी बनाना तुम्हारा काम है,’ ‘खाली न जाउ दर से तुम्हारे,’ ‘डमरु वाले बाबा तुझ को आना होगा, डम-डम डमरु बजाना होगा’, ‘मेरे भोले तेरा सहारा है, मेरी नैया लाखों की धारा है’ जैसे एक से बढकर एक सुमधुर भजन प्रस्तूत किए. जिन पर कथा पंडाल में उपस्थित राणा दम्पति सहित लाखों श्रद्धालू झुमते दिखाई दिए. साथ ही कई भाविक महिला श्रद्धालू ने आपस में जत्था बनाकर व्यासपीठ के समक्ष सुमधुर भजनों पर नृत्य करना शुरु कर दिया था. साथ ही कई भाविक श्रद्धालू कथा पंडाल में डमरु लेकर झुम रहे थे.

* दोपहर 1.20 बजे व्यासपीठ पर हुआ पं. प्रदीप मिश्रा का आयोजन
– राणा दम्पति ने की पंडितजी की अगुवानी, श्रद्धालुओं में दिखा हर्षोतिरेक
आज दोपहर ठीक 1.20 बजे कथा प्रवक्ता पं. प्रदीप मिश्रा का हनुमान गढी स्थित कथा पंडाल में आगमन हुआ. जहां पर सांसद नवनीत राणा व विधायक रवि राणा सहित हनुमान चालीसा ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने पं. प्रदीप मिश्रा की अगुवानी की. इस समय सांसद नवनीत राणा अपने सिर पर मंगल कलश धारण कर कथा पंडाल में उपस्थित हुई थी तथा राणा दम्पति को अपने साथ लेकर पं. प्रदीप मिश्रा व्यासपीठ पर पहुंचे. जहां पर उन्होंने राणा दम्पति को अपना आशीर्वाद दिया. साथ ही व्यासपीठ पर मंत्रोच्चारण करते हुए पवित्र जल छिडका. उसके बाद वे अपने आसंदी पर विराजमान हुए और नामस्मरण करते हुए ओम नम: शिवाय व श्री शिवाय नमस्त्युभ्यम् का जाप करना शुरु किया. विशेष उल्लेखनीय है कि, पं. प्रदीप मिश्रा का कथा पंडाल में आगमन होते ही भाविक श्रद्धालुओं में हर्षातिरेख व भावातिरेख वाली स्थिति देखी गई तथा नामजप व भजन शुरु होते ही श्रोताओं में मौजूद कई महिला अपने स्थान पर खडी होकर नांचने व झुमने लगी.

* आदिवासियों संग बैठे राणा दम्पति
पं. प्रदीप मिश्रा को व्यासपीठ पर विराजमान करने के पश्चात सांसद नवनीत राणा व विधायक रवि राणा व्यासपीठ से नीचे उतर आये तथा सबसे अगली पंक्ति में बिठाए गए मेलघाट के आदिवासियों के साथ जाकर बैठ गए. इसी स्थान पर बैठकर राणा दम्पति ने पूरा समय पहले दिन की शिवमहापुराण कथा सुनी. इस समय राणा दम्पति के साथ कथा पंडाल में शक्तिपीठ के पीठाधीश्वर शक्ति महाराज, मालखेड के शिवानंदपुरी महाराज, नांदगांव खंडेश्वर के मोहनपुरी महाराज तथा छिंदवाडा जिलांतर्गत चांदामेटा के सीताराम विश्वकर्मा महाराज जैसे अनेकों संत-महंत भी उपस्थित थे.

* हर माथे पर लगा दिखा त्रिपुंडवाला तिलक
विशेष उल्लेखनीय है कि, कथा पंडाल में मौजूद प्रत्येक व्यक्ति के माथे पर त्रिपुंडवाला तिलक लगा दिखाई दिया. भाविक श्रद्धालुओं को यह तिलक लगाने हेतु मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश के कई शहरों से तिलक लगाने वाले लोगों की टोलियां हनुमान गढी परिसर में पहुंची है. खास बात यह है कि, तिलक लगवाने वाले लोगों से इन लोगों द्वारा कोई पैसा नहीं मांगा जाता, बल्कि वे यह काम सेवा के तौर पर करते दिखाई दिए और यदि कोई श्रद्धालु अपने स्वेच्छा से कुछ पैसा देता है, तो वे उसे स्वीकार कर लेते है.

* हजारों स्वयंसेवकों की फौज लगी रही श्रद्धालुओं की सेवा में
विगत दो दिनों की तरह ही आज सुबह से जैसे-जैसे भाविक श्रद्धालू की आयोजन स्थल पर भीड उमडनी शुरु हुई, वैसे-वैसे श्री हनुमान चालीसा चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से गठित की गई विभिन्न कार्यसमितियों के पदाधिकारी, सेवाधारी व स्वयंसेवक भाविकों की सेवा में तत्परता के साथ जुट गये. जिसके तहत आयोजन स्थल पर बजरंग ब्रिजकिशोर जयस्वाल परिवार की ओर से खिचडी व जलसेवा, वीर हनुमानजी पगडीवाले कंस्ट्रक्शन के संचालक विजय (भाईजी) खंडेलवाल की ओर से पुलाव तथा पांढरी निवासी कमलेश सुंदरलाल पटेल की ओर से केले का वितरण किया गया.

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