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राज्य सरकार ने अपने ही मंत्री के खिलाफ दायर किया हलफनामा

एड. ठाकुर की याचिका खारिज करने कहा

  • सजा पर स्थगन देने से किया इन्कार

  • एड. ठाकुर द्वारा ट्राफिक पुलिस कर्मी से मारपीट का मामला

अमरावती प्रतिनिधि/दि.२८ – गत रोज मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में उस समय अजीबोगरीब हालात पेश आये, जब प्रदेश की महिला व बालविकास मंत्री एवं अमरावती की जिला पालक मंत्री एड. यशोमति ठाकुर को अमरावती जिला व सत्र न्यायालय द्वारा सुनायी गयी सजा को लेकर राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में हलफनामा दायर करते हुए अपनी ही मंत्री की उस याचिका को खारिज करने का निवेदन किया. जिसमें याचिकाकर्ता एड. ठाकुर ने अपनी सजा पर रोक लगाने की अपील कर रखी है. इस मसले को लेकर राज्य सरकार द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया है कि, एड. ठाकुर को जिला अदालत द्वारा सुनायी गयी सजा पर रोक लगाने का कोई ठोस कारण ही नहीं है. अब तक माना जा रहा था कि, राज्य सरकार में मंत्री रहनेवाली एड. यशोमति ठाकुर को इस मामले में राज्य की महाविकास आघाडी सरकार के विधि विभाग की ओर से सहयोग मिलेगा.
किंतु राज्य सरकार की ओर से दायर हलफनामा इस उम्मीद के पूरी तरह से विपरित रहा. उल्लेखनीय है कि, ऐसे मामलों को लेकर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पहले ही स्पष्ट किया जा चुका है कि, किसी भी सजा पर रोक लगाने का आदेश जारी करते समय संबंधित न्यायालय को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि, वह मामला ‘रेयर केस‘ की श्रेणी में आता है अथवा नहीं. साथ ही सजा लागू करने से आरोपी के साथ कोई अन्याय या पूर्वाग्रह तो नहीं हो रहा. इस गाईडलाईन का अनुसरन करते हुए राज्य सरकार द्वारा पेश किये गये हलफनामे में कहा गया है कि, एड. यशोमति ठाकुर की सजा पर रोक लगाने के लिए ऐसे कोई तथ्य नहीं है. साथ ही कैबिनेट मंत्री रहनेवाली एड. ठाकुर का यह कहना कि, सजा होने से उनके साथ अन्याय होगा, या फिर उनके मौजूदा पद पर संकट आयेगा, यह भी तर्कसंगत बात नहीं है. इस हलफनामे में यह भी कहा गया है कि, याचिकाकर्ता द्वारा अब तक यह भी साबित नहीं किया जा सका कि, उनका मामला रेयर यानी विलक्षण की श्रेणी में आता है. राज्य सरकार का पक्ष सुनने के बाद हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई को आगामी एक सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया है. लेकिन राज्य सरकार की ओर से पेश किये गये हलफनामे को देखते हुए अब सभी की निगाहे इस मामले की ओर बडी उत्सूकता के साथ लगी है.

  • क्या था मामला

ज्ञात रहे कि, २४ मार्च २०१२ को तत्कालीन विधायक यशोमति ठाकुर अपने तीन कार्यकर्ताओं के साथ कार में सवार होकर मुधोलकर पेठ से चुना भट्टी होते हुए गांधी चौक की ओर जा रही थी. किंतु इस मार्ग पर वन-वे रहने की वजह से उस ओर जाना प्रतिबंधित था. इस बात को लेकर चुना भट्टी के पास ड्यूटी पर तैनात यातायात पुलिस कर्मी उल्हास रौराले ने एड. यशोमति ठाकुर का वाहन रूकवाया. जिसे लेकर दोनों पक्षों के बीच विवाद हुआ और एड. यशोमति ठाकुर व उनके समर्थकों ने पुलिस कर्मी उल्हास रौराले के साथ मारपीट की. पश्चात पुलिस कर्मी रौराले की शिकायत पर राजापेठ पुलिस थाने में एड. यशोमति ठाकुर, सागर खांडेकर, शरद जवंजाल व राजू इंगले के खिलाफ मामला दर्ज किया गया. जिस पर हुई सुनवाई पश्चात जिला व सत्र न्यायालय ने चारों आरोपियों को दोषी करार देते हुए उन्हें तीन-तीन माह के सश्रम कारावास और १५ हजार ५०० रूपये के जुर्माने की सजा सुनायी थी. सजा सुनाये जाते ही एड. यशोमति ठाकुर ने जिला व सत्र न्यायालय से जमानत हासिल की थी और इस सजा के खिलाफ नागपुर हाईकोर्ट में अपील दायर की थी. जिस पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से उसका पक्ष जानना चाहा था.

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