मुगलों व अंग्रेजों को भी पीछे छोड दिया राज्य सरकार ने
पत्रवार्ता में बजरंग दल ने सरकार की नीतियों का किया विरोध
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पंढरपुर यात्रा व पैदल वारी की परंपरा को अबाधित रखने की उठायी मांग
अमरावती/प्रतिनिधि दि.15 – महाराष्ट्र यह महान साधु-संतों की परंपरा रहनेवाली पुण्यभुमि है. इसी परंपरा के तहत वारकरी संप्रदाय और वारकरियों द्वारा प्रतिवर्ष की जानेवाली पंढरपुर वारी महाराष्ट्र की संस्कृति व उपासना पध्दति का अविभाज्य घटक है. सैंकडों वर्षों की यह परंपरा मुगलों व अंग्रेजोें के शासनकाल में भी कभी बाधित नहीं हुई, लेकिन महाराष्ट्र की महाविकास आघाडी सरकार ने इस मामले में मुगलों व अंग्रेजों को भी पीछे छोड दिया है और कोविड संक्रमण की वजह को आगे करते हुए धार्मिक परंपरा पर आघात करने का प्रयास किया जा रहा है. इस आशय का आरोप विश्व हिंदू परिषद प्रणित बजरंग दल की जिलाशाखा द्वारा लगाया गया है.
इस संदर्भ में यहां बुलायी गयी पत्रकार परिषद में देवनाथ पीठाधीश्वर पपू जीतेंद्रनाथजी महाराज द्वारा कहा गया कि, विगत वर्ष जुलाई माह के दौरान कोविड संक्रमण की रफ्तार लगातार बढ रही थी. जिसके चलते वारकरी समाज ने खुद पंढरपुर यात्रा व पैदल वारी को रद्द करने का निर्णय लिया था और सरकार के साथ पूरा सहयोग किया था. किंतु इस वर्ष अब कोविड संक्रमण की रफ्तार पूरी तरह से घट गई है और आम जनजीवन भी धीरे-धीरे पहले की तरह सामान्य होता दिखाई दे रहा है. जिसके लिए खुद राज्य सरकार द्वारा अनलॉक की प्रक्रिया को गतिमान करते हुए कई तरह की छूट दी गई है. किंतु वारकरियों सहित समूचे महाराष्ट्र के लिए श्रध्दा का विषय रहनेवाली पंढरपुर यात्रा और पैदल वारी पर तमाम तरह के प्रतिबंध कायम रखे गये है. यह सीधे-सीधे लोगों के धार्मिक मामले में सरकार का हस्तक्षेप है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि 750 वर्षों की परंपरा रहनेवाली पैदलवारी को अनुमति दी जाये. साथ ही राज्य की 10 मानांकित पालखियों के 500 वारकरियों को तथा अन्य सभी पालखियों के साथ 3 से 4 वारकरियों को पंढरपुर यात्रा करने की अनुमति दी जाये. चाहे तो इसमें कोविड प्रतिबंधात्मक वैक्सीन के दोनों डोज लगवा चुके लोगों की आरटीपीसीआर टेस्ट करते हुए उन्हेें यात्रा की अनुमति दी जाये. इसके बावजूद यदि सरकार को पैदल वारी से संक्रमण का खतरा महसूस होता है, तो पंढरपुर की यात्रा पर निकले वारकरी रास्ते में पडनेवाले गांव व शहरों से बाहर ही रूकेंगे.
इस पत्रकार परिषद में राज्य के वरिष्ठ किर्तनकार बंड्या तात्या कराडकर को पुलिस दल द्वारा गिरफ्तार किये जाने और बीच रास्ते में वारकरियों की परंपरागत पोशाख उतरवाने के संदर्भ में की गई कार्रवाई को हिंदुत्व एवं महाराष्ट्र की संस्कृति का अपमान बताया गया. साथ ही हिरासत में लिये गये सभी संतों व वारकरियों को तुरंत रिहा किये जाने की मांग करते हुए मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे से वारकरी समाज की माफी मांगने और इस पूरे मामले की नैतिक जवाबदारी को स्वीकार करते हुए पंढरपुर में शासकीय पूजा हेतु नहीं आने की मांग भी की गई. इसके अलावा चेतावनी दी गई कि, साधु-संतों व वारकरियों के साथ किये गये अपमानास्पद व्यवहार के खिलाफ विश्व हिंदू परिषद व बजरंग दल के नेतृत्व में संपूर्ण वारकरी एवं हिंदू समाज की ओर से समूचे विदर्भ में भजन-कीर्तन आंदोलन किया जायेगा और जिले के विविध मंदिरों से जिलाधीश कार्यालय पर मोर्चे निकाले जायेंगे. जहां पर भजन-कीर्तन करते हुए वारी की स्मृति के तौर पर पांडुरंग वृक्ष लगाया जायेगा, ताकि अगली पीढी को यह याद दिलाया जा सके कि, महाविकास आघाडी सरकार द्वारा 500 वर्ष से अधिक पुरानी परंपरा को खंडित करने के साथ ही संत समाज एवं वारकरियों की धार्मिक भावनाओं का दमन किया गया था.
इस पत्रकार परिषद में विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मार्गदर्शक पपू पीठाधीश्वर जीतेंद्रनाथजी महाराज सहित विहिंप के विदर्भ प्रांत मंत्री गोविंद शेंडे, अ.भा. श्री गुरूदेव सेवा मंडल के महासचिव जनार्दनपंत बोथे गुरूजी, वारकरी महामंडल के जिलाध्यक्ष श्यामबाबा निचत, विहिंप के जिलाध्यक्ष अनिल साहू, महानगर अध्यक्ष दिनेशसिंह, जिला मंत्री बंटी पारवानी तथा चेतन पाटनकर, गौरव देहेले व जिला सहमंत्री रूपेश राउत आदि उपस्थित थे.