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गुगामल वन्यजीव के पस्त लई में सुबह 8 बजे दिखी बाघिन
आज शनिवार को संगीता को साथ मिला 'शालिनी ' का ...!
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चिखलदरा वनपरिक्षेत्र में हो रहे वन्यप्राणियो के दर्शन
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मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प में पहलीं मर्तबा बाघ का बना वीडियो
परतवाड़ा/मेलघाट दि. 17 – वो पिछले तीन वर्षों से अतिदुर्गम पस्तलई स्थित जिला परिषद पाठशाला में बच्चों को पढ़ाने जा रही,लेकिन आज तक जो कभी सोचा भी नही था,वो आज हो गया. आज 17 जुलाई,शनिवार की सुबह शिक्षिका संगीता सोलंकी को एक हष्टपुष्ट बाघ को देखने का महासंयोग प्राप्त हुआ.हमने इसका आज ‘शालिनी ‘ नाम रख दिया है.शालिनी इसलिए कि इस फीमेल टाइगर ने अत्यंत ही शालीनता के साथ सोलंकी को दर्शन दिए.20 मिनट की संगीता और शालिनी की मुलाखात बड़े ही सौहाद्रपूर्ण वातावरण में हुई.वन्य प्राणी और मानव संघर्ष जैसा कुछ भी अनर्थ नही हुआ.इसलिए हमने उसे शालिनी नाम दे दिया.पिछले तीन वर्षों से वो रोजाना चिखलदरा से पस्त लाई आना-जाना कर रही है,किंतु कभी ऐसा स्वर्णिम अवसर नहीं मिला जब इतने नजदीक से जंगल के राजा के दर्शन करने का सौभाग्य मिला हो.आज शनिवार को यह अतिदुर्लभ चांस उन्हें प्राप्त हुआ.पस्तलई गावं का पुनर्वसन हो चुका है.80 से 85 प्रतिशत नागरिक गाँव छोड़कर वड़गाव फतेपुर और येवता में बस चुके.वर्तमान में पस्तलई में 10 से 15 प्रतिशत लोग ही निवास कर रहे.इसके आजु-बाजू स्थित चुरणी और वैराट भी अन्य जगह स्थानातंरित किये गए है.कोरोना संक्रमण के चलते चिखलदरा से चलती जंगल सफारी भी बंद है.वैसे रोजाना संगीता मैडम सुबह 10 के बाद स्कूल पहुंचती है.पस्तलई में दो शिक्षकी स्कूल है.शनिवार होने से आज सुबह की स्कूल थी.चिखलदरा स्थित रेंजर कालेज के आगे गुगामल वन्यजीव के चेकपोस्ट पर सोलंकी इनकी कार रुकी.उन्होंने ताजी और शुध्द हवा खाने के उद्देश्य से अपने चेहरे पर लगा मास्क हटा लिया.कार चालक मोहन भी मास्क हटाकर आराम से ड्रायविंग सीट पर बैठ गया.गेट खुलने के बाद कार पस्तलई की ओर बढ़ने लगी तब संगीता मैडम को एक पेड़ के सामने बड़ी और मोटी सी पूंछ दिखाई दी.उन्होंने क्या है,कौनसा प्राणी है,यह जानने उत्सुकतावश गाड़ी रोकने को कहा.कार रुकी ही थी कि एक पूर्णतः वयस्क बाघ उनकी कार के सामने के कच्चे रास्ते से पस्तलई की दिशा में जाने लगा.कोरोना के चलते खुद सोलंकी भी इतनी सुबह कभी स्कूल नही पहुंची थी.बहुत ही सुबह का समय,रास्ते मे कोई दूसरा वाहन भी नही…टाइगर आगे और संगीताजी पीछे.काफी देर तक उनकी कार बाघ के पीछे चलती रही.एकदम से बाघ दिखाई देने से संगीताजी पहले क्षण में तो घबरा गई थी,उन्होंने स्वयं को संभाला,अपने ह्रदय की गति को सामान्य बनाया.हवा खाने के उद्देश्य से चेहरे का मास्क हटा लिया था और कार की खिड़कियां भी खोल ली गई थी.उन्होंने शांति के साथ जितने फोटोज और वीडियो बना सकते थे,वो सब बना लिए.संगीताजी खुद भी इस चमत्कार से बहुत ज्यादा खुश थी.करीब 20 मिनट से भी ज्यादा समय तक बाघ उनके सामने-सामने चलता रहा.पस्तलई कोई दो से ढाई किमी ही रह गया था.तब संगीताजी ने अपने चालक मोहन को कार रोक देने को कहा.उनका सोचना था कि यदि बाघ गावं में चला गया तो अनर्थ हो जायेगा.सो,कार रोक दी गई.कुछ ही क्षणों में बाघ घने जंगल मे कुच कर गया.
मूलतः अमरावतीं शेगावं नाका परिसर में संगीता सोलंके का निवास स्थान है.पिछले तीन वर्षों से वो जिप की इस स्कूल पर अध्यापन का कार्य कर रही है.अमरावतीं मंडल के प्रस्तुत प्रतिनिधि से चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि इतने वर्षों में अन्य छोटे-बड़े सभी वन्य प्राणी देखने को मिले,किंतु बाघ आज तक दिखाई नही दिया.बाघ देखा भी तो दूर से,कभी पूंछ तो कभी सिर्फ चेहरा ही दिखाई दिया.आज तो हम पर कुदरत ही मेहरबान रही.20 मिनट तक बाघ आगे -आगे और हम पीछे पीछे रहे.आज शालिनी अपनी मदमस्त चाल में,एक रानी के समान,जंगल के बादशाह जैसा कार के आगे आगे चलती रही.वो बार बार पीछे मुड़कर भी देखती थी कि कई संगीता और उनकी कार वापिस तो नही चली गई है??इस 20 मिनट के सफर में सोलंकी मैडम की खुशी का कोई ठिकाना ही नही था.पस्तलइ में अपनी शाला पर पहुंचने के बाद उन्होंने एक युवक जो कि बाइक पर चिखलदरा जा रहा था,उसे जाने से रोका.संगीता नव ग्रामवासियो को बताया कि नजदीक पास ही बाघ घूम रहा है.उन्होंने गाँव के लोगो को खुद बनाया वीडियो भी दिखाया.वीडियो देखने पर उनकी परिचित गंगूबाई ने बताया कि यह बाघ नही बल्कि बाघिन है.यह अपने शावकों (बच्चे,कब)को खोज रही.पिछले आठ दस दिनों से शालिनी ने पस्तलई परिसर में ही डेरा डाल रखा है.जिस दिन स्कूल खुली,उस दिन गावं पटेल के घर पर खाना था.उस दिन भी इस शालिनी की दहाड़ने की आवाजें आ रही थी.तब कोई जानकार ने बताया था कि यह दहाड़ उसके बच्चों को कॉल करने के लिए है.
संगीताजी सोलंकी ने आज शनिवार की सुबह 8 बजे का यह अदभुत घटनाक्रम हमे ज्यूँ का त्यों बताया.
आज सुबह पस्तलई में बाघ दिखने के बारे में प्रस्तुत प्रतिनिधि ने गुगामल के चिखलदरा रेंज के वनपरिक्षेत्र अधिकारी मयूर भैलुमे को मोबाइल पर जानकारी देते हुए प्रश्न किया, क्या आपको बाघ दिखाई देने की जानकारी है?तब उन्होंने कहां, नही.लेकिन मैं अपने वनरक्षक और अन्य स्टाफ से जानकारी लेकर आपको बताता हूँ.प्रस्तुत प्रतिनिधि ने ही आरएफओ मयूर भैलुमे को संगीताजी के साथ हुई मुलाखात की पूरी जानकारी दी.
पिछले 25 वर्षों में किसी मंत्री संत्री और आला अफसर को इतने नजदीक से मेलघाट में टाइगर देखने को नसीब नहीं हुआ.तत्कालीन मुख्यमंत्री सुधाकर नाइक और पृथ्वीराज चौहान यह घूम घूमकर थक गए,किंतु बाघ नजर नही आया.स्थानीय मेलघाट टाइगर प्रोजेक्ट के मुख्यालय में, सिपना,गुगामल और आकोट वन्यजीव विभाग के पास भी प्रत्यक्ष में बाघ इतनी देर तक, वो भी रोड पर चलता हुआ कभी दिखाई दिया इसकी आज तक कोई पुख्ता जानकारी पढ़ने-देखने को नही मिली है.टाइगर प्रोजेक्ट के पास मेलघाट के ओरिजनल बाघ के वीडियो और फोटोग्राफ्स भी देखने निहि मिलते है.मेलघाट में टाइगर है अथवा नही इस पर भी हमेशा विबाद होते रहते.बाघ गणना (टाइगर सेंसस )में जाते लोग भी कहते कि बाघ नही है.आज शिक्षिका संगीता सोलंकी ने ‘शालिनी ‘ से गोलमेज कांफ्रेंस कर पूरे जिले को मैसेज दिया है कि मेलघाट में बाघ है,हष्टपुष्ट और प्रौढ़ बाघ है…सिर्फ तकदीर और संयम चाहिए बाघ देखने को.हजारों-लाखों वन्यप्रेमियो में से संगीताजी किस्मत की वो करोड़पति बनी है,जिसने आज बाघ देखा,नजदीक से देखा,वीडियो भी बनाया.इस बाघ दर्शन का मान मिलने पर ,सम्मान मिलने पर संगीता सोलंकी की तकदीर से जलन होने लगी है.बहरहाल ये बड़ा ही सकारात्मक और सुखद संदेश है कि मेलघाट में वन्यप्राणियो की संख्या मव वृद्धि होने लगी है.