नागपुर/प्रतिनिधि दि.३१ – देश में इस समय कोरोना की वजह से हालात काफी खतरनाक हो चले है.किंतु इस स्थिति में भी न्यायदान की प्रक्रिया को रोका नहीं जा सकता. यदि आस्मान भी टूटकर गीर जाये, तो भी न्यायदान की प्रक्रिया अखंडित व अबाधित रूप से चलती रहनी चाहिए. इस आशय का विचार देश के मुख्य न्यायमूर्ति शरद बोबडे ने व्यक्त किये. मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ द्वारा रामगिरी परिसर के न्यायीक अधिकारी प्रशिक्षण केंद्र में स्थापित ई-रिसोर्स सेंटर का शनिवार की दोपहर सीजेआय शरद बोबडे के हाथों उद्घाटन किया गया. इस अवसर पर वे अपने विचार व्यक्त कर रहे थे. इस समय उन्होंने कहा कि, कोरोना संक्रमण के खतरे की वजह से अदालतों में नियमित तौर पर कामकाज चलना असंभव था. ऐसे में तत्कालीक उपाययोजनाओं पर अमल करते हुए वीडिया कांफ्रेंसिंग के जरिये मामलों की सुनवाई का काम किया गया और न्यायदान की प्रक्रिया को शुरू रखने हेतु न्याय व्यवस्था के हर एक घटक ने महत प्रयास किये. आनेवाली चुनौतियों का भी हमें इसी तरह सामना करते हुए आगे बढना होगा. उन्होंने कहा कि, न्याय व्यवस्था में सूचना तकनीक का उपयोग शुरू किये जाने के बाद यह समस्या देखी गयी कि, कई वकीलों के पास इस हेतु आवश्यक साधन उपलब्ध नहीं थे. ऐसे में न्यायदान की प्रक्रिया बाधित न हो और सभी को समान अवसर मिले. इस बात के मद्देनजर समस्या का समाधान करने ई-रिसोर्स सेंटर शुरू किया गया है. जहां से अब वकील देश की किसी भी अदालत में अपनी याचिका दाखिल कर सकेंगे और उन्हें ऑनलाईन सुनवाई में शामिल होने की सुविधा उपलब्ध होगी. देश का केंद्र बिंदू रहनेवाले नागपुर में देश का पहला ई-रिसोर्स सेंटर खोला गया है और जल्द ही यह सुविधा समूचे देश में उपलब्ध करायी जायेगी. इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि, कोरोना काल के दौरान सभी न्यायालयों में केवल अत्यावश्यक व बेहद जरूरी मामलों पर ही सुनवाई की जा रही है. ऐसे में आनेवाले समय में प्रलंबित मामलों की समस्या बढेगी. ऐसे में इस समस्या से बाहर निकलने के लिए मध्यस्थतावाली न्याय व्यवस्था का उपयोग करना बेहद आवश्यक रहेगा. जिसके बारे में पक्षकारों को विचार करना होगा.