केवल दो करोड के अभाव में भूमिगत विद्युत सप्लाय का काम अटका
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70 करोड खर्च करने के बावजूद ‘ओवरहेड’ आपूर्ति चल रही
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शहर में केवल 15 प्रतिशत इलाकों में ही अंडरग्राउंड पावर सप्लाय
अमरावती/प्रतिनिधि दि.12 – समूचे शहर में विद्युत वाहिनी को ‘अंडरग्राउंड’ करते हुए ग्राहकों को अखंडित विद्युत आपूर्ति उपलब्ध करायी जा सके. साथ ही महावितरण कर्मियों के लिए खतरा घटाया जा सके, इस बात के मद्देनजर पांच वर्ष पूर्व इंटिग्रेटिंग पॉवर डेवलपमेंट स्कीम (IPDS) योजना अंतर्गत अमरावती शहर में करीब 70 करोड रूपये खर्च करते हुए भुमिगत केबल डालने का काम शुरू किया गया. जो करीब सवा वर्ष पूर्व हो चुका है. किंतु मात्र दो करोड रूपये की निधी उपलब्ध नहीं हो पाने की वजह से अंतिम चरण तक आ पहुंचा यह काम अधर में लटका हुआ है. जिसकी वजह से शहर में अब भी ‘ओवरहेड’ विद्युत तारों के जरिये ही विद्युत आपूर्ति की जा रही है और हलके आंधी-तूफान व बारिश की वजह से ग्राहकों को बार-बार बिजली गुल होने की समस्या का सामना करना पडता है.
उल्लेखनीय है कि, इन दिनों बारिश का मौसम शुरू हो चुका है और शहर के विभिन्न इलाकों में बार-बार विद्युत आपूर्ति खंडित हो रही है. जिसकी वजह से लोगबाग काफी त्रस्त हो चले है. ऐसी ही समस्याओं को खत्म करने हेतु पांच वर्ष पूर्व भुमिगत विद्युत केबल डालने का काम शुरू किया गया था और पूरे शहर में भुमिगत केबल का जाल बिछाया गया था. किंतु ‘हाथी निकल गया, पर दुम अटक गयी’ वाली कहावत के अनुसार 70 करोड रूपयों का काम पूरा हो गया और केवल 2 करोड रूपयों का अभाव रहने के चलते यह महत्वाकांक्षी प्रकल्प अब भी अधुरा पडा है.
बता दें कि, अमरावती शहर में करीब 900 किलोमीटर से अधिक विद्युत केबल को भुमिगत बिछाया जा चुका है. किंतु इन भुमिगत केबलों को अब तक विद्युत आपूर्ति करनेवाले विद्युत पोल के साथ कनेक्ट नहीं किया गया है. जिसकी वजह से शहर में अब भी 80 से 85 फीसदी क्षेत्रों में विद्युत पोल पर रहनेवाले ‘ओवर हेडेड’ वायरों के जरिये ही विद्युत आपूर्ति करनी पड रही है. जबकि इन भुमिगत केबलों को विद्युत पोल के साथ कनेक्ट करने हेतु केवल 2 करोड रूपयों की जरूरत है. किंतु विगत सवा वर्ष से यह काम पूरा नहीं हो पाया है. इस संदर्भ में महावितरण के एक अधिकारी का कहना रहा कि, इस योजना में केवल भुमिगत विद्युत केबल डालने के काम को समाविष्ट किया गया था. किंतु इन केबलों को फीडर पिलर के साथ जोडने और ओवरहेड तारों को निकालने के खर्च का समावेश नहीं किया गया था. जिसकी वजह से 70 करोड रूपये की लागत से भुमिगत केबल बिछाने का काम पूरा होने के बावजूद मात्र 2 करोड रूपये के अभाव में यह महत्वाकांक्षी योजना अधूरी पडी है. जिसकी वजह से विद्युत ग्राहकों को आज भी बार-बार विद्युत आपूर्ति खंडित होने की समस्या का सामना करना पड रहा है.
हालांकि महावितरण द्वारा ग्राहकों को अखंडित सेवा देने का प्रयास किया जाता है. किंतु कई बार आंधी-तूफान की वजह से विद्युत पोल टूट जाते है. या विद्युत तारों पर पेडों की टहनियां टूटकर गिरती है. जिसकी वजह से विद्युत आपूर्ति खंडित हो जाती है और ऐसे समय महावितरण के कर्मचारियों को विद्युत पोल व विद्युत तारोें को ठीक करने के साथ ही रात-बेरात तकनीकी खराबी को खोजकर उसे ठीक करना पडता है. यदि भुमिगत केबल के जरिये विद्युत आपूर्ति का काम शुरू हो गया होता, तो इन सभी दिक्कतों से बचा जा सकता था. किंतु इसके लिए आवश्यक दो करोड रूपयों की निधी अब तक महावितरण के स्थानीय कार्यालय को वरिष्ठ कार्यालय से प्राप्त नहीं हुई है. जिसकी वजह से भूमिगत केबल के जरिये विद्युत आपूर्ति का काम अधर में लटका हुआ है.
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भुमिगत विद्युत आपूर्ति के लाभ
भुमिगत केबल के जरिये विद्युत आपूर्ति शुरू होने पर महावितरण कर्मियों को ज्यादा से ज्यादा काम फीडर पिलर पर करने होंगे. जिसकी वजह से बार-बार विद्युत पोल पर चढने का प्रमाण कम होगा और हादसों की संख्या भी घटेगी. साथ ही आंधी-तूफान व बारिश की वजह से विद्युत तार, रोहित्र व विद्युत पोल का नुकसान कम होगा तथा ग्राहकों को अखंडित सेवा का लाभ मिलेगा. इसके अलावा चूंकि हवा से गुजरनेवाले विद्युत तार ही नहीं होंगे, तो विद्युत तारों पर हूक डालकर होनेवाली विद्युत चोरी की घटनाएं खत्म हो जायेगी. साथ ही बिजली का झटका लगने की वजह से होनेवाले हादसों का प्रमाण भी खत्म हो जायेगा.
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योजना का काम पूर्ण हो चुका
आयपीडीएस योजना अंतर्गत शहर सहित कुछ ग्रामीण हिस्सों में भुमिगत केबल डालने का काम किया गया है. साथ ही शहर के कई इलाकों में एबी केबल भी डाला गया है. हमारे पास रहनेवाली योजना का काम करीब सवा वर्ष पूर्व ही पूरा कर लिया गया है. इस योजना के तहत शहर के विद्युत तारों को भुमिगत करके देने की जिम्मेदारी दी गई थी. जिसे हमने पूरा किया है. साथ ही कुछ स्थानों पर कनेक्शन भी जोडकर दिये गये है, जबकि कनेक्शन जोडकर देने का काम हमारे पास नहीं था.
– अनिल वाकोडे
अधीक्षक अभियंता, (इन्फ्रा)
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एक साल से नहीं मिली निधी
भुमिगत केबल डालने के काम हेतु अलग से निधी दी गई थी. वहीं शेष कामों के लिए और दो करोड रूपयों का खर्च अपेक्षित है. किंतु अब तक इसके लिए निधी प्राप्त नहीं हुई है. इन दो करोड रूपयों की निधी के लिए रिपोर्ट तैयार कर एक वर्ष पहले ही वरिष्ठ कार्यालय को भेज दी गई थी. किंतु एक साल से इस काम के लिए हमें दो करोड रूपयों की निधी नहीं मिली है. निधी प्राप्त होने के बाद भुमिगत केबल के कनेक्शन का काम पूर्ण किया जायेगा.
– सुचित्रा गुर्जर
मुख्य अभियंता, महावितरण