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फिर थमे एसटी के पहिए

जिले के डेढ हजार रापनि कर्मी दुबारा हडताल पर

* ऐन त्यौहार के समय यात्रियों को उठानी पडी भारी परेशानियां

* सभी आगारों में यात्रियों का रहा जमघट, कोई बस नहीं छूटी

* एक ही दिन में रापनि को हुआ 35 लाख का नुकसान

* अब तक हडताल के चलते पौने दो करोड का हो चुका है घाटा

अमरावती/दि.8- गत रोज राज्य परिवहन निगम के चालकों व वाहकों द्वारा रापनि को स्वतंत्र महामंडल रखने की बजाय सरकारी सेवा में शामिल किये जाने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हडताल करनी शुरू कर दी है. अकस्मात शुरू की गई इस हडताल की वजह से रविवार को जिले के लगभग सभी आगारों पर एसटी बसों के पहिये थमे रहे और इक्का-दुक्का रूटों को छोडकर किसी भी रूट पर एसटी बस नहीं छोडी गई. ऐसे में जगह-जगह पर यात्री फंस गये. चूंकि अभी हाल ही में दीपावली व भाईदूज का पर्व मनाया गया है. ऐसे में लोगबाग बडी संख्या में अपने नातेदारों व रिश्तेदारों से मिलने हेतु बाहरगांव आना-जाना कर रहे है. साथ ही कई लोग बाहरगांव से अपने घर वापिस लौट रहे है. जिसके चलते रापनि के सभी आगारों में अच्छीखासी भीडभाड है. विशेष कर ग्रामीण इलाकों में रापनि के अलावा आवागमन का और कोई दूसरा साधन नहीं होता. जिसकी वजह से लोगबाग अपनी आवाजाही के लिए रापनि बसों पर ही निर्भर करते है. किंतु गत रोज अचानक ही रापनि वाहकों व चालकों की हडताल शुरू हो जाने के चलते ऐसे सभी लोगों को काफी हद तक परेशानियों का सामना करना पडा.
बता दें कि, इससे पहले 27 अक्तूबर से रापनि कर्मियों द्वारा अपनी विभिन्न मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन आमरण अनशन करना शुरू किया गया था. जिसमें हस्तक्षेप करते हुए खुद हाईकोर्ट द्वारा रापनि कर्मियोें को आश्वस्त किया गया था कि, हाईकोर्ट द्वारा राज्य सरकार को इस संदर्भ में आवश्यक निर्देश दिये जायेंगे. साथ ही रापनि कर्मियों की मांगों पर विचार करने हेतु समिती गठित की जायेगी. इसके साथ ही राज्य सरकार द्वारा भी रापनि कर्मियों के डीए, घरभाडा भत्ता व इंक्रीमेंट बढाने से संबंधी मांगों को स्वीकार कर लिया गया था. जिसके बाद रापनि कर्मियों का आंदोलन व अनशन पीछे ले लिया गया था. किंतु इसके बाद राज्य परिवहन निगम को महामंडल की बजाय पूर्णत: सरकारी महकमा घोषित किये जाने की मांग को लेकर समूचे राज्य में रापनि कर्मियों द्वारा एक बार फिर काम बंद आंदोलन करना शुरू किया गया और महाराष्ट्र की ‘लाईफ-लाईन’ कही जाती एसटी बसों के पहिये एक बार फिर थम गये.
जहां एक ओर अमरावती के मध्यवर्ती बस स्थानक सहित जिले के सभी बस स्थानकों में अपने-अपने गंतव्यों की ओर जाने हेतु यात्रियों की जबर्दस्त भीडभाड लगी हुई थी, वहीं रापनि बसों के प्लेटफार्म पर पूरी तरह से सन्नाटा पसरा हुआ था. क्योंकि कहीं पर भी जाने के लिए कोई भी बस उपलब्ध नहीं थी. ऐसे में जगह-जगह अटके यात्री बसों के आने और छूटने की प्रतीक्षा कर रहे थे. साथ ही पूछताछ खिडकी पर बार-बार जाकर इस बारे में पूछताछ भी कर रहे थे. किंतु बस कब आयेगी और कब जायेगी, इसे लेकर हर बार नकारात्मक जवाब ही मिल रहा था.
हालांकि रविवार की सुबह कई बस डिपो से कुछ रूटोें पर बसें छोडी गई थी, किंतु जैसे-जैसे हडताल को लेकर आवाज उठने लगी, वैसे-वैसे ड्यूटी पर पहुंचे वाहकों व चालकों ने भी अपनी बसेें जगह पर खडी करते हुए काम बंद आंदोलन में हिस्सा लेना शुरू कर दिया. जिसके चलते दोपहर बाद तक सभी बस स्थानक पूरी तरह से ठप्प हो गये और बाहरगांव जाने हेतु बस स्थानकों तक पहुंचे यात्रियों को भारी तकलीफों व परेशानियों का सामना करना पडा.

* निजी बसों, टैक्सीयों व ऑटोचालकों की रही बल्ले-बल्ले

रापनि बसों की हडताल के चलते विभिन्न रूटों पर निजी बसों, टैक्सीयों व ऑटोचालकों की जबर्दस्त चांदी रही और उन्होंने मौके का भरपूर फायदा भी उठाया. पता चला है कि, गोंदिया से परतवाडा जाने हेतु अमरावती बस स्थानक पहुंचे एक परिवार ने परतवाडा के लिए कोई बस उपलब्ध नहीं रहने पर एक ऑटो किराये पर लिया और इस ऑटो चालक ने इस परिवार को परतवाडा जाकर छोडने हेतु प्रति व्यक्ति 200 रूपये का किराया वसूला. इसी तरह निजी बसें व टैक्सीयां भी यात्रियों से ठसाठस भरी हुई दिखाई दी और यात्री भी ‘मरता, क्या न करता’ की तर्ज पर इन वाहनों में यात्रा करने हेतु मजबूर दिखाई दिये.

* दूसरे दिन भी जारी रही हडताल

गत रोज शुरू किया गया काम बंद आंदोलन आज लगातार दूसरे दिन भी बदस्तूर जारी रहा. ऐसे में लगातार दूसरे दिन भी यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पडा. हालांकि पता चला है कि, इस हडताल को हाईकोर्ट द्वारा काफी गंभीरता से लिया गया है और आज इसे लेकर कोई निर्देश भी जारी किया जा सकता है. बता दें कि, इससे पहले भी हाईकोर्ट द्वारा रापनि के हडताली कर्मचारियों को जमकर हडकाया गया था और उन्हें यात्रियों को हो रही असुविधा को देखते हुए जल्द से जल्द काम पर लौट आने का निर्देश भी दिया गया था. जिसके बाद विगत 27 अक्तूबर से शुरू किया गया अनशन पीछे लिया गया. लेकिन इसके दो ही दिन के बाद रापनि कर्मचारियों द्वारा एक बार फिर काम बंद आंदोलन शुरू कर दिया गया.
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* रापनि की आर्थिक दिक्कतोें में हुआ इजाफा
उल्लेखनीय है कि, विगत डेढ वर्ष के दौरान लंबे समय तक कोविड संक्रमण व लॉकडाउन के चलते रापनि की बस सेवा बंद रही. अनलॉक की प्रक्रिया के तहत छूट मिलने के बाद अभी जैसे-तैसे रापनि की सेवा पूर्ववत हो रही है, तो ऐन त्यौहार के समय कर्मचारियों द्वारा काम बंद आंदोलन किया जा रहा है. जिसे रापनि की आर्थिक स्थिति और भी अधिक डावांडोल हो रही है. गत रोज शुरू किये गये काम बंद आंदोलन के चलते रापनि के अमरावती विभाग को एक ही दिन के दौरान करीब 35 लाख रूपये की आय से हाथ धोना पडा. वहीं रापनि कर्मियों द्वारा लगातार किये जा रहे आंदोलन की वजह से अकेले अमरावती विभाग में अब तक करीब पौने दो करोड रूपयों का नुकसान हो चुका है.

* जल्द से जल्द मसले का हल होना जरूरी

रापनि कर्मचारियों द्वारा आये दिन किए जानेवाले हडताल व आंदोलन के चलते जिले सहित समूचे संभाग के नागरिक हैरान-परेशान हो गये है तथा अब इस मामले का जल्द से जल्द समाधान खोजे जाने की मांग की जा रही है. साथ ही लोगोें में ऐन त्यौहार के समय काम बंद आंदोलन करते हुए परेशानियां बढाने को लेकर रापनि कर्मियों के खिलाफ रोष व संताप भी बढता जा रहा है.

* सांसद नवनीत व विधायक रवि राणा का समर्थन

जिले की सांसद नवनीत राणा व विधायक रवि राणा द्वारा अपनी विभिन्न मांगोें के लिए आंदोलन करनेवाले रापनि कर्मियों का समर्थन किया गया है. राणा दम्पत्ति के मुताबिक राज्य सरकार द्वारा रापनि कर्मियों के साथ अन्यायपूर्ण नीति अपनायी जा रही है और उन्हें उनके अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है. जिसके चलते रापनि कर्मियों को हडताल करने पर मजबूर होना पडा. ऐसे में राज्य सरकार को चाहिए कि, रापनि कर्मियों की मांगों पर जल्द से जल्द सकारात्मक विचार करते हुए उन्हें पूर्ण किया जाये.

* ट्रेन व लक्जरी बसों में बढी भीड

ऐन दीपावली पर्व पर रापनि कर्मियों द्वारा शुरू की गई हडताल के चलते लंबी दूरी की यात्रा करनेवाले लोगों ने एक बार फिर रेलगाडियों व निजी बसों की ओर रूख करना शुरू कर दिया है. बता दें कि, कुछ अरसा पहले लंबी दूरी की यात्रा करनेवाले लोगों का वैसे भी रापनि बसों से मोहभंग हो चुका था और वे आरामदायी यात्रा के लिए वातानुकूलित लक्जरी बसों व रेलगाडियों को तवज्जो देने लगे थे. जिसके चलते रापनि को भी आरामदायक व वातानुकूलित शिवशाही बसें सडक पर उतारनी पडी. जिसे यात्रियों की ओर से अच्छा-खास प्रतिसाद भी मिलना शुरू हो रहा था.

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