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… तो विदर्भ में बाघों की संख्या हो सकती है 400 से अधिक

2022 की गणनानुसार देश में 3080 बाघ

* मध्य भारत में बाघों की संख्या बढने का दावा
नागपुर/दि.10 – देश में व्याघ्र संवर्धन हेतु किए जा रहे प्रयास पूरी तरह से सफल साबित हो रहे है. यह बात वर्ष 2022 की व्याघ्र गणना से एक बार फिर साबित हुई है. वर्ष 2018 की व्याघ्र गणना के मुताबिक देश में 2967 बाघ गिने गए है. वहीं वर्ष 2022 में ट्रैप कैमरों के जरिए की गई गणना में बाघों की गिनती 3080 दर्ज की गई है. हालांकि यह संख्या 3167 तक रहने का अनुमान है. यद्यपि इस रिपोर्ट में राज्य निहाय आंकडे नहीं दिए गए है. लेकिन महाराष्ट्र में बाघों की गिनती 400 से अधिक रहने का अनुमान व्यक्त किया गया है, जिसमें विदर्भ क्षेत्र की हिस्सेदारी सबसे अधिक है.
वर्ष 2018 की गणना के समय राज्य में बाघों की संख्या 312 के आसपास थी तथा अन्य राज्यों की तुलना में मध्यप्रदेश, कर्नाटक व उत्तराखंड के पश्चात महाराष्ट्र चौथे स्थान पर था. वहीं नई रिपोर्ट के मुताबिक विगत 4 वर्षों के दौरान मध्य भारत के वन क्षेत्रों में बाघों की संख्या बढने का दावा किया जा रहा है. जिसके अनुसार राज्य में 375 बाघ रहने की प्राथमिक संभावना व्यक्त की जा रही है. वहीं विशेषज्ञों के मुताबिक यह आंकडे केवल वन क्षेत्र में लगे ट्रैप कैमरों पर आधारित है और हकीकत में विदर्भ क्षेत्र में ही 400 से अधिक बाघ है. जिसमें से ताडोबा अंधारी व्याघ्र प्रकल्प में 250 से 300, पेंच व्याघ्र प्रकल्प में 45 से 52, मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प में 47 से 50, नवेगांव नागझिरा में 10 से 12, उमरेड-कर्‍हांडला में 10 से 12, बोर प्रकल्प में 10 से 15, गडचिरोली में 18 से 20 तथा सह्याद्री क्षेत्र में 5 से 8 बाघ रहने का अनुमान है.

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