40 करोड देने की औकात नहीं, या नीयत नहीं?
पूर्व विधायक डॉ. सुनील देशमुख ने घेरा राज्य सरकार को
* चिखलदरा में पेयजल किल्लत को लेकर सरकार पर जमकर बिफरे
अमरावती/दि.26 – विदर्भ एवं मराठवाडा के 19 जिलों में एकमात्र रहने वाले ठंडी हवा वाले हिलस्टेशन चिखलदरा में हर साल ही जलकिल्लत की समस्या रहती है. साथ ही गर्मी के मौसम दरम्यान पीने के पानी की किल्लत रहने के चलते हिलस्टेशन को बंद रखने की नौबत आ जाती है. यही वजह है कि, वर्ष 2018 में विदर्भ सिंचाई विकास महामंडल के जरिए इस समस्या के स्थायी समाधान हेतु प्रयास शुुरु किए गए थे और वर्ष 2019 में जलसंपदा विभाग द्बारा चिखलदरा में आलाडोह जलसंग्रह तालाब का सर्वेक्षण करते हुए 38 करोड रुपए की विस्तृत प्रकल्प रिपोर्ट इस पर्यटन स्थल के विकास की जिम्मेदारी रहने वाले शहर व औद्योगिक विकास महामंडल यानि सिडकों के पास प्रशासकीय मंजूरी हेतु पेश की गई थी. जिसे नगरविकास विभाग द्बारा प्रशासकीय मंजूरी देते हुए निधी उपलब्ध कराना अपेक्षित था. परंतु विगत आर्थिक अधिवेशन के साथ ही जारी अधिवेशन के दौरान की गई. पूरक मांग में भी इस कार्य हेतु निधी उपलब्ध नहीं कराई गई. इसे लेकर अपना तीव्र संताप व्यक्त करते हुए पूर्व विधायक डॉ. सुनील देशमुख ने सवाल उठाया कि, राज्य की ‘खोके सरकार’ द्बारा अपने ‘खोकेबाज’ विधायकों के निर्वाचन क्षेत्रों में सैकडों करोडों रुपयों की निधी खैरात की तरह बांटी जा रही है. लेकिन विदर्भ व मराठवाडा क्षेत्र के एकमात्र हिल स्टेशन चिखलदरा पर्यटन स्थल में पेयजल की समस्या को दूर करने हेतु केवल 40 करोड रुपए की निधी को मंजूर नहीं किया जा रहा. ऐसे में सरकार से सवाल पूछा जाना चाहिए कि, क्या चिखलदरा के विकास हेतु राज्य सरकार की 40 करोड रुपए की निधी देने की भी औकात नहीं है और क्या सिडकों को केवल मुंबई, पुणे, नवी मुंबई व औरंगाबाद जैसे महानगरों के विकास हेतु ही मर्यादित रखा गया है.
यहां जारी प्रेस विज्ञप्ति में चिखलदरा की जलसमस्या को लेकर अपना क्षोभ व संताप व्यक्त करते हुए पूर्व विधायक डॉ. सुनील देशमुख ने कहा कि, विगत कुछ वर्षों के दौरान पर्यटकों का रुझान चिखलदरा व मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प की ओर बढ गया है तथा प्रतिवर्ष हजारों पर्यटक चिखलदरा सहित मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प को भेंट देते है. इस वर्ष तो बारिश के जारी मौसम के दौरान विगत कुछ शनिवार और रविवार को एक व दो दिन के दौरान चिखलदरा में विदर्भ सहित मध्यप्रदेश से 35 से 40 हजार पर्यटकों के आने की जानकारी दर्ज हुई है. जिसके चलते चिखलदरा में पर्यटन आधारित उद्योग धंधों में वृद्धि होने के साथ ही चिखलदरा शहर में रहने वाले लोगों की संख्या में भी वृद्धि हो रही है. परंतु इसकी वजह से अब चिखलदरा में पानी की उपलब्धता कम पडने लगी है और विगत कई वर्षों से गर्मी के मौसम दरम्यान स्थानीय नागरिकों के लिए भी पानी कम पडने लगा है. जिसके चलते गर्मी के मौसम में ठंडी हवा वाले हिल स्टेशन चिखलदरा को बाहरी लोगों के लिए बंद रखा जाता है. जिसकी वजह से गर्मी के मौसम दरम्यान पर्यटक आधारित उद्योगों का नुकसान होता है. इस बात के मद्देनजर पूर्व मुख्यमंत्री स्व. विलासराव देशमुख के कार्यकाल में खुद उन्होंने (डॉ. देशमुख) चिखलदरा के विकास व नियोजन की जिम्मेदारी सिडकों की ओर देने का विशेष आग्रह किया था. जिसके चलते सिडकों के मार्फत चिखलदरा में पर्यटन स्थलों को विकसित करने की दृष्टि से कई विकास काम शुरु किए गए. जिसके तहत चिखलदरा में सिडकों के मार्फत वैश्विक स्तर का स्काय वॉक बनाया जा रहा है. इसके साथ ही उन्होंने वर्ष 2018 में विदर्भ सिंचाई विकास महामंडल का उपाध्यक्ष रहते समय पीने के पानी की समस्या को हल करने हेतु प्रयास किया और सिडकों ने जलसंपदा विभाग से चिखलदरा में जलसंग्रह तालाब का संरक्षण करने हेतु बजट पत्र तैयार करने का निवेदन 5 अक्तूबर 2018 को किया था. साथ ही इस सर्वेक्षण के लिए 8 लाख रुपए की निधी भी 15 जुलाई 2019 उपलब्ध कराई थी. जिसके चलते जलसंपदा विभाग ने 38.42 करोड रुपए की कीमत का विस्तुत प्रकल्प अहवाल तैयार करते हुए मुंबई स्थित सिडको कार्यालय को प्रशासकीय मान्यता मिलने हेतु प्रस्तूत किया था और जलसंपदा विभाग ने भी प्रकल्प का निर्माण करने हेतु कुछ नियमों व शर्तों के अधीन रहकर 16 सितंबर 2020 को अपनी सहमति दी थी. लेकिन सिडकों की ओर से अब तक इस प्रकल्प की रिपोर्ट को प्रशासकीय मान्यता नहीं दी गई है. जिसके चलते प्रकल्प हेतु लगने वाली जमीन का भूसंपादन व अन्य मान्यता प्राप्त करने के काम की शुरुआत नहीं हो सकी है. वहीं अब सिडकों ने यह कहते हुए अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड लिया है कि, इस जलसंग्रह तालाब का निर्माण करने की जिम्मेदारी सिडकों की नहीं, बल्कि जलसंपदा विभाग की है. ऐसे में जलसंपदा विभाग को अगर जलसंग्रहण तालाब का काम करना है, तो करें और नहीं करना है, तो न करें. इससे सिडकों का कोई लेना-देना नहीं.
उपरोक्त जानकारी के साथ ही पूर्व विधायक डॉ. सुनील देशमुख ने कहा कि, चिखलदरा में जलसंग्रहण तालाब का काम करने हेतु 40 करोड रुपयों का खर्च होगा. जिससे चिखलदरा में पीने के पानी हेतु 1.00 दलघमी जलसंग्रह उपलब्ध कराया जा सकेगा. जिसके जरिए चिखलदरा शहर में पीने के पानी को लेकर रहने वाली समस्या हमेशा के लिए हल हो जाएगी. साथ ही इस पर्यटन स्थल का विकास होने में सहायता मिलेगी. ऐसे में इस प्रकलप का पूर्ण होना बेहद जरुरी है. लेकिन इसके बावजूद भी राज्य सरकार द्बारा इस पर्यटन स्थल के विकास हेतु 40 करोड रुपए की निधी उपलब्ध कराने में आना-कानी की जा रही है. जबकि नवी मुंबई में विमानतल तथा अन्य महानगरों में कई प्रकल्पों के लिए राज्य सरकार के नगरविकास विभाग द्बारा सिडकों के जरिए हजारों-करोड रुपयों की निधी खर्च की जा रही है. ऐसे में या तो सरकार की विदर्भ व मराठवाडा के एकमात्र पर्यटन स्थल के विकास हेतु 40 करोड रुपए की निधी देने की नियत नहीं है. या फिर सरकार की नजरों में हमारी उतनी भी औकात नहीं है. साथ ही पूर्व विधायक डॉ. देशमुख ने चिखलदरा के विकास की अनदेखी को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों की चुप्पी को लेकर भी बेहद आश्चर्य जताया है.