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किसी बात से डरने या भागने का सवाल ही नहीं उठता

  •  खुद पर लगे आरोपोें के संदर्भ में बोले कुलगुरू डॉ. चांदेकर

  •  आज भी राज्यपाल व जिलाधीश से आदेश मिलने पर सीनेट की सभा ऑफलाईन बुलाने की तैयारी

  •  ऑनलाईन-ऑफलाईन को लेकर उठाये गये विवाद को बताया बेवजह

अमरावती/प्रतिनिधि दि.२६ – मेरे विगत साढे चार साल के कार्यकाल दौरान संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ में कई शानदार काम हुए है, और हमने कई महत्वपूर्ण पडाव पार करने के साथ ही बेहतरीन उपलब्धियां भी हासिल की है. हालांकि हमने कभी इसका ढिंढोरा नहीं पीटा. मैं लगातार काम करने में यकिन रखता हूं. साथ ही मेरा मानना है कि, काम करनेवाले व्यक्ति से ही गलतियां होती है. अत: मैं उन गलतियों को स्वीकार करते हुए उनमें सुधार के गूंजाईश के लिए भी तैयार रहता हूं. साथ ही मेरा विश्वास है कि, किसी भी समूह, संगठन या संस्था में सामुहिक व साझा प्रयास बेहद जरूरी होते है. अत: मैं सबको साथ लेकर चलने और नियमों के दायरे के भीतर रहकर काम करने का प्रयास करता हूं. ऐसे में किसी बात को लेकर डरने या किसी मामले से मुंह छिपाकर भागने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता. इस आशय का प्रतिपादन संगाबा अमरावती विद्यापीठ के कुलगुरू डॉ. मुरलीधर चांदेकर ने किया.
बता दें कि, गत रोज संगाबा अमरावती विद्यापीठ की सीनेट सभा के कई सदस्यों ने एक पत्रकार परिषद लेकर विद्यापीठ के कुलगुरू डॉ. मुरलीधर चांदेकर पर मनमाना काम करने का आरोप लगाने के साथ ही उनकी कार्यशैली को लेकर कई गंभीर आक्षेप उठाये थे. जिसमें कहा गया था कि, विगत साढे चार वर्ष की कालावधी के दौरान अपनी नाकामियों और असफलताओं को छिपाने एवं आरोपोें से बचने हेतु कुलगुरू डॉ. चांदेकर आगामी 29 दिसंबर को होनेवाली सीनेट की सभा को जानबूझकर ऑनलाईन आयोजीत कर रहे है, ताकि उन पर आरोप लगानेवाले सीनेट सदस्यों की आवाज को ‘म्यूट’ किया जा सके. इस संदर्भ में प्रतिक्रिया हेतु संपर्क किये जाने पर कुलगुरू डॉ. चांदेकर ने उपरोक्त बात कही.
उल्लेखनीय है कि, इस समय विद्यापीठ में सीनेट की सभा को ऑनलाईन व ऑफलाईन आयोजीत किये जाने के संदर्भ में जबर्दस्त हंगामा मचा हुआ है. जहां विद्यापीठ प्रशासन यह सभा ऑनलाईन आयोजीत करने जा रहा है, वहीं सीनेट सदस्य रहनेवाले नूटा पदाधिकारियों द्वारा सीनेट की सभा को पारंपारिक पध्दति यानी ऑफलाईन आयोजीत किये जाने की मांग की जा रही है. इसी विषय को लेकर गत रोज नूटा पदाधिकारियों द्वारा एक पत्रवार्ता आयोजीत कर कहा गया कि, आगामी छह माह में सेवानिवृत्त होने जा रहे कुलगुरू डॉ. चांदेकर जानबूझकर सीनेट सभा ऑफलाईन नहीं बुला रहे, ताकि उन्हें सीनेट सदस्यों के आरोपोें का सामना न करना पडे. इस संदर्भ में कुलगुरू डॉ. चांदेकर का कहना रहा कि, सीनेट की सभा ऑनलाईन बुलानी है या ऑफलाईन, यह निर्णय लेने का अधिकार ही उनके पास नहीं है. बल्कि इस संदर्भ में कुलपति एवं जिलाधीश के पास निर्णय लेने का अधिकार है, और वहां से मिले निर्देशों के आधार पर ही आगामी 29 दिसंबर की सीनेट सभा को ऑनलाईन आयोजीत किया जा रहा है.
कुलगुरू डॉ. चांदेकर के मुताबिक वे खुद चाहते थे कि, इस बार सीनेट की सभा ऑफलाईन हो, ताकि कई मसलों पर विस्तृत चर्चा हो सके. यहीं वजह रही कि, उन्होंने खुद होकर जिलाधीश कार्यालय को पत्र जारी कर इस संदर्भ में अनुमति मांगी थी. किंतु जिलाधीश कार्यालय से बताया गया कि, जिले में आगामी 31 दिसंबर तक आपत्ति व्यवस्थापन अधिनियम व महामारी प्रतिबंधात्मक अधिनियम के साथ ही धारा 144 लागू है. अत: किसी भी तरह की सभा व सम्मेलन का आयोजन नहीं किया जा सकता है. जिसके चलते यह सीनेट सभा ऑनलाईन ही आयोजीत करने का पर्याय शेष बचा है.

इतनी शिद्दत ऑफलाईन पढाई शुरू करने के बारे में क्यों नहीं

इस समय कुलगुरू डॉ. मुरलीधर चांदेकर ने कहा कि, कुछ लोगों की आदत हर बात में मीन-मेख निकालने और शिकायत करने की होती है. यदि उन्होंने इस सीनेट सभा को ऑफलाईन बुलाया होता, तो इन्हीं लोगों ने अपने स्वास्थ्य की सुरक्षा को लेकर हाईतोबा मचायी होती कि, विद्यापीठ प्रशासन द्वारा कोरोना काल के दौरान ऑफलाईन बैठक कैसे बुलायी जा रही है, और यदि इस बैठक में उपस्थित रहने की वजह से कोई सीनेट सदस्य कोरोना संक्रमण का शिकार होता है, तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा. कुलगुरू डॉ. चांदेकर ने याद दिलाया कि, विगत दिनों एक महाविद्यालय के प्राचार्य ने विद्यार्थियों की प्रवेश प्रक्रिया को पूर्ण करने हेतु अपने सभी प्राध्यापकोें को महाविद्यालय में बुला लिया था, तो आज आरोप लगानेवाले लोगों में से ही कुछ लोग उस प्राचार्य के खिलाफ निवेदन देने हेतु आये थे, और उनका कहना था कि, सभी प्राध्यापकों को एक साथ कॉलेज में बुलाये जाने से उनका स्वास्थ्य खतरे में पड सकता है. आज वहीं लोग चाहते है कि, सीनेट की सभा ऑफलाईन बुलायी जाये. इस समय कुलगुरू डॉ. चांदेकर ने यह प्रतिप्रश्न भी किया कि, चूंकि हम सभी पहले शिक्षक है, तो आरोप लगानेवाले शिक्षकोें में से किसी भी शिक्षक द्वारा अब तक इसी शिद्दत के साथ ऑनलाईन की बजाय ऑफलाईन पढाई शुरू करने के बारे में आवाज क्यों नहीं उठायी गई.

नियमानुसार ही टाला गया प्रश्नों को

कल की पत्रवार्ता में सीनेट सदस्योें द्वारा आरोप लगाया गया था कि, उनकी ओर से दिये गये कई प्रस्तावों को सीनेट सभा की कार्यसूची में शामिल ही नहीं किया गया. इस बारे में पूछे जाने पर कुलगुरू डॉ. चांदेकर ने कहा कि, सीनेट सदस्यों की ओर से आनेवाले सभी प्रश्नों व प्रस्तावोें की एक समिती द्वारा पडताल की जाती है. और यह पहले से तय है कि, जो मामले अदालत के समक्ष विचाराधीन है, या जिनकी किसी भी स्तर पर जांच चल रही है, उन्हेें विषय सुची में शामिल नहीं किया जायेगा. उसी नियम का इस बार भी नियमानुसार पालन किया गया है. साथ ही जिन विषयों को विषय सुची में शामिल करने हेतु ग्राह्य नहीं माना गया, उसमें से कोई भी विषय अकादमीक से संबंधित नहीं था.

 ‘वह’ प्रेस कांफ्रेंस केवल पब्लिसिटी स्टंट

इस समय कुलगुरू डॉ. चांदेकर ने कहा कि, सीनेट की सभा को ऑनलाईन या ऑफलाईन लेने के अधिकार कुलगुरू के पास नहीं है, यह बेहद छोटासा नियम सीनेट सदस्यों की समझ में नहीं आया, यह अपने आप में बेहद आश्चर्य का विषय है. सर्वाधिक उल्लेखनीय बात यह है कि, इस संदर्भ में कई सीनेट सदस्यों ने दो दिन पूर्व उनसे मुलाकात करते हुए लिखित निवेदन सौंपा था, और उन्होंने यह बात संबंधित सदस्यों को बता भी दी थी. इसके बाद उन सीनेट सदस्यों को चाहिए था कि, वे इस संदर्भ में निर्णय लेने का अधिकार रहनेवाले कुलपति कार्यालय व जिलाधीश कार्यालय से संपर्क कर सीनेट सभा को ऑफलाईन बुलाने की मांग करते, लेकिन तब शायद उन्हें इतना मीडिया कवरेज नहीं मिलता. ऐसे में प्रेस कांफ्रेंस बुलाते हुए एक तरह का पब्लिसिटी स्टंट किया गया है. लेकिन ऐसा करते समय कुछ लोग यह भूल गये कि, वे जिस अमरावती विद्यापीठ का हिस्सा है, उसी विद्यापीठ की प्रतिमा को अपने ही हाथों मलीन कर रहे है.

 साढे चार वर्षों में अनगिनत काम, अनेकों उपलब्धिया

कुलगुरू डॉ. चांदेकर ने कहा कि, उन्होंने अपने विगत साढे चार वर्ष के कार्यकाल दौरान अमरावती विद्यापीठ में 9 नये विभाग शुरू करवाये, जबकि 2004 में उन पर आरोप लगानेवाले लोगों में से ही कुछ लोगोें ने नये विभाग नहीं बनने देने का फैसला किया था. अब यदि विद्यापीठ में नये विभाग नहीं बनेंगे, तो फिर विद्यापीठ के पास काम ही क्या रह जाता है. वहीं विगत साढे चार वर्षों के दौरान उन्होंने सात नई बिल्डींगे बनवायी और यूजीसी के जरिये 70 करोड से अधिक का फंड भी प्राप्त किया. इसके अलावा सरकार की ओर सेवानिवृत्तों का बकाया रहनेवाले 16 करोड रूपये भी प्राप्त किये और इस रकम का वितरण करवाया. जबकि उनके अमरावती आने से पहले पांच वर्ष तक इस विषय में कोई काम नहीं हुआ था. इसके अलावा संगाबा अमरावती विद्यापीठ को ट्रायबल डेवलपमेंट सेंटर दिलवाते हुए ‘रूसा’ से 20 करोड रूपये की रकम हासिल की गई. जिसे संबंधित कामोें पर खर्च भी किया गया. इसी तरह विद्यापीठ द्वारा 540 गांवों को दत्तक लेते हुए सुपर कंप्यूटर परम के जनक डॉ. विजय भटकर के मार्गदर्शन में आदर्शन गांव संकल्पना को साकार किया गया. साथ ही नैक मानांकन को लेकर भी पहले की तुलना में काफी बेहतरीन काम किया गया है एंव अब भी कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्टस् का काम जारी है.

 रिटायर होने से पहले एक सीनेट और होगी

कुलगुरू डॉ. चांदेकर के मुताबिक यदि उन्होंने विगत साढे चार वर्षों के दौरान कोई काम नहीं किये है, तो अब तक हुई सीनेट बैठकों में सदस्यों ने इस पर चुप्पी क्योें साध रखी थी. साथ ही यह उनके कार्यकाल की अंतिम सीनेट बैठक नहीं है, बल्कि उनकी रिटायरमेंट से पहले आगामी मार्च माह में एक और सीनेट बैठक होगी, जो निश्चित तौर पर ऑफलाईन होने की ही संभावना है. वहीं यदि 28 दिसंबर की शाम तक राजभवन व जिलाधीश कार्यालय द्वारा ऑफलाईन बैठक बुलाने को अनुमति दी जाती है, तो वे 29 दिसंबर की सीनेट बैठक को भी ऑफलाईन बुलाने के लिए तैयार है. अत: किसी को इस भ्रम में नहीं रहना चाहिए कि, वे किसी भी तरह के आरोप से डर रहे है या भाग रहे है.

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