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रेमडेसिविर को लेकर अब भी है किल्लत

  • उपलब्ध स्टॉक में से केवल 25 फीसदी मरीजों के लिए एलोकेशन

  • शेष मरीजों के परिजनों को दर-दर खानी पड रही हैं ठोकरें

अमरावती/प्रतिनिधि दि.22 – इस समय अमरावती शहर सहित जिले में कोविड संक्रमित मरीजों के इलाज हेतु ऑक्सिजन के साथ-साथ रेमडेसिविर इंजेक्शनों की भी भारी किल्लत है और इस इंजेक्शन की जरूरत रहनेवाले व निजी अस्पतालों में भरती कुल संक्रमित मरीजों की तुलना में औषधी प्रशासन द्वारा केवल 25 फीसदी मरीजों के लिए दवा विक्रेताओं को अलोकेशन दिया जाता है. वहीं शेष मरीजों के परिजनों को निजी अस्पतालों द्वारा पीडीएमसी अस्पताल से रेमडेसिविर लाने हेतु चिठ्ठी लिखकर दी जाती है और उन रिश्तेदारों को पीडीएमसी के मेडिकल स्टोर के समक्ष कई घंटों तक लाईन लगाकर खडा रहना पडता है.
उल्लेखनीय है कि, विगत कई दिनों से अमरावती जिले में रेमडेसिविर इंजेक्शन की भारी किल्लत चल रही है. ऐसे में मौजूदा समय में इस इंजेक्शन की जिस तरह से मांग है, उसे देखते हुए इस इंजेक्शन की कालाबाजारी न हो पाये, इस हेतु जिला प्रशासन व औषधी प्रशासन द्वारा इस इंजेक्शन की उपलब्धता व वितरण को अपने नियंत्रण में लिया गया. इसके तहत स्थानीय थोक दवा विक्रेताओं के पास रेमडेसिविर इंजेक्शन के जितने वॉयल उपलब्ध होते है, उसकी जानकारी औषधी प्रशासन को दी जाती है. जहां से दवा विक्रेताओें को अलग-अलग निजी अस्पतालों को रेमडेसिविर के कितने वॉयल दिये जाने है. इसका एलोकेशन दिया जाता है. इन दिनों निजी अस्पतालाेंं में जितने मरीज भरती है, उसकी तुलना में यह एलोकेशन केवल 25 फीसदी ही होता है.
वहीं दूसरी ओर शहर के निजी अस्पतालों में भरती एवं रेमडेसिविर की जरूरत रहनेवाले मरीजों के लिए जिलाधीश व जिला शल्य चिकित्सक के नियंत्रण में पीडीएमसी अस्पताल के जरिये मरीजों के परिजनों को आवश्यक दस्तावेजों की जांच-पडताल के बाद रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध कराया जा रहा है. किंतु सबसे बडी समस्या यह है कि, इस समय खुद पीडीएमसी अस्पताल में कोविड संक्रमित मरीजों सहित सारी संक्रमित मरीज बडी संख्या में भरती है. जिन्हें बडे पैमाने पर रेमडेसिविर इंजेक्शन की जरूरत पड रही है. इन मरीजोें के रिश्तेदार भी पीडीएमसी के शिवाजी मेडिकल स्टोर में रेमडेसिविर खरीदने पहुंच रहे है. साथ ही शहर के निजी अस्पतालों में भरती कोविड संक्रमित मरीजों के रिश्तेदार भी पीडीएमसी के शिवाजी मेडिकल स्टोर के सामने कई-कई मीटर लंबी कतारें लगाये खडे रहते है.

  • अब सुपर कोविड में भी हो सकती है किल्लत

उल्लेखनीय है कि, कुछ दिन पहले सुपर कोविड अस्पताल के लिए जिला शल्य चिकित्सक कार्यालय के अधिन रेमडेसिविर के 9 हजार वॉयल का स्टॉक उपलब्ध था. जिसमें से पीडीएमसी को रोजाना 200 से 300 वॉयल ‘हाथ उधारी’ पर दिये जा रहे थे, ताकि पीडीएमसी सहित निजी अस्पतालों में भरती मरीजों हेतु रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध कराया जा सके. इस दौरान सुपर कोविड अस्पताल में भरती मरीजों के लिए भी इसी स्टॉक से रेमडेसिविर इंजेक्शन प्रयोग में लाये जा रहे थे. ऐसे में अब सुपर कोविड अस्पताल के पास रेमडेसिविर के केवल 2 हजार वॉयल ही उपलब्ध है. जिनसे सुपर कोविड हॉस्पिटल का काम तीन से चार दिन तक ही चल सकता है. यदि इस दौरान सरकारी कोविड अस्पताल को रेमडेसिविर इंजेक्शन का नया स्टॉक नहीं मिलता है, तो काफी दिक्कत पेश आ सकती है. स्वास्थ्य विभाग से जुडे सूत्रों के मुताबिक इस समय स्वास्थ्य महकमे द्वारा रेमडेसिविर की सरकारी खरीदी हेतु टेंडरिंग व रि-टेंडरिंग प्रक्रिया शुरू की गई है. किंतु पुराने दामों पर रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध कराने हेतु कोई भी कंपनी तैयार नहीं है. ऐसे में आनेवाले दिनों में सरकारी कोविड अस्पताल को भी रेमडेसिविर इंजेक्शन की किल्लत का सामना करना पड सकता है.

  •  प्रशासनिक प्रयास के बावजूद राजनीतिक इच्छाशक्ति पड रही कम

यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, प्रशासन द्वारा लगातार राज्य के स्वास्थ्य महकमे के साथ संपर्क करते हुए रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध कराने को लेकर तमाम आवश्यक प्रयास किये जा रहे है. किंतु बावजूद इसके अमरावती जिले को अपेक्षित प्रमाण में रेमडेसिविर का स्टॉक उपलब्ध नहीं हो पा रहा. उल्लेखनीय है कि, विगत दिनों राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने अपने गृह क्षेत्र जालना जिले के लिए दवा कंपनियों से पर्याप्त मात्रा में रेमडेसिविर का स्टॉक उपलब्ध करवाया. इसी तरह केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी ने अपने गृहनगर नागपुर जिले के लिए भी बडे पैमाने पर रेमडेसिविर के वॉयल उपलब्ध करवाये. किंतु अमरावती के जनप्रतिनिधियों में इस तरह की इच्छाशक्ति का सर्वथा अभाव देखा जा रहा है और जनप्रतिनिधि भी शायद प्रशासन के भरोसे ही बैठे हुए है. साथ ही प्रशासन द्वारा किये जा रहे कामों की समीक्षा करने में ही हर कोई धन्य हुआ जा रहा है.

  • कालाबाजारी रोकने सरकारी नियंत्रण

इस संदर्भ में जिलाधीश शैलेश नवाल से जानकारी हेतु संपर्क किये जाने पर उन्होंने बताया कि, निजी अस्पतालों में भरती मरीजोें को दवा विक्रेताओं से एफडीए की देखरेख में तय कोटे के तहत रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध कराये जा रहे है. यदि यह कम पडता है, तो निजी अस्पतालों में भरती मरीजों के लिए पीडीएमसी अस्पताल से इंजेक्शन उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है. यदि मौजूदा हालात में रेमडेसिविर इंजेक्शन की खुली बिक्री की जाती है, तो इसकी बडे पैमाने पर कालाबाजारी हो सकती है. जिसे रोकने हेतु सरकारी नियंत्रण बेहद जरूरी है.

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