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सितंबर की बजाय अक्तूबर में हो सकती है फाईनल ईयर की एक्झाम

  • राज्य के सभी विद्यापीठों ने ३० सितंबर से पहले परीक्षा लेने में जतायी असमर्थता

  • युजीसी को लिखा पत्र, जल्द ही नया निर्णय आने की संभावना

अमरावती/ प्रतिनिधि दि.३१ – विगत दिनों देश की सर्वोच्च अदालत(Supreme Court) ने सभी राज्यों में ३० सितंबर से पहले स्नातक पाठ्यक्रमोें के अंतिम वर्ष व अंतिम सत्र की परीक्षाएं लेने को लेकर आदेश जारी किया था. जिसके संदर्भ में केंद्रीय विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने सभी विद्यापीठों के नाम फाईनल ईयर की परीक्षा लेने के संदर्भ में गाईडलाईन जारी की थी. लेकिन अब महाराष्ट्र के सभी विद्यापीठों द्वारा युजीसी को पत्र लिखकर आगामी ३० सितंबर से पहले अंतिम वर्ष की परीक्षाओं का नियोजन व आयोजन करने के संदर्भ में अपनी ओर से असमर्थता जतायी गयी है. साथ ही परीक्षाएं लेने हेतु अतिरिक्त समय दिये जाने की मांग की गई है. ऐसे में अब यह लगभग तय है कि, स्नातक व स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के अंतिम वर्ष की परीक्षाएं सितंबर की बजाय अक्तूबर में होगी. बता दें कि, कोरोना व लॉकडाउन के चलते राज्य के सभी विद्यापीठों की ग्रीष्मकालीन परीक्षाएं स्थगित कर दी गई थी और राज्य सरकार द्वारा सभी महाविद्यालयीन विद्यार्थियों को ‘कैरी ऑन‘ देने का निर्णय लिया गया था .किंतु यूजीसी द्वारा अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों को बिना परीक्षा लिये उत्तीर्ण किये जाने का विरोध किया गया और अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों की परीक्षाएं लेने हेतु सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई. जिस पर हुई सुनवाई पश्चात सुप्रीम कोर्ट ने यूजीसी के पक्ष को सही माना और सभी राज्य सरकारों को अपने-अपने राज्यों में स्नातक व स्नातकोत्तर अंतिम वर्ष की परीक्षाएं विद्यापीठ के जरिये ३० सितंबर से पहले आयोजीत करवाने का निर्देश दिया. पश्चात महाराष्ट्र सरकार के उच्च व तंत्रशिक्षा मंत्री उदय सामंत ने दस सदस्यीय समिती गठित की, ताकि यह पता लगाया जा सके कि, इन परीक्षाओं को ऑनलाईन या ऑफलाईन तरीके से कब व कैसे लिया जा सकता है.
इस समिती की रिपोर्ट के आधार पर सरकार द्वारा विद्यापीठों के नाम एक अध्यादेश जारी किया जायेगा. जिसके आधार पर सभी विद्यापीठों को अपने-अपने कार्य क्षेत्र में अंतिम वर्ष व अंतिम सत्र की परीक्षाएं आयोजीत करनी होगी. इस संदर्भ में अमरावती विद्यापीठ के परीक्षा व मूल्यांकन विभाग से जुडे सूत्र द्वारा जानकारी दी गई है कि, मौजूदा हालात को देखते हुए ऑफलाईन परीक्षा को अनुमति मिलने की संभावना बेहद कम है तथा ऑनलाईन परीक्षा लेने को लेकर लगभग सभी विद्यापीठों के पास मुलभूत तैयारियां बिल्कूल भी नहीं है. ऐसे में आगामी ३० सितंबर से पहले परीक्षाओं का नियोजन व आयोजन करना काफी मुश्किल है. जिसके चलते राज्य के सभी विद्यापीठों द्वारा यूजीसी को पत्र लिखकर अपनी असमर्थता जता दी गई है और यूजीसी से जवाब मिलने की प्रतिक्षा की जा रही है.

नये शैक्षणिक सत्र का बदल सकता है समय

यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, यदि विद्यापीठ द्वारा अक्तूबर माह में स्नातक अंतिम वर्ष की परीक्षाएं ली जाती है, तो परीक्षा परिणाम घोषित करते-करते नवंबर माह आ चुका रहेगा और अगली कक्षाओं में प्रवेश की प्रक्रिया पुरी होते-होते दिसंबर माह खत्म हो जायेगा. ऐसे में आगामी मार्च व अप्रैल माह में अगली कक्षाओं की ग्रीष्मकालीन परीक्षाएं आयोजीत करने का कोई औचित्य नहीं रहेगा क्योकि मात्र दो-तीन माह में सालभर की पढाई पूरी नहीं हो सकेगी. इस बात के मद्देनजर पूरी संभावना है कि, इस वर्ष से शैक्षणिक सत्र के समय को बदलकर जनवरी से दिसंबर कर दिया जाये. उल्लेखनीय है कि, पिछले कुछ दिनों से शैक्षणिक सत्र के चक्र को बदले जाने की मांग वैसे भी जोर पकड रहीं है और मौजूदा हालात को देखते हुए फिलहाल यहीं एक पर्याय दिखाई दे रहा है.

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