अमरावतीमुख्य समाचार

शिवसेना में हो सकता है बडा फेरबदल

तीन बडे चुनावों में हुई हार से वरिष्ठ नेता है शहर व जिला पदाधिकारियों से नाराज

अमरावती प्रतिनिधि/दि.१० – किसी समय अमरावती जिले को शिवसेना का मजबूत गढ माना जाता था और यहां पर शिवसेना का सांसद रहने के साथ ही शिवसेना के चार-चार विधायक हुआ करते थे. लेकिन इस बार लोकसभा व विधानसभा चुनाव में शिवसेना का कोई जनप्रतिनिधि निर्वाचित नहीं हो पाया. साथ ही हाल ही में विधान परिषद सीट हेतु हुए शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव में भी शिवसेना प्रत्याशी को हार का सामना करना पडा. ऐसे में शिवसेना के हाथ से यह मजबूत गढ लगातार फिसलता दिखाई दे रहा है. जिसके चलते पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में स्थानीय पदाधिकारियों को लेकर काफी हद तक नाराजगी देखी जा रहीं है. और बहुत संभावना है कि, आगामी दिनों में शिवसेना की शहर व जिला ईकाई में काफी फेरबदल होता दिखाई दे.
ज्ञात रहे कि, अमरावती जिला शिवसेना प्रमुख स्व. बालासाहब ठाकरे का ननिहाल है. जिसके चलते स्व. बालासाहब ठाकरे सहित शिवसेना के पार्टी प्रमुख व राज्य के मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे का अमरावती जिले के प्रति विशेष लगाव है. साथ ही इससे पहले खुद बालासाहब ठाकरे का कई बार अमरावती आना हुआ है. जिसके चलते अमरावती में शिवसैनिकों की अच्छीखासी फौज खडी हो गयी और यहां पर पार्टी ने अपने मजबूत पकड भी बनायी.जिसके दम पर अमरावती संसदीय क्षेत्र से अनंत गुढे व आनंदराव अडसूल दो-दो बार सांसद निर्वाचित हुए. साथ ही ज्ञानेश्वर धाने पाटिल, प्रदीप वडनेरे, संजय बंड व प्रकाश भारसाकले किसी समय शिवसेना के टिकट पर विधायक निर्वाचित हुए थे. साथ ही कई सीटों पर शिवसेना ने अपने साथ युती रहनेवाली भाजपा के प्रत्याशियों की जीत में भी महत्वपूर्ण भुमिका निभायी थी, लेकिन विगत लोकसभा चुनाव में अमरावती संसदीय सीट पर सेना प्रत्याशी की हार होते ही यहां पर पार्टी लगातार ढलान की ओर दिखाई दे रही है और जिसका सीधा परिणाम हाल-फिलहाल संपन्न अमरावती संभागीय शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव में दिखाई दिया. जब शिवसेना के पास महाविकास आघाडी के तौर पर कांग्रेस व राकांपा का समर्थन रहने के बावजूद सेना प्रत्याशी श्रीकांत देशपांडे को हार का सामना करना पडा. जिसके बाद अब पार्टी मेें जबर्दस्त चिंतन व मनन शुरू किया गया है.
पार्टी के भीतर दबे स्वर में चल रही चर्चाओं के मुताबिक शिवसेना इस समय आंतरिक गुटबाजी व अंतर्कलह का शिकार है. पार्टी द्वारा अन्य बाहरी दलों से आयात किये गये लोगों को जिला प्रमुख जैसे महत्वपूर्ण पद का जिम्मा दिये जाने के चलते निष्ठावान शिवसैनिक काफी दुखी है. साथ ही इस समय शहर व जिला स्तर पर शिवसेना के प्रमुख पदाधिकारी रहनेवाले अधिकांश व्यक्ति ठेकेदारी व्यवसाय से जुडे हुए है और उन्हें संगठन सहित आम जनता के मसलों से कोई लेना-देना नहीं है. जिसकी वजह से अमरावती जिले के सभी निष्ठावान शिवसैनिकोें में काफी हद तक उदासिनता का माहौल है. जिसके मद्देनजर अमरावती शहर व जिले में शिवसेना को एक बार फिर नये स्वरूप व नये उत्साह के साथ खडा करने के लिए पार्टी के पुराने व आक्रामक निष्ठावान शिवसैनिकों के साथ ही पार्टी के साथ अब तक एकनिष्ठ रहे लोगों की ओर जवाबदारी सौंपे जाने की जरूरत है. ऐसे स्वर पार्टी के भीतर से ही उठ रहे है.
शिवसेना से जुडे एक पुराने निष्ठावान शिवसैनिक के मुताबिक हाल-फिलहाल संपन्न हुए शिक्षक विधायक पद के चुनाव के समय पार्टी के भीतर चल रहा अंतर्कलह साफ तौर पर दिखाई दिया. जब सेना के पार्टी प्रमुख तथा राज्य के मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे द्वारा साफ तौर पर दिशानिर्देश दिये जाने के बावजूद शिवसेना के कई पदाधिकारियों ने सेना प्रत्याशी प्रा. श्रीकांत देशपांडे के पक्ष में काम ही नहीं किया और वे इस चुनाव से लगभग अलिप्त ही बने रहे. इसके साथ ही अमरावती में शिवसेना की स्थिति उस समय तक बहुत अच्छी थी, जब पार्टी के किसी न किसी वरिष्ठ नेता का बीच-बीच में अमरावती दौरा हुआ करता था. लेकिन अब वरिष्ठ नेताओें के दर्शन केवल चुनावी रैलीयों या सभाओें के समय ही होते है. इसमें भी अब गिनती के इक्का-दूक्का नेता ही दिखाई देते है. जैसा शिक्षक विधायक पद के चुनाव के समय हुआ, जब केवल उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्री उदय सामंत तथा शालेय शिक्षा मंत्री एड. वर्षा गायकवाड ने एक-दो सभाएं की थी. साथ ही शिवसेना के सभी पदाधिकारियों में अपेक्षित एकजूटता का अभाव भी दिखाई दिया. जिसकी वजह से सेना प्रत्याशी प्रा. श्रीकांत देशपांडे जीत से महज एक कदम दूर रहते हुए इस चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे. प्रा. श्रीकांत देशपांडे की हार को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने बेहद गंभीरतापूर्वक लिया है और अब इसके कारणों की मीमांसा की जा रही है. साथ ही वरिष्ठ नेताओें द्वारा शिवसेना को अमरावती में एक बार फिर पूरी ताकत के साथ खडा करने के लिए निकम्मे व नकारा पदाधिकारियों को पद से हटाया जा सकता है और उनके स्थान पर नये चेहरों को मौका दिया जा सकता है. ऐसी स्पष्ट संभावना देखी जा रही है.
सुत्रों के मुताबिक आगामी समय में बहुत जल्द स्थानीय स्वायत्त निकायों के चुनाव होनेवाले है. ऐसे में कम से कम स्थानीय स्वायत्त निकायों में अधिक से अधिक पार्टी प्रत्याशी विजयी हो, इस दृष्टि से शिवसेना द्वारा अमरावती शहर व जिले के कार्यकारिणी में काफी फेरबदल किये जा सकते है, ऐसा माना जा रहा है. जिसके लिए पार्टी द्वारा एक बार फिर अपने सभी पुराने व एकनिष्ठ कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों से संपर्क किया जा रहा है और उनसे रायशुमारी भी ली जा रही है, ताकि पार्टी को एक बार फिर पुरानी मजबूती के साथ खडा किया जा सके.

Back to top button