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लॉकडाउन उल्लंघन के मामले में हो सकती है कडी सजा

 अपराध वापस लेना सरकार के लिए इतना आसान नहीं

अमरावती/प्रतिनिधि दि.15 – लॉकडाउन और कडे निर्बंधों का उल्लंघन करने वाले लोगों पर धारा 188 (सरकारी अधिकारियों के आदेश की अवमानना करना) इस अपराध के साथ ही आपदा व्यवस्थापन कानून का उल्लंघन करना, साथी रोग का प्रसार कर अन्यों की जान खतरे में डालना की धारा 269 और धारा 270 के तहत दाखल किये गए अपराध कमजोर नहीं है. यह धाराएं गंभीर स्वरुप की रहने से उसके गंभीर परिणाम भी लोगों को भुगतने पड सकते है. इस कारण लोगों ने घर से बाहर पडते समय विचार करने की जरुरत है.
पिछले वर्ष कोविड का जबर्दस्त भय लोगों के मन में था. इस बात को ध्यान में रखकर बगैर अनुमति घर से बाहर निकलने वालों पर धारा 188 के तहत (जनसेवकों के आदेश का पालन न करना) अपराध शहर व ग्रामीण पुलिस ने दर्ज किये थे. किंतु तत्कालीन गृहमंत्री अनिल देशमुख ने यह अपराध वापस लेने की घोषणा की थी. इस बीच उनका पद गया और अपराध वापस लेने बाबत कोई भी आदेश पुलिस प्रशासन को प्राप्त नहीं हुए. इस बीच कोरोना का संक्रमण फिर बढने लगा और कोरोना की श्रृंखला तोडने प्रशासन को कडे निर्बंध और लॉकडाउन की घोषणा करनी पडी. इसी बीच कोविड नियमों का उल्लंघन करने वाले नागरिक और व्यापारियों पर धारा 188 के साथ ही धारा 269, 270 व आपदा व्यवस्थापन कानून का उल्लंघन करना आदि गंभीर स्वरुप के मामले लगाकर अपराध दर्ज किये जा रहे है. यह अपराध आसानी से वापस लेना सरकार को भी संभव नहीं होगा.

  • व्हिसा भी नकारा जा सकता है

पुलिस की ओर से नोंद किये जा रहे अपराधों का स्वरुप काफी गंभीर है. इन अपराधों के मुकदमों का सामनाा करना पड सकता है. इसके साथ ही आपदा व्यवस्थापन कानून का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को अनेक देशों से व्हिसा नकार जाता है. इसके अलावा पासपोर्ट हासिल करते समय यह बाधा आने की संभावना है.

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