अमरावती/प्रतिनिधि दि.31 – इस समय जहां एक ओर कोविड संक्रमण का कहर जारी है. वहीं दूसरी ओर तौक्ते चक्रावात की वजह से हो रही बेमौसम बारिश के चलते मृग बहार के संतरे का करीब 250 करोड रूपयों का नुकसान होने का अंदेशा व्यक्त किया जा रहा है.
बेमौसम बारिश की वजह से खेती-किसानी के काम अपूर्ण पडे है और बुआई के कामों में बाधा निर्माण हो रही है. वहीं वरूड तहसील में मृग बहार के संतरे की फसल लेनेवाले किसानों पर संभावित नुकसान की तलवार लटक रही है. वरूड तहसील में कुल 22 हजार हेक्टेयर संतरा क्षेत्र में से 6 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में आंबिया बहार की फसल ली जाती है. वहीं मृग बहार की फसल आने में 60 से 75 दिनों की अवधि (ताण) आवश्यक रहती है. किंतु बेमौसम बारिश की वजह से यह अवधि खंडित हो जाने के चलते संतरा उत्पादक किसानों की आशाएं धुमिल हो गयी है. वहीं दूसरी ओर बेमौसम बारिश की वजह से खरीफ फसलों की बुआई का काम भी अटका पडा है. ऐसे में संतरा उत्पादक क्षेत्रों के किसान काफी हैरान-परेशान है.
जहां एक ओर संतरा उत्पादक किसानों पर आमसनी संकट टूट पडा है, वहीं दूसरी ओर खरीफ फसलों के लिए खाद और बीज की व्यवस्था करने हेतु भी किसानों को पाई-पाई जोडनी पड रही है. साथ ही कोविड संक्रमण के चलते लॉकडाउन लागू रहने की वजह से किसानों सहित खेतीहर मजदूर भी आर्थिक समस्या में देखे जा रहे है और कोविड संक्रमण की भय की वजह से खेतीहर मजदूर खेतों में काम करने के लिए तैयार नहीं है. इन तमाम मुश्किलों के बीच जैसे-तैसे बुआई से संबंधित काम किये गये है. वहीं अब तक बैंकों द्वारा फसल कर्ज नहीं दिया गया है और कृषि सेवा केंद्रों द्वारा किसानों को उधारी में खाद व बीज नहीं दिया जा रहा. ऐसे में पैसों का अभाव रहने की वजह से किसान काफी हद तक असहाय हो गये है और इस बार सैंकडों हेक्टेयर कृषि भुमि पर बुआई नहीं हो पायेगी, ऐसा अनुमान व्यक्त किया जा रहा है.