राजनीतिक भावनाओं से परे हटकर अपनी भलायी के बारे में सोचें सभी शिक्षक
शिक्षक महासंघ के प्रत्याशी शेखर भोयर ने किया आव्हान
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अपनी दावेदारी को शिक्षक हित में बताया समर्पित
अमरावती प्रतिनिधि/दि.२० – इस समय समाज को ज्ञानदान के जरिये दिशा देनेवाले शिक्षकोें की स्थिति काफी बिकट है और उनका जीवन सरकारी निर्णयों के पेंच में फंसा हुआ है. जिसकी वजह से कहीं पर शालाएं बंद होने की कगार पर है, और कहीं पर दिन के समय बिना वेतन के भूखे पेट काम करनेवाले शिक्षक अपना पेट पालने के लिए शाम के समय साग-सब्जी बेच रहे है या रात के समय होटलों में काम कर रहे है. अमरावती विभाग सहित समूचे राज्य में यह स्थिति बीते १२ वर्षों से देखी जा रही है. जिसे बदलना बेहद जरूरी है. ऐसे में संभाग के शिक्षक मतदाताओं को चाहिए कि, वे शिक्षक विधायक पद के चुनाव जैसे सुनहरे अवसर का लाभ राजनीतिक लोगों को न दे, बल्कि इस मौके का अपने व अपने जीवन के फायदे हेतु प्रयोग करे. यह चुनाव वैसे भी दलगत राजनीति से अलग होता है.
अत: इस चुनाव में शिक्षकों को व्यर्थ की भावनाओं में न बहते हुए पूरी गंभीरतापूर्वक अपनी समस्याओं को सुलझाने के संदर्भ में सोचना चाहिए और जो व्यक्ति बिना किसी राजनीतिक स्वार्थ के विगत १०-१२ वर्षों से शिक्षकों के अधिकार के लिए लड रहा है, उसे अपना प्रतिनिधि चुनकर विधान परिषद में भेजना चाहिए, तभी यह चुनाव सार्थक साबित हो सकेगा. इस आशय का प्रतिपादन शिक्षक महासंघ के संस्थापक अध्यक्ष एवं महाराष्ट्र राज्य जुनी पेन्शन हक संगठन पुरस्कृत अधिकृत उम्मीदवार शेखर उर्फ चंद्रशेखर भोयर ने किया. अमरावती विभाग शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से शिक्षक विधायक पद हेतु चुनाव लड रहे है शेखर भोयर ने अपनी दावेदारी के संदर्भ में दैनिक अमरावती मंडल के साथ विशेष तौर पर बातचीत करते हुए कहा कि, जिन कंधों पर भावी पीढी के भविष्य का भार है, ऐसे ज्ञानदाताओं की अवस्था को बदलने के लिए उन्होंने शिक्षा क्षेत्र को सामाजिक उत्तरदायित्व व अंर्तमन की आवाज के चलते अपना कर्मक्षेत्र बनाया और वे विगत करीब १२ वर्षों से बिना किसी स्वार्थ के शिक्षकों की विभिन्न समस्याओं को हल करने के साथ ही उन्हें पुरानी पेन्शन योजना लागू करवाने के लिए कार्य कर रहे है. शेखर भोयर के मुताबिक शिक्षकों के लिए इतने लंबे समय से काम करते रहने के दौरान उनका कभी कोई राजनीतिक स्वार्थ नहीं रहा और किसी राजनीतिक दल से कोई जुडाव भी नहीं है. वे केवल और केवल शिक्षकोें की समस्याओं को हल करने और उन्हें उनका अधिकार दिलाने के लिए ही काम करते आये है. ऐसे में अब शिक्षक मतदाताओं को चाहिए कि, वे राजनीतिक दलों द्वारा पैदा की जा रही बेवजह की भावनाओं के आवेश में न बहे, बल्कि बिना अनुदानित शिक्षकों के अनुदान हेतु, पुरानी पेन्शन हेतु, शिक्षक पद बचाने हेतु और शिक्षकों की अस्मिता व सम्मान हेतु शिक्षक महासंघ द्वारा पेश किये गये प्रत्याशी को अपने पहली पसंद का मतदान करें. अपने द्वारा किये गये सामाजिक कामों की जानकारी देते हुए शेखर भोयर ने बताया कि, शिक्षक महासंघ के पदाधिकारियों व सदस्यों के सहयोग से कोरोना संकटकाल के दौरान अमरावती संभाग के करीब ४ हजार बिना अनुदानित शिक्षकों को शिक्षक महासंघ की ओर से आर्थिक सहायता प्रदान की गई. साथ ही डी.एड. व बी.एड. विद्यार्थियों के लिए पांचों जिलों में नि:शुल्क मार्गदर्शन कार्यशाला आयोजीत की गई.
इसके अलावा एकलव्य ज्ञानवर्धनी स्पर्धा परीक्षा के माध्यम से ३ लाख विद्यार्थियों के लिए नि:शुल्क स्पर्धा परीक्षा का आयोजन भी किया गया. इसके अलावा शिक्षक महासंघ द्वारा बीते १०-१२ वर्षों में हासिल की गई उपलब्धियों के संदर्भ में जानकारी देते हुए शेखर भोयर ने बताया कि शिक्षण सेविकाओं हेतु प्रसूति अवकाश, आदिवासी आश्रमशाला के महिला छात्रावास में महिला अधिक्षक का पद मंजूर, सेल्फी को स्थगिती, कक्षा ९ वीं व १० वीं हेतु ४० शिक्षकों के पीछे ३ शिक्षक पद मंजूर, कक्षा ५ वीं व ८ वीं के संदर्भ में सरकारी निर्णय निर्गमित करवाते हुए कक्षा १० वीं के सामाजिक शास्त्र (भूगोल) विषय की प्रश्नपत्रिका में ८ अंक के गलत प्रश्न के पूरे अंक विद्यार्थियों को दिलवाये गये. इसके अलावा उर्दू शिक्षकोें को हज व उमरा जैसी धार्मिक यात्राओं पर जाने हेतु ८० फीसदी ना-परतावा निधी उपलब्ध करवाते हुए रमजान माह के दौरान उर्दू शालाओं को सुबह के सत्र में आयोजीत कराने में सफलता हासिल की गई. वहीं डीसीपीएस के ब्याज की ऐवज में अमरावती संभाग के लिए ५ करोड २६ लाख ४० हजार रूपये का निधी मंजूर करते हुए बिना अनुदानित घोषित, अघोषित, प्राथमिक, माध्यमिक, अंशत: अनुदानित व अतिरिक्त शिक्षकों के अनुदान हेतु करीब १६० आंदोलन किये गये और पुरानी पेन्शन के लिए मूंडन मोर्चा, आक्रोश मोर्चा, जलसमर्पण आंदोलन, अर्धनग्न आंदोलन करने के साथ ही देश की राजधानी दिल्ली स्थित रामलीला मैदान पर आंदोलन किया गया.
शिक्षक महासंघ द्वारा किये गये प्रयासों के चलते आदिवासी विकास विभाग में ९८ शिक्षक सेवक शामिल हुए, आदिवासी आश्रमशाला के समय में बदलाव हुआ, मुख्याध्यापकों को स्कूल बस के संदर्भ में जारी किये गये विवादास्पद सरकारी निर्णय से मुक्त किया गया, १३३ ठेका नियुक्त शिक्षकों को पुर्ननियुक्ती का आदेश दिलवाया गया, अमरावती संभाग में टीईटी मार्गदर्शन हेतु नि:शुल्क कार्यशाला आयोजीत की गई, कला व क्रीडा शिक्षकों की तासिका पूर्ववत की गई, अहिल्यादेवी होलकर नि:शुल्क प्रवास योजना की अवधि को ३० अप्रैल तक करने में सफलता मिली, कायम बिना अनुदानित शालाओं के नाम से कायम शब्द को हटाने हेतु प्रयास सफल रहे,
हाईकोर्ट की औरंगाबाद खंडपीठ में याचिका दाखिल कर पटसंख्या के आधार पर शाला व शिक्षकों की मान्यता के संदर्भ में अव्यवहारिक निर्देश को रद्द किया गया, शिक्षा महर्षि डॉ. पंजाबराव देशमुख को भारतरत्न मिलने हेतु उनके जन्मस्थान पापल गांव में आंदोलन करने के साथ ही लगातार प्रयास किये गये, तासिका तत्व के प्राध्यापकों के मानधन को बढाया गया, पोषाहार योजना के खाली बारदाने के संदर्भ में २० अप्रैल को जारी किये गये आदेश को रद्द कराया गया, १ महिना ५ दिन तक लगातार मंत्रालय में रूक कर बिना अनुदानित शिक्षकों के लिए ३५० करोड रूपयों के अनुदान हेतु सरकारी निर्णय मंजूर कराया गया, महाविद्यालयीन प्राध्यापकों को डीसीपीएस की पावतियों का हिसाब उपलब्ध करवाया गया, ७ जुलाई को आदिवासी उपयोजन क्षेत्र की शालाओं हेतु निधि वितरित हुआ, जिसमें अमरावती जिले के ६ में से ३ शालाओं का समावेश करवाया गया, अनुदान के लिए विधानमंडल में अनेकों बार ध्यानाकर्षण प्रस्ताव रखने में सफलता मिली तथा नागपुर अधिवेशन के दौरान कनिष्ठ महाविद्यालयीन शिक्षकों के लिए रातभर ठिय्या आंदोलन किया गया.
उपरोक्त उपलब्धियों व सामाजिक कार्यों को विषद करने के साथ ही शिक्षक विधायक पद हेतु चुनाव लड रहे शिक्षक महासंघ के संस्थापक अध्यक्ष शेखर भोयर ने अपनी वचनबध्दता घोषित करते हुए कहा कि, यदि वे शिक्षक विधायक निर्वाचित होते है, तो जब तक शिक्षकों को पुरानी पेन्शन लागू नहीं होगी, तब तक वे खुद भी किसी भी तरह की पेन्शन नहीं लेंगे. यह बात वे शिक्षक मतदाताओं को शपथपत्र के जरिये लिखकर देने हेतु तैयार है.