डेढ साल की समर्पित सेवा का ये सिला अपेक्षित न था
बेस्ट हॉस्पिटल के संचालक डॉ. सोहेल बारी का कथन
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बोले : मरीजों के लिए अपनी और अपने परिवार की जान जोखिम में डाली है मैंने
अमरावती/प्रतिनिधि दि.30 – विगत दिनों वलगांव रोड स्थित बेस्ट हॉस्पिटल में एक ही परिवार की कोरोना संक्रमित दो महिलाओं की 12 घंटे के भीतर मौत होने के बाद क्षेत्र में रहनेवाले कुछ लोगों द्वारा उन महिलाओं के परिजनों को उकसाकर अस्पताल में तोडफोड की गई और अस्पताल के मेडिकल स्टाफ के साथ मारपीट की गई. इस घटना ने मुझे झकझोर कर रख दिया है और मैं यह सोचने पर मजबूर हूं कि, क्या इसी दिन के लिए मैंने विगत डेढ वर्ष से कोविड संक्रमित मरीजों का इलाज करते हुए अपनी और अपने परिजनों की जान को खतरे में डाला था और क्या मुझे डेढ वर्ष की समर्पित सेवा का यही सिला मिलना था. इस आशय का खेदपूर्ण प्रतिपादन बेस्ट हॉस्पिटल के संचालक डॉ. सोहेल बारी द्वारा व्यक्त किया गया है.
इस पूरे मामले को लेकर दैनिक अमरावती मंडल के साथ विशेष तौर पर बातचीत करते हुए डॉ. सोहेल बारी ने कहा कि, जिस समय सभी डॉक्टरों ने कोविड संक्रमण के खतरे को देखते हुए अपने-अपने अस्पताल मरीजों के लिए बंद कर दिये थे. उस समय सबसे पहले उन्होंने ही अपने बेस्ट हॉस्पिटल में अमरावती सहित समूचे विदर्भ क्षेत्र का सबसे पहला निजी कोविड अस्पताल शुरू करने का निर्णय लिया था और जिस समय कोविड संक्रमण के खिलाफ कोई पुख्ता व कारगर इलाज उपलब्ध नहीं था, साथ ही आये दिन आयसीएमआर की गाईडलाईन बदल रही थी और लोगबाग अपने कोविड संक्रमित परिजनों व रिश्तेदारोें तक से दूर भाग रहे थे. उस बिकट हालात में उन्होंने अपनी टीम के साथ कोविड संक्रमित मरीजों का इलाज करना शुरू किया. इन डेढ वर्षों के दौरान उनके यहां भरती हुए अधिकांश मरीज पूरी तरह से ठीक होकर अपने घर लौटे है. इनमें से कई मरीज ऐसे भी थे, जिनका एचआरसीटी स्कोर 20 से 25 के बीच था और उन्हें शहर का कोई भी निजी कोविड अस्पताल अपने यहां भरती करने के लिए तैयार नहीं था. किंतु उन्होंने ऐसे मरीजों को भी अपने यहां भरती करते हुए उनका इलाज किया और इनमें से कई मरीजों की जान भी बचायी. हालांकि इन डेढ वर्ष के दौरान उनके अस्पताल में भी कई मरीजों की मौतें हुई. जिन्हें विधि का विधान और उपरवाले की मर्जी कहा जा सकता है. क्योंकि एक स्तर के बाद तमाम डॉक्टरी प्रयास भी नाकाम हो जाते है.
डॉ. सोहेल बारी के मुताबिक विगत सवा से डेढ वर्ष के दौरान उनके अस्पताल को लेकर किसी भी मरीज की ओर से किसी भी तरह की कोई भी शिकायत सामने नहीं आयी. किंतु विगत दिनों हुई दो मौतों में अपने लिए फायदा खोजते हुए कुछ लोगों ने उन्हें (डॉ. बारी) व उनके बेस्ट हॉस्पिटल को बदनाम करने का कुत्सित प्रयास करना शुरू किया है. लेकिन उपरवाले के साथ ही पूरा अमरावती शहर व जिला जानता है कि, कोविड संक्रमण काल से पहले और कोविड संक्रमण काल के दौरान उन्होंने अपने मरीजों के स्वास्थ्य व इलाज के साथ कभी किसी तरह का समझौता नहीं किया और अपने हर एक मरीज की जान बचाना और उसकी बीमारी को ठीक करना उनकी सबसे पहली प्राथमिकता रही. उपरवाले के करम और फजल से वे ऐसा करने में काफी हद तक कामयाब भी रहे. लेकिन इस दौरान जिन लोगों को वे बचा नहीं पाये, उसका उन्हें अफसोस भी रहा.
दो महिला मरीजों की मौत पर हंगामा मचानेवाले लोगों को मौकापरस्त करार देते हुए डॉ. सोहेल बारी ने कहा कि, कोई भी डॉक्टर जानबुझकर अपने किसी मरीज को मरने नहीं देता या मार नहीं डालता. बल्कि हम अंतिम क्षण तक अपना पूरा दम और कौशल लगाकर मरीज की जान बचाने का काम करते है. यह बात हंगामेबाज लोग शायद नहीं जानते, क्योंकि वे मौके का फायदा उठाने के लिए केवल हंगामा करना ही जानते है, लेकिन ऐसे हंगामेबाज लोगों से उन्हें (डॉ. बारी) कोई फर्क नहीं पडता, क्योंकि विगत डेढ वर्ष के दौरान बेस्ट कोविड हॉस्पिटल में भरती होने के बाद ठीक हुए सभी मरीज इस बात के गवाह है कि, बेस्ट हॉस्पिटल में किस तरह की सुविधाओं के साथ किस तरह का इलाज होता है. इसके अलावा कोविड संक्रमण काल से पहले भी उन्होंने अपनी प्रैक्टिस के दौरान हजारों लोगों का इलाज किया है और आज तक कभी किसी मरीज को उनसे किसी तरह की कोई शिकायत नहीं हुई. यहीं उनके जीवन की सबसे बडी उपलब्धि और पूंजी है.