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इस बार दुर्गोत्सव पर नहीं रहेगी रौनक

  •  पंडालों में स्थापित होगी केवल ४ फुट की माँ की मूर्तियां

  •  न झांकिया रहेगी और न ही होगा महाप्रसाद

  •  सरोज चौक में पहली बार स्थापित होगी माँ दुर्गा की मूर्ति

  • कोरोना से बचाव के लिए लिया गया निर्णय

अमरावती/प्रतिनिधि दि.१४ – संपूर्ण विदर्भ मेें अंबानगरी की पहचान बरकरार है. अंबानगरी में धार्मिक त्यौहार काफी मायने रखते है. यहां पर धार्मिक त्यौहारों के दौरान श्रध्दालुओं की लंबी कतारे नजर आती है. लेकिन इस बार कोरोना महामारी ने मंदिरों के पट बंद करने के साथ ही धार्मिक त्यौहारों पर भी अपना ग्रहण लगाने का काम किया है. शहर में इस बार दुर्गोत्सव के त्यौहार पर भी कोरोना महामारी का ग्र्रहण देखने को मिल रहा है. जिसके चलते इस बार दुर्गोत्सव त्यौहार की रौनक पूरी तरह से फीकी नजर आ सकती है. हालाकि माँ दुर्गा की पूजा करनेवाले श्रध्दालुओं द्वारा अपने अपने तरीके से सरकार की गाइड लाईन का पालन करते हुए माँ दुर्गा की प्रतिमाओं को पंडालों में स्थापित करने का निर्णय लिया है. इस बार शहर के दुर्गात्सव मंडलों के पंडालों में केवल ४ फुट की मूर्ति ही स्थापित की जायेगी. यहां तक कि मूर्ति स्थापना को लेकर और विसर्जन के दौरान भी कोई ताम झाम नहीं होगा. न ढोलताशे बजेंगे और न ही गुलाल उड़ाया जायेगा. अमरावती शहर के महत्वपूर्ण दुर्गोत्सव मंडलों के अध्यक्षों से इस बार होनेवाले दुर्गोत्सव की तैयारियों को लेकर अपनी जानकारी दी.

 

 

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सादगीपूर्ण तरीके से होगा दुर्गोत्सव

सराफा स्थित वीरप्रताप नवदुर्गोत्सव मंडल के अध्यक्ष महेन्द्रकुमार जैन ने बताया कि इस बार दुर्गोत्सव के दौरान न रोशनाई रहेगी और न ही किसी प्रकार की झांकियों की साजसज्जा नहीं होगी. पंडाल में केवल चार फुट की माँ दुर्गा की मूर्ति की स्थापना की जायेगी. बीते ५१ वर्षो से यहां पर माँ दुर्गा की स्थापना की जा रही है. लेकिन पहली बार ऐसा समय आया है जब हम सभी अदृश्य कोरोना महामारी से लड़ रहे है और इस विपदा की घड़ी में सरकार की गाइड लाइन का पालन करते हुए दुर्गोत्सव का त्यौहार मनाने का निर्णय लिया गया.

 

 

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धार्मिकता और भावनाओं को आहत न पहुंचे

सराफा स्थित ही श्री सार्वजनिक नवदुर्गाेत्सव मंडल के संस्थापक लालचंद भंसाली ने बताया कि वर्ष १९७३ में यहां पर माँ दुर्गा की मूर्ति की स्थापना की गई. तब से लेकर यहां पर नियमित रूप से दुर्गोत्सव का ९ दिनों का त्यौहार भक्तिमय माहौल में मनाया जा रहा है. इस वर्ष मूर्तिस्थापना का ४८ वां साल है. लेकिन इस बार मंडल के पंडाल में भव्य दिव्य मूर्ति की स्थापना करने की बजाय ४ फुट की मूर्ति भी स्थापित की जायेगी. रोजाना दोनों समय पर नियमित रूप से आरती होगी. यहां पर अक्सर दुर्गोत्सव के दौरान होनेवाले होम हवन में शहर के प्रतिष्ठित नागरिक शामिल होते है. लेकिन इस बार मंडल के कार्यकर्ता ही सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते ही होम हवन का कार्य पूरा करेंगे. यहीं नहीं तो दुर्गाेत्सव के दौरान श्रध्दालुओं के लिए आयोजित किए जानेवाले प्रसाद और महाप्रसाद का भी आयोजन इस बार रद्द किया गया है. इस बार न ही पंडालों मेें लाऊडस्पीकर बजेगा और न ही कोई झांकी होगी. इस बार न ही शहर में मेला भरेगा और अंबादेवी मंदिर भी बंद है. जिसके चलते दुर्गोत्सव त्यौहार की रौनक फीकी ही रहेगी. भीड़ न बढ़े इसके लिए दुर्गोत्सव मंडल की ओर से यह निर्णय लिया गया है. इस मंडल में अध्यक्ष प्रवीण हरमकर, दीपक खत्री, मोहन अग्रवाल, ओमप्रकाश चांडक, राजेन्द्र भंसाली, अविनाश चुटके, सीमेश श्राप का समावेश है.

 

 

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कोरोना काल में बाटेंगे मास्क

अंबागेट-गांधी चौक स्थित पंचदीप नवरात्रि उत्सव समिति की ओर से बीते २६ वर्षो से २५ फुट की माँ दुर्गा की मूर्ति की स्थापना की जाती है. लेकिन कोरोना महामारी के दौर में और अपने २७ वें वर्ष में यहां पर बनाए गये पेंडाल में ४ फुट की माँ दुर्गा की स्थापना की जायेगी. यह दौर ऐसा है जिसमें भीड़ इक नहीं होनी चाहिए इसका विशेष ख्याल रखा जारहा है. कोरोना जनजागृति को लेकर पंंडाल के पास बॅनर्स लगाए जायेंगे. वहीं पैंडाल को नियमित रूपसे सैनेटाइज किया जायेगा. यहां तक सैनेटाइजर भी रखे जायेंगे. इतना ही नहीं तो कोरोना काल में मास्क का वितरण भी किया जायेगा. सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए पंडाल के पास बॉक्स बनाए जायेंगे. जहां पर तीन फुट की दुरिया रखी जायेगी. नवदुर्गोत्सव के दौरान पंडित के हाथों ही दो समय का पूजा पाठ और होम हवन का आयोजन होगा. मूर्ति स्थापना और विसर्जन के दौरान किसी भी तरह की रैली नहीं निकाली जायेगी. सरकारी गाइड लाइन का पूरी तरह से पालन किया जायेगा. संभवत: इस त्यौहार के दौरान मंडल की ओर से रक्तदान शिविर का भी आयोजन किया जा सकता है.

 

 

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न प्रसाद बटेगा और न महाप्रसाद होगा

रायली प्लॉट स्थित नवदुर्गा महोत्सव समिति की ओर से बीते ५४ वर्षो से माँ दुर्गा मूर्ति की स्थापना की जाती है. लेकिन कोरोना काल में पहलीबार यहां के पेंडाल में भव्यदिव्य माँ की मूर्ति की स्थापना की बजाय ४ फुट की मूर्ति की स्थापना की जायेगी. इस बार सादगीपूर्ण तरीके से ही त्यौहार मनाया जायेगा. न प्रसाद बटेगा औरन ही महाप्रसाद का आयोजन होगा. इस समिति में अध्यक्ष प्रमोद तिवारी, गौतम चोपड़ा, विलास हिर्वीकर, आदित्य पुरवार, दिनेश शुक्ला, चंदन साहू, अनिल चंदन, गौरव चोपड़ा, सुभाष राटी, अंकित पुरवार, नंदकुमार कुंडलवार, अजय तिवारी आदि का समावेश है.

 

 

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सरोज चौक में इस बार नहीं विराजेगी काली माता

शहर के सरोज चौक में जय माता महाकाली उत्सव मंडल की ओर से बीते ३० वर्षो से काली माता की मूर्ति की स्थापना की जाती है. लेकिन इस बार कोरोना महामारी के दौर में कालीमाता की छोटी मूर्ति नहीं बन पाने से पहली बार मंडल के पंडाल में माँ दुर्गादेवी की मूर्ति की स्थापना की जायेगी. लाईटिंग और डेकोरेशन भी नहीं रहेगा. यही नहीं तो प्रसाद का भी वितरण नहीं होगा. इस मंडल में अध्यक्ष वसंत गुप्ता, पवन आसोकर,भूषण भामकर, गोपाल दूत, श्याम गुप्ता, मनीष सरभैया, दिनू जोशी, उमेश चौरसिया आदि का समावेश है.

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