‘उन’ तीनों को हाईकोर्ट से मिली अग्रिम जमानत
मनपा की आमसभा में हंगामा मचाने का मामला
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नागपुर खंडपीठ ने दी राहत
अमरावती/दि.27 – विगत मंगलवार 17 अगस्त को मनपा की आमसभा जारी रहने के दौरान सदन के भीतर घुसकर हंगामा मचाने तथा सरकारी कामकाज में बाधा पहुंचाने को लेकर नामजद किये गये युवा स्वाभिमान पार्टी के पदाधिकारी पराग चिमोटे, सचिन भेंडे व गणेश मरोडकर को मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने अग्रिम जमानत दे दी है. ऐसे में गिरफ्तारी से बचने हेतु विगत 17 अगस्त से लगातार फरार चल रहे इन तीनों को एक बडी राहत मिल गई है.
बता दें कि, विगत 17 अगस्त को आमसभा में हंगामा मचाये जाने को लेकर नामजद किये गये पराग चिमोटे, सचिन भेंडे व गणेश मरोडकर ने गिरफ्तारी से बचने हेतु सबसे पहले एड. दीप मिश्रा के जरिये स्थानीय जिला व सत्र अदालत में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन पेश किया था. जिस पर अदालत ने पुलिस को 24 अगस्त तक अपना ‘से’ दाखिल करने हेतु कहा था. पश्चात पुलिस का पक्ष सुनने के बाद अदालत ने तीनों की ओर से पेश अग्रिम जमानत के आवेदन को खारिज कर दिया था. जिसके बाद तीनों ही अग्रिम जमानत पाने हेतु नागपुर हाईकोर्ट पहुंचे. जहां पर न्या. विनय जोशी की अदालत में एड. संग्राम शिरपुरकर ने तीनों याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी की. जिसके बाद हाईकोर्ट ने तीनोें को अग्रिम जमानत देना मंजूर किया.
याद दिला दें कि, विगत 17 अगस्त को मनपा मुख्यालय स्थित विश्वरत्न डॉ. बाबासाहब आंबेडकर सभागार में आमसभा की कार्रवाई चल रही थी. किंतु सदन का कामकाज जारी रहने के दौरान युवा स्वाभिमान पार्टी के पदाधिकारी व कार्यकर्ता अपने साथ मनपा के ठेका नियुक्त कर्मचारियों को लेकर सदन के भीतर घुसे और आमसभा जारी रहने के दौरान जमकर नारेबाजी की गई. इस हो-हल्ले और शोर-शराबे की वजह से आमसभा को स्थगित कर देना पडा. जिसके बाद जहां एक ओर महापौर चेतन गावंडे सहित मनपा पदाधिकारियों के दल ने पुलिस आयुक्त डॉ. आरती सिंह से मुलाकात करते हुए उन्हें पूरे मामले से अवगत कराया. वहीं दूसरी ओर उसी दिन मनपा प्रशासन की ओर से सिटी कोतवाली पुलिस थाने में हंगामेबाजों के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी गई. जिसके आधार पर पुलिस ने करीब 100 लोगों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत अपराध दर्ज किया था. नामजद आरोपियों में पराग चिमोटे, सचिन भेंडे व गणेश मरोडकर का भी समावेश था. जिनकी पुलिस द्वारा सरगर्मी से तलाश करनी शुरू की गई. पश्चात तीनों ने अग्रीम जमानत प्राप्त करने हेतु स्थानीय अदालत में आवेदन प्रस्तुत किया था. जिसे अदालत द्वारा खारिज कर दिये जाने पर वे हाईकोर्ट की शरण में पहुंचे. जहां से उन्हें राहत मिली.