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जो कहते थे एपीएमसी खत्म हो जाएंगी उनका मुंह बंद हो गया

फडणवीस बोले बजट किसान हित में

नागपुर/दि.१-  महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस कहते हैं कि जो लोग यह अफवाह फैला रहे थे कि नए कृषि कानूनों से किसानों के लिए हितकारी कृषि उत्पाद बाजार समितियां बंद हो जाएंगी, उन लोगों का मुंह बंद कर देने वाला यह बजट है.
आगे देवेंद्र फडणवीस का कहना है कि वित्त मंत्री ने किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ा कर डेढ़ गुना कर दिया है. यह घोषणा विरोधियों को आइना दिखाने के लिए काफी है. बजट के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए देवेंद्र फडणवीस ने अपने दावे के समर्थन में आंकड़े पेश किए.
उन्होंने बताया कि गेहूं के लिए 2013-14 में पिछली सरकार ने 33 हजार करोड़ रुपए की रूस्क्क दी थी वो अब बढ़ाकर 75 हजार करोड़ की गई है. चावल के लिए 63 हजार करोड़ दिए गए थे जो बढ़ाकर 1 लाख 72 हजार करोड़ कर दिया गया है. इसी तरह से दाल के लिए 236 करोड़ दिए गए थे जो अब 10 हजार करोड़ दिए जा रहे हैं. कपास के लिए जो 90 करोड़ की रकम दी गई थी वो इस बजट में बढ़ाकर 25 हजार करोड़ कर दी गई है. इससे स्पष्ट होता है कि पिछली सरकार से दोगुने से ज्यादा मूल्य वर्तमान केंद्र सरकार ने किसानों को दिया है.
‘किसानों को मदद ऐतिहासिकÓ
इसके अलावा देवेंद्र फडणवीस एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र को लेकर भी इस बजट की उपलब्धियां गिनाते हुए बताते हैं कि लघु सिंचाई योजना के लिए 10,000 करोड़ रुपए देने की अभूतपूर्व घोषणा की गई है. ऐसा इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ. मत्स्यपालन, कुक्कुटपालन, दुग्ध उत्पादन, बंदरगाहों के विकास के लिए भी ढेर सारी योजनाएं और फंड इस बजट के माध्यम से दिए गए हैं. सबसे बड़ी बात तो यह कि 16 लाख रुपए का कर्ज किसानों को उपलब्ध करवाने की घोषणा की गई है. इसी तरह ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 40 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त फंड दिए जाने की बात भी देवेंद्र फडणवीस ने गिनाई.
लेकिन बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए महाराष्ट्र के किसान नेता रघुनाथ दादा पाटील का कहना है कि यह सरकार दबाव में आकर काम कर रही है. जो पंजाब और हरियाणा के किसान आंदोलन कर रहे हैं, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का फायदा वे लोग उठाते हैं बाकी राज्यों के किसानों के लिए कुछ खास नहीं दिया गया है इस बजट में. स्वाभमानी शेतकरी संगठन के नेता राजू शेट्टी सवाल उठाते हैं कि लघु सिंचाई योजना के लिए 10,000 करोड़ रुपए के फंड को जो अभूतपूर्व बताया जा रहा है उनसे पूछा जाए कि पिछले बजट में जिस पैकेज की घोषणा की गई थी, वो कहां गया?
कुल मिलाकर इस बजट को लेकर किसानों के मन में मिक्स मूड है. कुछ को लगता है एमएसपी बढ़ी है इससे पता चलता है कि सरकार की नीयत और नीति कृषि बाजार समिति को लेकर सकारात्मक है. कुछ का मानना है कि कि एमएसपी का फायदा देश के चुनिंदा राज्य के किसानों के लिए ही होता है, बाकी किसानों के लिए क्या? कुछ का मानना है कि घोषणाएं तो बहुत होती हैं, ये सब तो ‘वादे हैं, वादों का क्याÓ घोषणाओं पर अमल ज़मीन पर दिखे तो कोई बात बने

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