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नीट रिजल्ट के बाद तीन विद्यार्थियों का आत्मघात

समाजमन सुन्न, चिकित्सकों ने कहा- वातावरण सामान्य रखना जरुरी

अमरावती/दि.15-वैद्यकीय प्रवेश परीक्षा नीट के मंगलवार रात घोषित परीक्षा फल के बाद विदर्भ में तीन विद्यार्थियों की एक के बाद एक आत्महत्या की खबर ने न केवल अभिभावकों बल्कि समाजमन को हिलाकर रख दिया है. जिससे मनोविकार तज्ञ से लेकर सभी इस बात पर जोर दे रहे हैं कि विद्यार्थियों को घर और परिसर में सामान्य वातावरण उपलब्ध करवाना हम सभी की जिम्मेदारी है. चील इट्स जस्ट एन एक्जाम वाला रवैया रखना पालकों के साथ-साथ आसपड़ोस के लोगों और मित्रजनों में रहना आवश्यक है.
* हार्दिक का शोकाकुल अंतिम संस्कार
मंगलवार रात रिजल्ट देखते ही फांसी लगा लेने वाले शहर के छात्र हार्दिक लखतरिया का आज सवेरे हिंदू मोक्षधाम पर शोकाकुल वातावरण में अंतिम संस्कार किया गया. बड़ी संख्या में परिचित और रिश्तेदार तथा समाजबंधु लखतरिया परिवार को ढांढस बंधाने पहुंचे थे. पिता अमित का रुदन, विलाप देखकर पत्थर दिल लोगों का भी मन पसीज गया. इतना करुण रुदन वहां था.बताया गया कि नीट का रिजल्ट देखते ही हार्दिक ने कुछ देर छत पर बिताने के बाद कमरे में छत के पंखे से फांसी लगा ली. इस घटना से अमरावती का अभिभावक मन सुन्न पड़ा है.
* नागपुर में पास होने पर भी आत्मघात
नागपुर के वाठोडा शिवसुंदर नगर में एक छात्र ने नीट में उत्तीर्ण रहने के बाद भी अंक कम मिलने के कारण फांसी लगा ली. छात्र भावेश तेजूसिंह राठोड (19) मूल रुप से कारंजा लाड का रहने वाला था. उसे डॉक्टर बनना था. वह कक्षा 10वीं के बाद तैयारी में जुट गया था. मंगलवार को नतीजा घोषित हुआ. भावेश को अपेक्षित मार्क नहीं प्राप्त होने से उसे डॉक्टर बनने का सपना टूट जाने की आशंका हो गई और रात 11 बजे उसने सिलिंग फैन से फांसी लगा ली.
* गोंदिया में छात्रा की आत्महत्या
गोंदिया के आमगांव में नितिननगर निवासी सलोनी गौतम ने नीट परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. यह कुछ दिनों से तनाव में थी. 13 जून की रात परिवार के लोगों के सो जाने के बाद सलोनी ने अपने रुम में ओढ़नी से फांसी लगा ली. पुलिस ने मौके पर पहुंचकर पंचनामा किया. सलोनी ने कक्षा 12 वीं की परीक्षा अच्छे अंकों से उत्तीर्ण की. उसे उम्मीद थी कि नीट मेंं भी उसे अच्छे अंक मिलेंगे.


पहले से ही सहज माहौल रखें
शहर के जाने माने चिकित्सक डॉ. प्रफुल्ल कडू ने बड़ी सटीक सलाह दी है. उन्होेंने कहा कि रिजल्ट से पहले अभिभावक अपने बच्चों को टेंशन नहीं लेने की सलाह देते हैं. दरअसल परिवार और परिसर में नीट की तैयारी आरंभ करते समय ही बड़ा ही सहज वातावरण रखना चाहिए. नाहक प्रेशर देने वाले लोगों से विद्यार्थियों को दूर ही रहना चाहिए. माता-पिता को भी यह बात ध्यान में रखकर उस हिसाब से व्यवहार रखे तो बेहतर होगा. डॉ. कडू ने कहा कि निश्चित ही नीट एक कठिन परीक्षा है. हर कोई इस सिचुवेशन से नहीं गुजर सकता. इसके लिए बड़ी तैयारी होनी चाहिए. पहले से ही माता-पिता और गुरुजनों द्वारा विद्यार्थियों को ट्रेनिंग देने की आवश्यकता है. एक नीट में फेल होने से कोई जीवन में असफल नहीं होता. सब कुछ खत्म नहीं होता. ऐसे ही विद्यार्थियों को मात्र नीट के भरोसे नहीं रहते हुए अपने आपको प्रत्येक परिस्थिति के लिए तैयार रखना चाहिए. माता-पिता को ही यह दायित्व बहुत सावधानी से निभाना होगा. रिजल्ट के समय भी जहां तक हो सके, बच्चों के साथ रहे. कम-ज्यादा अंक आते रहते हैं. उसका किसी को भी न एट्यीटूड रखना चाहिए, न ही निराश होना चाहिए. बल्कि घर परिवार में माहौल चील इट्स जस्ट एन एक्जाम वाला रहे तो बेहतर होगा, ऐसा भी डॉ. कडू ने कहा.

हर माता-पिता सोचे, हौसला क्यों खो रहे नौनिहाल
शहर की प्रसिद्ध क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट एवं ‘अस्तित्व’ समुपदेशन केंद्र की संचालिका अमिता दुबे के मुताबिक पढाई-लिखाई के क्षेत्र में विगत कुछ वर्षों से जिस तरह की प्रतिस्पर्धा वाला माहौल है, उसके चलते कहीं न कहीं अभिभावकों की अपने बच्चों से उम्मीदें व अपेक्षाएं काफी अधिक बढ गई हैं. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि, बच्चों पर पढाई-लिखाई से ज्यादा उनके माता-पिता की उम्मीदों का बोझ है और जब बच्चें इस बोझ को उठाने में नाकाम साबित होते हैं, तो भीतर ही भीतर टूट जाते हैं. यही वजह है कि, परीक्षा में असफल रहने पर कई बच्चे आत्मघाती कदम उठा लेते हैं. ऐसे में प्रत्येक माता-पिता को चाहिए कि, वे अपने बच्चों पर अपनी उम्मीदों व अपेक्षाओं का बोझ डालने की बजाय उनके मार्गदर्शक बनें और उन्हें तनावमुक्त होकर आगे बढने में सहायता करें. अगर हम ही अपने बच्चों के पंखों में हौसले की ताकत नहीं भरेंगे, तो हमारे नौनिहाल उडान कैसे भरेंगे, यह बात हर माता-पिता को सोचनी चाहिए. केवल कई तरह की सुविधाएं उपलब्ध करा देने का मतलब ही हौसला देना नहीं होता, बल्कि हमें बच्चे की समस्याओं और मानसिकता को भावनात्मक स्तर पर जाकर समझना होगा और यदि इसी परीक्षा में बच्चे का प्रदर्शन थोडा कम भी रह जाता है, या वह असफल भी हो जाता है, तब हमे उसे यह भरोसा भी दिलाना जरुरी है कि, कोई बात नहीं, हम तुम्हारे साथ हैं, आगे मौके और भी मिलेंगे, तब हमारे नौनिहाल जिंदगी का सामना करना सीखेंगे और उन्हें आत्मघात जैसी प्रवृत्ति से प्ररावृत्त किया जा सकेगा.

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