फेयरनेस क्रीम लगाने वाली अकोला की तीन महिलाओं को हुईं किडनी की बीमारी
मुंबई में आया हैरान कर देने वाला मामला
* ब्यूटिशन से खरीदी लोकल फेयरनेस क्रीम
* मां सहित दो युवा बहनों के साथ अजीबो-गरीब मामला
* मुंबई के डॉक्टर भी हुए हैरान
* कई चीजों की जांच करने पर क्रीम से मिला लिंक
मुंबई/दि.4 – मूलत: अमरावती संभाग के अकोला में रहने वाली 20 वर्षीय बायोटेक छात्रा विभा (बदला हुआ नाम) ने अकोला में अपने ब्यूटीशियन से खरीदी गई लोकल फेयरनेस क्रीम का प्रयोग किया. लोगों ने उसके चेहरे की चमक और गोरे दिखने की तारीफ करना शुरू कर दिया. उसके गोरेपन को देखते हुए उसकी मां और बड़ी बहन को भी उसी फेयरनेस क्रीम का प्रयोग करने लगीं. लेकिन उनकी खुशी बहुत कम समय के लिए थी, क्योंकि तीनों को 2022 की शुरुआत में अगले चार महीनों में ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस विकसित होने लगा. यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें गुर्दे में छोटे फिल्टर क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और वे किडनी की समस्याओं से जुझने लगी. ऐसे में जिस डॉक्टर ने उनकी किडनी की समस्या का पता लगाया था, वह हैरान हो गए. इस मैटर को लेकर वह केईएम अस्पताल पहुंचे. ऑनलाइन विचार-मंथन के घंटों के बाद, केईएम में नेफ्रोलॉजी के प्रमुख डॉ. तुकाराम जमाले और अकोला के डॉ. अमर सुल्तान ने इस पर काम करना शुरू किया. उनका ध्यान एक चीज पर गया, वह था तीनों का एक ही मेकअप किट यूज करना. जिसके बाद केईएम की आयुर्वेद प्रयोगशाला में फेयरनेस क्रीम सहित विभिन्न वस्तुओं की टेस्टिंग की गई. परिणामों ने डॉक्टरों को चौंका दिया. डॉक्टर जमाले ने बताया कि स्किन क्रीम में पारे का स्तर हजारों में था, जबकि स्वीकार्य स्तर 1 पीपीएम (पार्ट्स पर मिलियन) से कम है. विभा के रक्त में पारा स्तर 46 था जबकि सामान्य गिनती 7 से कम होती है.
* मां-बहन हुईं ठीक, विभा का चल रहा इलाज
बता दें कि, मरकरी यानि पारा एक भारी धातु होती है. यह मनुष्यों के लिए जहरीली होती है और मेलानोसाइट्स को रोक सकती है, जो पिगमेंटेशन के लिए जरूरी सेल्स होते हैं. डॉक्टर ने कहा कि चूंकि क्रीम में मरकरी की उच्च मात्रा थी, इसलिए यह उनके गुर्दों पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हुए उन्हें गोरा बना रही थी. विभा अभी पूरी तरह से ठीक नहीं हुई हैं लेकिन उनकी मां और बहन ठीक हो गई हैं.
* खतरनाक साबित हो सकते है लोकल सौंदर्य प्रसाधन
सौंदर्य प्रसाधनों में भारी धातुओं की मौजूदगी कोई नई बात नहीं है. 2014 में, दिल्ली स्थित सीएसई ने 32 क्रीमों का परीक्षण किया और पाया कि 14 में भारी धातुएं थीं. फेयरनेस क्रीम आपको गोरा नहीं कर सकती. ज्यादातर फेयरनेस क्रीम में स्टेरॉइड्स की अधिक मात्रा का इस्तेमाल होता है. इसकी वजह डीपिगमेंटेशन होता है. इससे काला रंग कम होने लगता है. यूं तो क्रीम की वजह से काले रंग का सफेद होना एक तरह का साइडइफेक्ट है पर ये फेयरनेस क्रीम इन्हें इफेक्ट की तरह इस्तेमाल करती हैं.