पत्नी की आत्महत्या में दोषी सिपाही को तीन वर्ष जेल
10 हजार रुपए जुर्माना भी, जिला व सत्र न्यायालय का फैसला
अमरावती/दि.27– जिला व सत्र न्यायाधीश क्रमांक 6 श्रीमती पी. एन. राव ने 10 वर्ष पूर्व के प्रकरण में आरोपी पति को महिला की खुदकुशी के लिए कसूरवार पाकर 3 वर्ष सख्त कैद और 10 हजार रुपए जुर्माना की सजा सुनाई. वहीं आरोपी मनोज सुखदेव वरठे (36) के पिता सुखदेव महादेव वरठे (63) को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया. आरोपी मनोज पुलिस सिपाही है. उसके पिता भी पुलिस उपनिरीक्षक रह चुके हैं. इस मामले में सहायक सरकारी वकील मंगेश भागवत ने प्रभावी पैरवी की. उन्हें पीएसआई गव्हाणकर और पैरवी अधिकारी गजानन नागे तथा अरुण हटवार का अच्छा सहयोग मिला.
भातकुली के हाथखेडा निवासी संजय ओगले ने अपनी पुत्री दामिनी का विवाह 7 जून 2013 को मनोज वरठे से किया था. विवाह के समय 1 लाख रुपए दहेज दिया गया था. दामिनी को उसकी बहन प्रियंका ने मोबाइल हैंडसेट गिफ्ट किया था. विवाह के आठ दिनों बाद ही दामिनी ने मायके के लोगों से बात करना बंद कर दिया. फिर आरोपी मनोज वरठे ने संजय ओगले को फोन से अपने घर बुलाया व कहा कि तुम्हारी बेटी का चरित्र ठीक नहीं इसलिए मैनें उसका फोन तोड दिया है. उसे समझा दें.
इसके बाद संजय ओगले से मनोज वरठे ने 50 हजार रुपए की मांग की. जो ओगले न दे सके. इससे आरोपी ने दामिनी को प्रताडित करना शुरु कर दिया. दामिनी ने यह बात मायके और अपनी बहन प्रियंका को बताई थी. 2 सितंबर 2013 को दामिनी ने ससुराल में फांसी लगा ली. जिसकी शिकायत संजय ओगले ने फ्रेजरपुरा थाने में की. शिकायत में ओगले ने आरोपी मनोज वरठे और सुखदेव वरठे का नाम लिया. पुलिस ने जांच कर कोर्ट में आरोपपत्र दायर किया. इस प्रकरण में घटना देखने वाले और आरोपी के पास पडोस के साक्षीदार फितूर हो गए थे. फिर भी एड. मंगेश भागवत ने अन्य साक्षीदार की साक्ष प्रस्तुत की. न्यायालय ने उनका युक्तिवाद ग्राह्य किया. जज श्रीमती राव ने आरोपी को धारा 498 अ के तहत दोषी पाकर सजा सुनाई.