वर्धा /दि.7- एक नाबालिग लडकी का विनयभंग करने के मामले में नामजद आरोपी अमर चंद्रसूर वाघमारे (32, महाकाल) को वर्धा के जिला अदालत ने बाल लैंगिक अत्याचार प्रतिबंधक कानून के तहत तीन वर्ष के सश्रम कारावास व तीन हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई.
जानकारी के मुताबिक पीडित लडकी कक्षा 10 वीं की छात्रा थी और अमर वाघमारे उसके घर के पास ही रहता था. जिसके चलते वह अमर वाघमारे को मामा संबोधित किया करती थी. घटना से 2 वर्ष पहले अमर वाघमारे ने पीडिता को आंखों से अश्लील इशारे किए थे. यह बात पीडिता ने अपनी मां को बताई थी और जब पीडिता की मां ने अमर वाघमारे को समझाने का प्रयास किया, तो अमर वाघमारे ने उसके साथ जमकर विवाद किया. इसके साथ ही पीडिता के माता-पिता मजदूरी के काम पर चले जाने के बाद अमर वाघमारे अक्सर ही पीडिता के घर में घुसकर उसके साथ छेडछाड किया करता था. इससे तंग आकर पीडिता ने यह बात अपने माता-पिता को बताने के साथ ही सावंगी पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई. जिसके आधार पर सावंगी पुलिस ने अपराधिक मामला दर्ज करते हुए जांच पूरी हाने के बाद अदालत ने चार्जशीट पेश की. जहां पर अतिरिक्त विशेष जिला न्यायाधीश क्रमांक-1 वी. टी. सूर्यवंशी ने दोनों पक्षों का युक्तिवाद सुनने के बाद अमर वाघमारे को दोषी करार देते हुए तीन वर्ष के सश्रम कारावास व तीन हजार रुपए के आर्थिक जुर्माने की सजा सुनाई.