राज्य में ग्रापं चुनाव को लेकर आघाडी व भाजपा में कडी टक्कर
मतगणना के प्रारंभिक दौर से ही बनी हुई है टकराववाली स्थिति
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नतीजों को लेकर दिखाई दे रही जबर्दस्त उत्सूकता
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सत्ता पक्ष व विपक्ष द्वारा किये जा रहे अपने-अपने प्रभुत्व के दावे
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देर शाम तक स्पष्ट हो पायेगी स्थिति
अमरावती प्रतिनिधि/दि.१८ – विगत 16 जनवरी को अमरावती जिले की 537 ग्रामपंचायतों सहित राज्य की कुल 14 हजार 234 ग्राम पंचायतों के चुनाव हेतु मतदान कराया गया था. जिसकी मतगणना सोमवार 18 जनवरी की सुबह 7.30 बजे से शुरू हो गयी और सुबह 10 बजे तक प्रारंभिक रूझान भी सामने आने शुरू हो गये. जिसके मद्देनजर कहा जा सकता है कि, राज्य की सत्ता संभाल रही महाविकास आघाडी तथा भाजपा के बीच इस समय जबर्दस्त काटे की टक्करवाली स्थिति बनी हुई है और जैसे-जैसे मतगणना के दौर आगे बढने शुरू हुए, वैसे-वैसे आघाडी एवं भाजपा की ओर से अधिक से अधिक सीटों पर अपने समर्थित प्रत्याशियों की जीत के दावे किये जाने लगे. हालांकि मतगणना के खत्म होने के बाद ही स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट हो पायेगी.
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, ग्राम पंचायत चुनाव में सीधे तौर पर किसी भी राजनीतिक दल या पार्टी द्वारा अधिकृत रूप से अपने प्रत्याशी खडे नहीं किये जाते. बल्कि ग्रामीण स्तर पर आपसी सहमति से पैनल का गठन करते हुए प्रत्याशी तय किये जाते है. जिसके चलते कई ग्राम पंचायतों और सीटों पर चुनाव निर्विरोध भी होता है. इस बार भी जहां अमरावती जिले में 16 ग्राम पंचायतों में निर्विरोध निर्वाचन हुआ, वहीं समूचे राज्य में 1 हजार 523 सीटों पर प्रत्याशी निर्विरोध निर्वाचित हुए है और शेष सीटोें के लिए विगत 16 जनवरी को मतदान कराया गया. जिसकी मतगणना 18 जनवरी की सुबह से शुरू की गई. मतगणना शुरू होने के बाद मिले प्रारंभिक रूझानों को देखकर पता चल रहा है कि, कई प्रस्थापितों के पैनलों को जबर्दस्त धक्का लगा है.
उल्लेखनीय है कि, महाराष्ट्र में शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्र की राजनीति को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है और प्रादेशिक स्तर पर राजनीति में अपना दबदबा कायम रखने हेतु ग्रामीण क्षेत्र की राजनीति में मजबूत पकड होना बेहद जरूरी माना जाता है. इस बात की मद्देनजर सभी राजनीतिक दलों द्वारा अपरोक्ष रूप से ग्राम पंचायत चुनाव में दखलअंदाजी की जाती है और अपने तहसील व ग्रामीण स्तरीय नेताओं के जरिये पैनल लडाये जाते है. ज्ञात रहे कि, डेढ वर्ष पूर्व राज्य की राजनीति में बडा उलटफेर हुआ था. जब विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस व राकांपा के साथ शिवसेना ने महाविकास आघाडी का गठन करते हुए सरकार बनायी थी. ऐसे में इस बार ग्राम पंचायत चुनाव में भी समीकरण काफी बदले हुए दिखाई दिये और कई ग्राम पंचायतों में एक ही पैनल में आघाडी के तीनों घटक दलों के प्रत्याशियों का समावेश रहा और आघाडी के नेताओं ने भाजपा को ग्राम पंचायतों की सत्ता से दूर रखने हेतु जमकर मेहनत की. वहीं भाजपा ने तीनों दलों की आघाडी को कई स्थानोें पर कडी टक्कर दी है. ऐसे में मतगणना के नतीजों को लेकर जबर्दस्त उत्सूकतावाला माहौल देखा जा रहा है.
प्रारंभिक रूझानोें के मुताबिक विदर्भ में अमरावती सहित अकोला, वर्धा व नागपुर जिलों के ग्राम पंचायत चुनावों में महाविकास आघाडी समर्थित पैनल ही आगे दिखाई दे रहे है. वहीं भाजपा द्वारा दावा किया गया है कि, भाजपा 6 हजार ग्राम पंचायतों का चुनाव जीतने जा रही है, वहीं शिवसेना ने भी लगभग 2 हजार ग्राम पंचायतों में स्पष्ट बहुमत के साथ सत्ता हासिल करने का दावा किया है. वहीं इसके अलावा कांग्रेस व राकांपा द्वारा भी कई सीटों पर अपनी जीत के दावे किये गये है. ऐसे में अब सभी की निगाहें मतगणना के अंतिम परिणाम की ओर लगी दिखाई दे रही है.
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शुरूआती नतीजों से आघाडी में उत्साह का माहौल
ग्राम पंचायत चुनाव में आघाडी समर्थित पैनलों को शुरूआती रूझानों में मिल रही सफलता को देखते हुए आघाडी के घटक दलोें व नेताओं में जबर्दस्त उत्साह का माहौल है. इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए आदित्य ठाकरे ने कहा कि, राज्य की महाविकास आघाडी पर ग्रामीण क्षेत्र की जनता ने अपना जबर्दस्त विश्वास जताया है. इसका सीधा मतलब है कि, राज्य सरकार जनता की कसौटियों पर खरी उतर रही है. वहीं उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा कि, महाविकास आघाडी के घटक दलों ने अपने-अपने मजबूत गढों पर अपना प्रभाव कायम रखा है. और सभी ग्राम पंचायतों में निर्वाचित हुए सदस्यों को विकास कामों के लिए सरकार की ओर से हर संभव सहायता की जायेगी.
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कांग्रेस व राकांपा के गढ बरकरार, भाजपा-सेना में रस्साकशीं
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, ग्रामीण क्षेत्र की राजनीति पर पहले से अपनी मजबूत पकड रखनेवाली कांग्रेस व राकांपा ने अपने अपने प्रभाव क्षेत्रवाले इलाकों में शानदार प्रदर्शन किया है. वहीं इस बार भाजपा और शिवसेना के बीच प्रभुत्व को लेकर जबर्दस्त रस्साकशीं देखी जा रही है.
मतगणना के शुरूआती दौर में भाजपा ने 678, शिवसेना ने 714, राकांपा ने 578, कांग्रेस ने 520 तथा मनसे ने 14 ग्राम पंचायतों पर जीत हासिल की है. वहीं 858 ग्राम पंचायतों पर निर्दलियों की सत्ता स्थापित हुई है.