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आज चांद की अमृत किरणों के बीच घोंटा जाएगा दूध

घर-घर बडे उत्साह से मनाई जाएगी कोजागिरी पौर्णिमा

  • शहर में दूध की जबर्दस्त बिक्री, जगह-जगह लगे काउंटर

अमरावती प्रतिनिधि/दि.३० – प्रतिवर्ष शरद पौर्णिमा के अवसर पर कोजागिरी का पर्व सभी घरों एवं परिवारों में बडी धूमधाम के साथ मनाया जाता है और लोगबाग शरद पौर्णिमा वाली रात खुले आसमान के नीचे बैठकर दूध घोंटते है. ताकि चांद से निकलने वाली अमृत किरणों के साए में घोंटा जाने वाला यह दूध स्वास्थ्य के लिहाज से लाभप्रद हो. इस वर्ष यद्यपि सभी पर्वो व त्यौहारों पर कोरोना का साया देखा गया. किंतु घर परिवार के बीच मनाए जाने वाले कोजागिरी पर्व को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखा जा रहा है, और लोगों ने कोजागिरी वाली रात के लिए बडे पैमाने पर दूध की खरीदी की है.
वहीं दूसरी ओर कोजागिरी पर्व को देखते हुुए विभिन्न दूध डेयरी द्वारा भी बडे पैमाने पर दूध बिक्री के इंतजाम किए गए थे. जिसके तहत दूध डेयरियों में दूध उपलब्ध कराने के साथ-साथ शहर के चौक चौराहों पर दूध पैकेट बिक्री हेतु अस्थायी काउंटर लगाए गए है. उल्लेखनीय है कि अमरावती शहर में सरकारी दूध योजना के पैकेटो सहित कई निजी दूध डेयरियों द्वारा भी पैकेट बंद दूध की बिक्री की जाती है. इसके अलावा कई दूध डेयरियों द्वारा खुले दूध की बिक्री भी की जाती है. प्रतिवर्ष इन सभी दूध डेयरियों द्वारा कोजागिरी के अवसर पर बडे पैमाने पर हजारों लिटर दूध के बिक्री का नियोजन किया जाता है. लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण का खतरा रहने के चलते सभी दूध डेयरियों ने बडे एतिहात के साथ दूध का संकलन किया है ताकि पूरे दूध की बिक्री हो जाए और कोजागिरी के बाद दूध न बचे. इस बात के मद्देनजर जहां एक ओर सरकारी दूध डेयरी द्वारा करीब ३ हजार लीटर दूध का संकलन किया गया है वहीं निजी दूध डेयरियों द्वारा १४ से १५ हजार लीटर दूध की बिक्री का नियोजन किया गया है. ऐसे में माना जा सकता है कि इस वर्ष कोजागिरी पर्व के उपलक्ष्य में दिनभर के दौरान करीब १८ हजार लीटर दूध की बिक्री होगी. वहीं गत वर्ष कोजागिरी वाले दिन करीब २१ हजार लीटर दूध की बिक्री हुई थी. जिसमें इस बार थोडी कमी आ सकती है. लेकिन फिर भी कोजागिरी पर्व पर काफी हद तक उमंग व उल्लास का वातावरण दिखाई देने की उम्मीद है. बॉक्स स्वास्थ्य के लिए वरदान की तरह है शरद पौर्णिमा शरद पौर्णिमा को लेकर धार्मिक मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था. साथ ही पुणामों में उल्लेखित है कि इस रात्रि को चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है ऐसे में दूध की खीर बनाकर उसे खुले आसमान के नीचे चांद की रोशनी में रखने की परंपरा है. माना जाता है कि ऐसा करने से दूध में औषधिय तत्व उतरते है. इसी तरह शरद पौर्णिमा वाली रात को ही दमा व अस्थमा की दवाईयां बनायी जाती है. यह बात वैज्ञानिक शोधों से भी साबित हुई है कि पूरे सालभर में केवल शरद पौर्र्णिमा वाली रात ही चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है. ऐसे में शरद पौर्णिमा वाली रात के समय चंद्र की किरणों का शरीर पर पडना भी बेहद शुभ और लाभप्रद माना जाता है.

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