आज माहे रमजान का दूसरा आशुरा होगा खत्म
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भीषण गर्मी व धूप के बीच रखे जा रहे रोजे
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मुस्लिम समाज बंधूओं का इबादत व दुआओं में गुजर रहा दौर
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कल से तीसरे व अंतिम आशुरा की होगी शुरूआत
अमरावती/प्रतिनिधि दि.3 – विगत 14 अप्रैल से मुस्लिम समाज बंधुओं के पवित्र रमजान माह की शुरूआत हुई थी. माहे रमजान के शुरू होने का ऐलान होने के बाद मुस्लिम समाज बंधुओं ने रोजा रखना शुरू किया और एक-एक कर अब 20 रोजे पूर्ण हो चुके है. इसके साथ ही सोमवार 3 मई को माहे रमजान का दूसरा आशुरा पूर्ण हुआ और अब मंगलवार 4 मई से माहे रमजान का तीसरा और अंतिम आशुरा प्रारंभ होगा.
बता दें कि, गत वर्ष की तरह इस बार भी माहे रमजान की आमद भीषण गर्मी का मौसम रहनेवाले अप्रैल व मई माह के दौरान हुई है. इस समय तापमान काफी अधिक रहता है और चिलचिलाती गर्मी पडती है. जिसकी वजह से हर किसी का प्यास के मारे बुरा हाल हो जाता है और बार-बार पानी पीने के बावजूद हर थोडी देर बाद गला सूखता है. ऐसे मौसम और हालात के बीच मुस्लिम समाज के लगभग हर आयुवर्गवाले महिला व पुरूष तथा छोटे बच्चे रोजा रख रहे है और इस दौरान पांचों वक्त की नमाजे अदा करते हुए अपना अधिकांश समय इबादत व दुआओं में गुजार रहे है. बता दें कि, माहे रमजान में रोजादारों द्वारा तडके होनेवाली फजर की नमाज से पहले कुछ खा-पीकर सहरी की जाती है. इसके बाद पूरा दिन कुछ भी खाया-पिया नहीं जाता. यहां तक की थूक को भी गिटका नहीं जाता. पश्चात शाम को सूर्यास्त के समय होनेवाली मगरीब की नमाज से पहले एक घूंट पानी पीकर व एक खजूर खाकर रोजा खोला जाता है और मगरीब की नमाज अदा करने के बाद कुछ भी खाने-पीने की इजाजत होती है. ऐसे में रोजा रखने को उपवास की बेहद कडी पध्दति कहा जा सकता है. जिसका गर्मी के मौसम में पालन करना काफी मुश्किल होता है. किंतु रोजादारों द्वारा बडे ही राजीखुशी तरीके से भीषण गर्मी के इस मौसम में भी रोजे रखे जा रहे है और रहमत व बरकत का महिना माने जाते माहे रमजान में अपने सब्र का इम्तेहान देते हुए खुदा की इबादत की जा रही है.
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9 मई को शब-ए-कद्र, 13 या 14 मई को मनेगी ईद
बता देें कि, माहे रमजान में 26 वें रोजे का काफी महत्व होता है. इस दिन शब-ए-कद्र भी मनायी जाती है. जिसमें मुस्लिम समाज बंधूओं द्वारा रात के समय ईशा की नमाज पश्चात कब्रस्तान में जाकर अपने दिवंगत बुजुर्गों को याद करते हुए दुआएं पढी जाती है. कल 4 मई से शुरू होनेवाले तीसरे आशूरा के तहत आगामी 9 मई को 26 वां रोजा पडेगा और इसी दिन शब-ए-कद्र के तहत मुस्लिम समाज बंधूओं द्वारा कब्रस्तान जाकर अपने बुजुर्गों की याद में दुआएं पढी जायेंगी. जिसके बाद यदि 12 मई को 29 वें रोजे की शाम चांद दिखाई देता है, तो 13 मई को रमजान ईद का पर्व मनाया जायेगा. अन्यथा 12 मई को चांद दिखाई नहीं देने पर 13 मई को 30 वां रोजा रखते हुए 14 मई को रमजान ईद मनायी जायेगी.