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कल धूमधाम से मनेगी कोजागिरी और ईद-ए-मिलाद

हिंदू व मुस्लिम समाज बंधुओं के त्यौहार पड रहे एक ही दिन

  • शहर में सामाजिक सद्भाव का दिखेगा अनूठा संगम

अमरावती/प्रतिनिधि दि.१८ – कल मंगलवार 19 अक्तूबर को अमरावती शहर सहित जिले में हिंदू समाज बंधुओं के लिए महत्वपूर्ण रहनेवाला कोजागिरी का त्यौहार तथा मुस्लिम समाज बंधुओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण रहनेवाला ईद-ए-मिलाद का पर्व मनाया जायेगा. दोनों धर्मों के दो प्रमुख त्यौहार एक ही दिन पडने के चलते शहर में सामाजिक सद्भाव का अनूठा संगम दिखाई देगा. यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, अमरावती शहर में सर्वधर्म समभाव एवं सामाजिक सद्भाव की संस्कृति प्रारंभ से ही रची-बसी है तथा कल इसमें और भी चार चांद लग जायेंगे. जब दिन में ईद-ए-मिलादुन्नबी का पर्व मनाया जायेगा और रात में कोजागिरी का त्यौहार मनेगा. ऐसे में दोनों ही समाजबंधुओं में इन त्यौहारों को लेकर काफी उत्साह देखा जा रहा है.
बता दें कि, दशहरा पर्व के पांच दिन बाद सनातनी हिंदू समाज द्वारा पूर्णमासी के अवसर पर कोजागिरी का पर्व मनाया जाता है. जिसे कोजागिरी पूर्णिमा भी कहा जाता है. कोजागिरी पूर्णिमावाली रात लोगबाग अपनी छतों अथवा खुले स्थानों पर चांद की रोशनी में दूध की खीर बनाते है. मान्यता है कि, इस पूर्णिमावाली रात चांद से स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद रहनेवाली अमृत किरणे निकलती है. जिसकी रोशनी में गर्म किये गये दूध का सेवन करना स्वास्थ्यप्रद होता है. इसके साथ ही दशहरा पर्व के आसपास किसानों के घरों में फसल कटाई के बाद नये अन्न-धान्य की आवक होती है. अत: किसानों द्वारा दशहरा पश्चात पडनेवाली पूर्णमासी की रात गांव की चौपाल पर अलाव जलाकर काजू, बादाम, केशर व पिस्ता जैसे सूखे मेवे डालकर दूध गर्म किया जाता है. जिसका नैवेद्य लक्ष्मी देवी को अर्पित किया जाता है. पश्चात सभी लोग इस दूध को प्रसाद स्वरूप ग्रहण करते है. ऐसे में शहरी क्षेत्र से लेकर ग्रामीण क्षेत्र तक व्यक्तिगत एवं सामूहिक स्तर पर कल कोजागिरी का पर्व बडी धुमधाम से मनाया जायेगा.

  • क्यों मनायी जाती है कोजागिरी?

मान्यता है कि, कोजागिरी पूर्णिमावाली रात माता लक्ष्मी का पृथ्वी पर चंद्रमंडल से होते हुए आगमन होता है. ऐसे में धन-धान्य व सुख-समृध्दी का प्रतिक रहनेवाली देवी लक्ष्मी को बुलाने के लिए सभी लोग जागते है और उन्हें नैवैद्य अर्पित करने हेतु सुखे मेवे डालकर दुध की खीर बनाते है. इस दिन को देवी लक्ष्मी के जन्मोत्सव के रुप में भी जाना जाता है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक, सागर मंथन के समय देवी लक्ष्मी शरद पूर्णिमा के दिन ही समुद्र से उत्पन्न हुई थी. इस रात्रि तंत्र-मंत्र साधना करने वाले श्रीसिध्दिदात्री को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजापाठ करते हैं. ऐसा कहा जाता है कि कोजागिरी की शीतल चांदनी तन पर लेने वालों को मनशांति और उत्तम स्वास्थ्य का लाभ मिलता है. शरद ऋतु की आबोहवा अपने साथ काफी तब्दिलियां लिए होती है. कोजागिरी पर्व परंपरा के साथ ही स्वास्थ्य के दृष्टि से भी बहुत अच्छा पर्व है.

  • इस बार नहीं निकलेगा जुलुस-ए-मोहम्मदिया

– मस्जिदों में नात, तकरीर व मिलाद का आयोजन
वहीं दूसरी ओर कल अमरावती शहर सहित जिले में मुस्लिम समाज बंधुओं द्वारा पूरे जोश-ओ-खरोश के साथ ईद-ए-मिलाद का पर्व मनाया जायेगा. इसके तहत शहर की सभी मस्जिदों में ईद-ए-मिलाद के मुबारक मौके पर नात, तकरीर व मिलाद का आयोजन किया जायेगा. यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, प्रति वर्ष ईद-ए-मिलाद के उपलक्ष्य में मुस्लिम समाज बंधुओ व्दारा जुलूस-ए-मोहम्मदिया का आयोजन किया जाता है. जिसके तहत सिरातुन्नबी कमेटी की ओर से हाथीपुरा स्थित मरकज-ए-अहले सुन्नत मस्जिद मिस्कीन शाह मियां से भव्य पैमाने पर जुलुस-ए-मोहम्मदिया का आयोजन किया जाता है, जो मुस्लिम बहुल क्षेत्रों से होकर गुजरते हुए मद्रासीबाबा दरगाह के पास पहुंचकर समाप्त होता है. इस जुलुस में मुस्लिम समाज बांधव बैनर, झंडे व फरारे लेकर शामिल होते है. साथ ही जगह-जगह पर शरबत वितरण के कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता है. किंतु गत वर्ष की तरह इस वर्ष भी कोविड संक्रमण के खतरे को देखते हुए सिरातुन्नबी कमेटी द्वारा ईद-ए-मिलाद के अवसर पर जुलुस-ए-मोहम्मदिया का आयोजन नहीं करने का निर्णय लिया गया है. हालांकि सरकार द्वारा अब सभी धार्मिक व प्रार्थना स्थलों को खुलने की अनुमति देने के साथ ही धार्मिक स्थलों के भीतर धार्मिक आयोजन करने को अनुमति दी गई है. वहीं सार्वजनिक स्थानों पर रैली, जलसा, जुलुस व शोभायात्रा के आयोजन पर प्रतिबंध कायम रखा गया है. ऐसे में सिरातुन्नबी कमेटी द्वारा सरकारी निर्देशों के मद्देनजर इस वर्ष ईद-ए-मिलाद पर कोई जुलुस नहीं निकालने का निर्णय लिया गया है. इस संदर्भ में जानकारी देते हुए सिरातुन्नबी कमेटी के अध्यक्ष काजी तनवीर, सचिव आरीफ हुसैन, पूर्व पार्षद इमरान अशरफी, मुश्ताक अहमद, सादीक रजा, असलम सलाट, ईस्माईल रारानी व अब्दूल रशीद बारी ने बताया कि, इस विषय को लेकर उनकी पुलिस व प्रशासन के साथ बैठक हुई है. जिसमें तय किया गया कि, कल सुबह हाथीपूरा स्थित मिस्कीन शाह मियां मस्जिद से जुलुस के तौर पर केवल पांच ट्रक निकाले जायेंगे और हर ट्रक में केवल पांच-पांच लोगों को ही बैठने की अनुमति दी गई है. वहीं मस्जिदों में नात, तकरीर व मिलाद का आयोजन करने को लेकर कोई प्रतिबंध नहीं है. अत: सिरातुन्नबी कमेटी ने धुमधाम के साथ जुलुस नहीं निकालने का निर्णय लिया है. वहीं मस्जिदों में विभिन्न धार्मिक आयोजन होंगे.

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  • शहर में रहेगा कडा पुलिस बंदोबस्त

कल शहर में कोजागिरी एवं ईद-ए-मिलाद का पर्व मनाया जायेगा. इस बात के मद्देनजर शहर पुलिस आयुक्त डॉ. आरती सिंह ने सभी शहरवासियों को कोविड प्रतिबंधात्मक नियमों को लेकर सरकार की ओर से जारी निर्देशों का पालन करने और पर्व मनाने हेतु सार्वजनिक स्थलों पर जमा होने की बजाय अपने-अपने घरों पर रहकर ही त्यौहार मनाने का आवाहन किया है. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि, शहर में कानून व व्यवस्था एवं शांति की स्थिति बनाये रखने हेतु 2 डीसीपी, 1 एसीपी, 17 पीआई, 23 पीएसआई व 565 पुलिस कर्मचारियों सहित एसआरपीएफ की 1 कंपनी, क्यूआरटी पथक, आरसीपी पथक एवं 250 होमगार्ड को बंदोबस्त में तैनात किया जायेगा. साथ ही वे खुद भी पूरा दिन ‘ऑन रोड’ रहेंगी.

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