अब लॉकडाउन की मानसिकता में नहीं हैं व्यापारी
संगठन पदाधिकारियों ने ज्ञापन तो सौंपा, किन्तु आम व्यापारी की मानसिकता बंद के समर्थन में नहीं
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सभी को अधिकमास सहित आगे दशहरे व दीपावली का व्यवसाय दिख रहा
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सोशल मीडिया ग्रुप पर हर कोई संभावित बंद का विरोध कर रहा
अमरावती प्रतिनिधि/दि.२१ – अमरावती शहर में कोरोना संक्रमित मरीजों की लगातार बढती संख्या को देखते हुए विगत दिनों महानगर चेंबर ऑफ मर्चन्टस् एन्ड इंडस्ट्रीज के कुछ पदाधिकारियों ने जिलाधीश शैलेश नवाल को ज्ञापन सौंपकर मांग की थी कि, शहर में कोरोना संक्रमण की चेन को तोडने के लिए एक बार फिर लॉकडाउन या जनता कफ्र्यू लगा दिया जाये. लेकिन पता चला है कि, यह मांग व्यापारिक संगठनों के कुछ गिने-चुने लोगोें के ही दिमाग की उपज है और शहर के आम व्यापारी अब किसी भी सूरत में अपना व्यापार बंद नहीं करना चाहते. बता दें कि, शहर में अलग-अलग व्यवसायों से जुडे व्यापारिक संगठनों के सोशल मीडिया साईटस् पर ग्रुप बने हुए है. इन तमाम ग्रुप में इन दिनों चल रही चर्चा का कुल लब्बो-लुवाल यह है कि, शहर के व्यापारी अब कोरोना के भय की वजह से किसी भी तरह का लॉकडाउन या जनता कफ्र्यू नहीं चाहते है. बल्कि व्यापारियों की अब स्पष्ट मानसिकता बन गयी है कि, अब उन्हें कोरोना के साथ ही अपनी जिंदगी जीना है, तो क्यों ना थोडा खतरा उठाकर और तमाम ऐहतियातों का पालन करते हुए qजदगी को जीया जाये. इस संदर्भ में सोशल मीडिया, विशेषकर वॉटसएॅप पर बने व्यापारियों के तमाम ग्रुप्स् में चल रही चर्चा में व्यापारियों द्वारा कहा जा रहा है कि, विगत दिनों महानगर चेंबर के अध्यक्ष सुरेश जैन व सचिव घनश्याम राठी के अलावा प्रतिनिधि मंडल में कोई व्यापारी शामिल नहीं था, बल्कि कुछ राजनीतिक दलों के पदाधिकारी जरूर उपस्थित थे. साथ ही यह ज्ञापन तैयार करने और सौंपे जाने से पहले शहर के सभी व्यापारियों से कोई चर्चा नहीं की गई थी. अत: ऐसे किसी ज्ञापन को शहर के व्यापारियोें का कोई समर्थन प्राप्त नहीं है. पता चला है कि, इससे पहले कोरोना की वजह से करीब ढाई माह का लॉकडाउन झेल चुके व्यापारियोें का साफ तौर पर कहना है कि, उस लॉकडाउन की वजह से उनका पूरा सीझन हाथ से निकल गया और उन्हें व्यापार-व्यवसाय में लाखों-करोडों रूपयों का नुकसान हुआ है. अनलॉक की प्रक्रिया के बाद अब वे जैसे-तैसे खुद को और अपने व्यापार को संभाल रहे है और गाडी धीरे-धीरे पटरी पर आ रही है. ऐसे में अब दुबारा लॉकडाउन को बिल्कूल भी बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. ज्ञात रहे कि, इस समय हिंदू पंचांग के हिसाब से अधिकमास यानी पुरूषोत्तम मास चल रहा है. इस महिने में बाजार में ग्राहकी अच्छीखासी रहती है. साथ ही अधिकमास के बाद नवरात्र, दशहरा एवं दीवाली जैसे बडे त्यौहार पडनेवाले है. इन पर्व व त्यौहारों के दौरान भी बाजार में ग्राहकी की अच्छीखासी रौनक रहती है. जिसके लिए लॉकडाउन के बाद संभले व्यापारियोें ने अपनी ओर से काफी तैयारियां कर रखी है और अब कोई भी व्यापारी नहीं चाहता कि, ऐन दशहरा व दीवाली के सीझन में एक बार फिर लॉकडाउन लगाया जाये.
जल्दी दूकाने बंद करने की बात भी हुई ‘फुस्स‘
उल्लेखनीय है कि, इस समय प्रशासन द्वारा सभी व्यापारिक प्रतिष्ठानों को रात ९ बजे तक खुले रहने की अनुमति दी गई है. किन्तु विगत दिनों कोरोना के बढते संक्रमण को ध्यान में रखते हुए सराफा व्यापारी एसो. ने अपनी दूकाने शाम ७ बजे ही बंद करने का निर्णय घोषित किया था, जिसके बाद रिटेल किराणा एसो, मोबाईल डिलर्स एसो. व इलेक्ट्रॉनिक गुडस् एसो. द्वारा भी बाकायदा जिलाधीश को पत्र सौंपकर बताया गया था कि, शहर में किराणा दुकानों सहित मोबाईल एवं इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के शोरूम अब रोजाना रात ९ बजे की बजाय ७ बजे ही बंद हो जाया करेगी, लेकिन इसके बावजूद विगत तीन-चार दिनों से देखा जा रहा है कि, शाम ७ बजे के बाद ही शहर की अधिकांश मोबाईल व इलेक्ट्रॉनिक उत्पादोें की दूकाने खुली रहती है. वहीं सराफा बाजार में ७ बजे बंद करनेवाला फाम्र्यूला ‘फिफ्टी-फिफ्टी‘ लागू है. इसके अलावा अधिकांश रिहायशी क्षेत्रों में रहनेवाली रिटेल किराणा दुकाने भी रात ९ बजे तक खुली ही रहती है. ऐसे में कहा जा सकता है कि, कोरोना के भय की वजह से दुकानों को शाम के समय जल्दी बंद करने की घोषणा पूरी तरह से ‘फुस्स‘ साबित हुई है.
कपडा मार्केट में संभावित बंद का सर्वाधिक विरोध
बता दें कि, शादी-ब्याह तथा पर्व व त्यौहारों के सीझन में सर्वाधिक ग्राहकी कपडा मार्केट में होती है. लेकिन इस बार कपडा मार्केट के हाथ से शादी-ब्याह का पूरा सीझन चला गया है और अब कपडा व्यवसायियों की पूरी उम्मीदें दशहरा व दीवाली जैसे पर्व पर टिकी हुई है. ऐसे में कुछ व्यापारी प्रतिनिधियों द्वारा जिलाधीश से मिलकर की गई जनता कफ्र्यू संबंधी मांग का सर्वाधिक विरोध कपडा व्यवसायियों द्वारा किया जा रहा है. शहर के रिटेल कपडा व्यवसायियों सहित बिजीलैण्ड, सिटीलैण्ड व ड्रीम्जलैण्ड जैसे बडे व्यापारिक संकुलों में व्यवसाय करनेवाले होलसेल कपडा व्यवसायी अब किसी भी तरह का कोई जनता कफ्र्यू या लॉकडाउन नहीं चाहते है.