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कलेक्ट्रेट में आदिवासी परिवार ने किया आत्मदहन का प्रयास

  • जिलाधिकारी कार्यालय में मची भागदौड

  • छह लोग बोतल में भरकर लाये थे डीजल

  • रास्ते पर लेटकर अपनी व्यथा सुनाते हुए न्याय मांगा

  • पुलिस ने कडी मशक्कत के बाद किया गिरफ्तार

  • बिच्छुखेडा में वन विभाग द्वारा पकडी ३१ भैसे वापस देने की मांग

अमरावती/प्रतिनिधि दि.१० – कुछ दिन पूर्व चिखलदरा तहसील के बिच्छुखेडा निवासी सुरेश उईके अपनी ३१ भैसों को चराने के लिए जंगल क्षेत्र में गया था. जहां पर वन अधिकारियों ने वन क्षेत्र में चराई प्रतिबंधित रहने के नाम पर उसकी ३१ भैसों को पकड लिया और बाद में इन पकडी गई भैसों की नीलामी कर दी. जिससे गरीब परिवार के सामने भूखे मरने की नौबत आ गई है. ऐसे में अपनी ३१ भैसे वापस पाने के लिए उस आदिवासी परिवार के छह सदस्यों ने तीन बच्चों समेत स्थानीय जिलाधिकारी कार्यालय प्रांगण में आत्मदहन करने का प्रयास किया. इस समय सभी लोग अपने साथ बोतल में डीजल लेकर आये थे और खुद को डीजल छिडककर आग लगाने का प्रयास करने लगे. जिसके चलते इस समय परिसर में जमकर भगदड मची. इस आदिवासी परिवार ने रास्ते पर ही लेटकर अपनी व्यथा सुनाते हुए न्याय की गुहार लगाई.
काफी मेहनत के बाद आखिर पुलिस ने आदिवासी परिवार को गिरफ्तार कर लिया. जानकारी के मुताबिक पीडित आदिवासी परिवार के सुरेश जीवन उईके, जिरु प्रेमसा उईके, सुनीता उईके, कम्मो उईके, अनिता उईके, नीलु उईके और तीन छोटे बच्चे आज दोपहर १ बजे जैसे ही जिलाधिकारी प्रांगण में पहुंचे, पहले से बडी संख्या में तैनात पुलिस कर्मचारियों ने आदिवासी परिवार के पास रखी थैलियां तलाशना शुरु किया. आदिवासी परिवार के हर सदस्य ने अपने पास एक-एक बोतल डीजल लाया था. पुलिस ने उनके पास से डीजल की बोतल छीनने का काफी प्रयास किया, मगर पुलिस कर्मचारी असफल नजर आ रहे थे.
बोतल छीनने के लिए काफी मेहनत करना पडा. इस जद्दोजेहाद में आदिवासी परिवार की महिलाएं विलाप करती हुई चिलचिलाती धूप में रास्ते पर ही लेट गई और न्याय देने के लिए याचना करने लगी. जिसके चलते जिलाधिकारी कार्यालय के सामने मुख्य रास्ते का आधा घंटे तक यातायात बाधित रहा. काफी देर के बाद पुलिस ने आदिवासी परिवार के पास से डीजल की बोतल छीनने में सफलता पायी. आरडीसी से चर्चा के बाद आदिवासी परिवार को गाडगे नगर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. उईके परिवार के अनुसार ३१ भैसे आरक्षित वन परिक्षेत्र में जाने के नाम पर टायगर प्रोजेक्ट के अधिकारियों व कर्मचारियों ने उन भैसों को सीधे नीलाम कर दिया. जिससे इस कोरोना काल में उनके परिवार पर भूखे मरने की नौबत आ गई है. एक तरफ शासन देश की जनता को बचाने के लिए मुफ्त अनाज उपलब्ध करा रहा है.
दूसरी ओर टायगर प्रोजेक्ट अपनी मनमानी कर आदिवासियों का शोषण कर रही है. यह मामला पाकमंत्री यशोमती ठाकुर तक विधायक राजकुमार पटेल पहुंचाया. मगर भैसे निलाम हो चुकी थी. पालकमंत्री ने मुख्य वन संरक्षक रेड्डी को खरीखोटी सुनाकर ३१ भैसे वापस देने के आदेश दिये. हां कहने के बाद भी १० दिन बीत गए, मगर अब तक किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई. इसके कारण सुरेश उईके, निलेश उईके, अनिल उईके, नागेश धोत्रे, अर्जुन युवनाते, चकदेव युवनाते, लक्ष्मण पंधराम ने ज्ञापन सौंपकर आज दोपहर १ बजे जिलाधिकारी कार्यालय प्रांगण में आत्मदहन की चेतावनी दी थी. इस चेतावनी को पूरा करने और न्याय पाने के लिए उईके इस आदिवासी परिवार ने जिलाधिकारी कार्यालय प्रांगण में आत्मदहन करने का प्रयास किया. आखिर पुलिस ने उईके परिवार के सभी सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया है.

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