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अमरावती का भी एक ऑक्सिजन टैंकर चुरा ले गये थे ट्रकवाले

पुलिस ने भारी बंदोबस्त में औरंगाबाद से वापिस लाया

  •  भिलाई से नागपुर होते हुए आया था, अमरावती की बजाय पाटन जा रहा था

अमरावती/प्रतिनिधि दि.8 – इस समय लिक्विड ऑक्सिजन तथा मेडिकल ऑक्सिजन भी एक कीमती व महत्वपूर्ण वस्तु हो गयी है और अब ऑक्सिजन की भी तस्करी या चोरी शुरू हो गयी है, क्योंकि इन दिनों कोविड संक्रमित मरीजोें के इलाज हेतु बडे पैमाने पर कृत्रिम ऑक्सिजन की जरूरत पड रही है. ऐसा ही एक मामला बीती राज उजागर हुआ, जब भिलाई से नागपुर होते हुए अमरावती व अकोला के लिए रवाना किये गये दो टैंकरों को टैंकर चालकों द्वारा अमरावती लाने की बजाय गुजरात के पाटण की ओर ले जाया जा रहा था. इस बात की जानकारी मिलते ही औरंगाबाद के निकट डोणगांव में इन टैंकरों को पुलिस की सहायता से रूकवाया गया और फिर वहां से भारी पुलिस बंदोबस्त के बीच वापिस लाया गया. पश्चात एक टैंकर को अकोला के लेडी हार्डिंग हॉस्पिटल तथा दूसरे टैंकर को अमरावती के श्री वल्लभ गैसेस स्थित ऑक्सिजन टैंक में खाली कराया गया.
इस संदर्भ में मिली जानकारी के मुताबिक भिलाई स्थित प्लांट से अमरावती व अकोला के लिए दो ऑक्सिजन टैंकर रवाना किये गये थे. जिन्हें शुक्रवार की दोपहर अमरावती पहुंचना था. यहां पर एक टैंकर को खाली करवाना था. वहीं दूसरे टैंकर को अकोला जाकर खाली होना था. किंतु दोनोें ही टैंकर देर शाम तक अमरावती नहीं पहुंचे. जिसके बाद इन टैंकरों की खोजबीन करनी शुरू की गई और सभी पुलिस थानों को इन टैंकरों के नंबर बताते हुए अलर्ट जारी किया गया. जिसके बाद औरंगाबाद के निकट डोणगांव में पुलिस द्वारा इन दोनोें टैंकरों को नाकाबंदी के दौरान पकडा गया. साथ ही इसकी जानकारी अमरावती के पुलिस महकमे को दी गई. पश्चात कडे पुलिस बंदोबस्त के बीच इन दोनों टैंकरों को औरंगाबाद से अकोला व अमरावती वापिस लाया गया तथा एक टैंकर को अकोला के लेडी हार्डिंग अस्पताल के ऑक्सिजन टैंक में खाली किया गया. वहीं दूसरे टैंकर को अमरावती लाकर यहां के श्री वल्लभ गैसेस में खाली करते हुए दौनों टैंकरों को वापिस नागपुर भेजा गया.

  • कोई बडी बात नहीं, पुरानी हो गई खबर

इस संदर्भ में जानकारी हेतु संपर्क किये जाने पर अमरावती के उपविभागीय अधिकारी राजपूत ने इस मामले को बेहद हलके में लेते हुए कहा कि, इसमें कोई बडी बात नहीं है और यह खबर अब पुरानी हो गई है. जबकि यह मामला बीती रात का ही है. इसके साथ ही एसडीओ राजपूत का यह भी कहना रहा कि, शायद ऑक्सिजन टैंकर के चालक किसी गलतफहमी का शिकार हो गये थे और संभवत: उनके पास पुणे जाने का पत्र था. इसलिए वे अमरावती आने की बजाय औरंगाबाद की तरफ निकल गये. साथ ही एसडीओ राजपूत ने यह भी कहा कि, उन्होंने टैंकर चालकों के पास हकीकत में कहां जाने का पत्र था, यह जांचने की जरूरत नहीं समझी, क्योंकि अमरावती के लिए निकला टैंकर अंतत: अमरावती पहुंच गया. किंतु एसडीओ राजपुत के पास इस बात का कोई जवाब नहीं था कि, अगर पुलिस द्वारा औरंगाबाद में इन टैंकरों को नहीं पकडा जाता, तो ये टैंकर कहां जाते और तब अमरावती को अपने हिस्से का ऑक्सिजन कहां से मिलता. उल्लेखनीय है कि, इन दिनों कोविड संक्रमण की वजह से गंभीर स्थिति में रहनेवाले मरीजों की एक-एक सांस के लिए कृत्रिम ऑक्सिजन बेहद जरूरी एवं महत्वपूर्ण है. साथ ही इस समय कृत्रिम ऑक्सिजन को लेकर जबर्दस्त किल्लत चल रही है और जिला प्रशासन व स्वास्थ्य महकमा ऑक्सिजन की आपूर्ति सुचारू रखने हेतु ऑक्सिजन टैंकर प्राप्त करने के लिए हर जगह पर हाथ-पांव मार रहे है. साथ ही बाहर से आनेवाले ऑक्सिजन टैंकरों को प्राप्त करने और उन्हें अमरावती में स्थित ऑक्सिजन टैंकों में खाली करवाने की जिम्मेदारी उपविभागीय अधिकारी व तहसीलदार को सौंपी गई है. इसके बावजूद भिलाई से नागपुर होते हुए अमरावती के लिए रवाना हुआ टैंकर अमरावती को पीछे छोडते हुए औरंगाबाद तक जा पहुंचा. इसे स्थानीय उपविभागीय अधिकारी और तहसीलदार कार्यालय की नाकामी कहा जा सकता है.

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