नागपुर/दि.14- ब्रेन हेमरेज का शिकार हुए 52 साल के व्यक्ति का उपचार शुरु रहते डॉक्टर्स ने उसे ब्रेन डेड घोषित किया. जिससे परिजन दुखी हो गए. शोक की घड़ी में भी पत्नी सहित परिवार के सदस्यों ने अवयव दान का निर्णय किया. इस मानवतावादी कार्य से दो लोगों को नई जिदंगी मिली है. दाता भारतीय जीवन बीमा निगम का एजेंट था, जिससे एलआइसी की जिंदगी के साथ भी… जिंदगी के बाद भी टैग लाइन साकार होने की प्रतिक्रिया कुछ लोगों ने दी.
न्यू बीड़ी पेठ में रहने वाले दिनेश भागवतकर की तबियत गत 9 अप्रैल को अचानक बिगड़ गई. उन्हें तेज सिर दर्द के साथ उल्टियां होने लगी. सीने में भी दर्द उठा. जगनाडे चौक के निजी अस्पताल में दाखिल किया गया. ब्रेन हेमरेज होने का निदान चिकित्सकों ने किया. उपचार किया गया. उसी दौरान डॉक्टर्स की टीम ने ब्रेन डेड करार दिया. जिससे परिजनों को आघात लगा. वे रोने लगे. ऐसे में डॉक्टर्स ने उन्हें अवयव दान कर अपने प्रिय को अमर करने का मशविरा दिया.
दुख की भयंकर बेला में भी भागवतकर की पत्नी सुजाता तथा बड़े भाई प्रशांत ने अवयव दान हेतु हां कर दी. इसकी जानकारी झोनल ट्रांसप्लांट सेंटर के अध्यक्ष डॉ. संजय कोलते तथा सचिव डॉ. राहुल सक्सेना को दी गई. उनके मार्गदर्शन में झोन संयोजक वीणा वाटोरे ने आगे की प्रक्रिया पूर्ण की. दोनों किडनी और रेटिना का दान किया गया. लिवर फीट नहीं होने से उसका दान न हो सका. एक किडनी आचार्य विनोबा भावे ग्रामीण अस्पताल के मरीज को और दूसरी आर.आर. मल्टीस्पेशालिटी अस्पताल के मरीज को दी गई.