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उद्धव ठाकरे की पीएम मोदी पर बोलने की लायकी नहीं

पूर्व सांसद नवनीत राणा ने साधा उद्धव ठाकरे पर निशाना

अमरावती/दि.13 – जब बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार के खिलाफ मोर्चे निकले, तब उद्धव ठाकरे कहां थे. जब हनुमान चालीसा का पाठ करने पर हमें खुद उद्धव ठाकरे की सरकार ने जेल में डाला था, तब उद्धव ठाकरे का हिंदुत्व कहां गया था और आज वहीं उद्धव ठाकरे हमें हिंदुत्व सीखा रहे है. जिन्होंने हिंदुत्व को खुटी पर टांगकर हिंदुत्व विरोधी कांग्रेस को गले लगाया. ऐसे में उद्धव ठाकरे जैसे व्यक्ति को पीएम मोदी के संदर्भ में बात करने का कोई अधिकार नहीं है. क्योंकि ऐसा करने के लिए ‘जनाब’ उद्धव ठाकरे की लायकी नहीं. इस आशय के शब्दों में अमरावती की पूर्व सांसद नवनीत राणा ने शिवसेना उबाठा के पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे पर जमकर निशाना साधा है.
बता दें कि, शिवसेना उबाठा के पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भाजपा और पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा था कि, पीएम मोदी के एक फोन पर रुस और यूक्रेन के बीच युद्ध रुक जाता है, तो बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार के मामले में खुद को विश्वगुरु कहलवाने वाले पीएम मोदी कोई कदम क्यों नहीं उठाते. बल्कि ऐसा करने की बजाय मोदी और भाजपा द्वारा केवल यहीं पर कटेंगे व बंटेंगे के नारों का उपयोग कर राजनीति क्यों की जा रही है. इसके साथ ही मुंबई के दादर रेल्वे स्टेशन के पास 80 वर्ष पहले निर्मित हनुमान मंदिर को गिराने के संदर्भ में जारी नोटीस का हवाला देते हुए उद्धव ठाकरे ने भाजपा को यह कहते हुए घेरने का प्रयास भी किया कि, मंदिर गिराने की नोटीस जारी करते समय भाजपा का हिंदुत्व कहां चला गया. इसी बयान पर पलटवार करते हुए भाजपा नेत्री व पूर्व सांसद नवनीत राणा ने कहा कि, सत्ता के लिए हिंदुत्व छोडकर कांग्रेस को गले लगने वाले उद्धव ठाकरे के मुंह से अब हिंदुत्व की रक्षा से संबंधित बातें अच्छी नहीं लगती. साथ ही उद्धव ठाकरे का हिंदुत्व प्रेम महाराष्ट्र की जनता ने उन ढाई वर्षों के दौरान जमकर देखा है. जब महाराष्ट्र में खुद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास आघाडी की सरकार थी और पालघर में 2 साधुओं की निर्ममतापूर्वक हत्या की गई थी.
इसके साथ ही भाजपा नेत्री व पूर्व सांसद नवनीत राणा ने यह भी कहा कि, बांग्लादेशी हिंदुओं के साथ भाजपा पूरी मजबूती के साथ खडी है और इसी वजह से केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूर किया था. लेकिन उस वक्त उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस से घबराकर राज्यसभा में इस विधेयक के खिलाफ भूमिका अपनाई थी और आज वहीं उद्धव ठाकरे बांग्लादेशी हिंदुओं को लेकर झुठी फिक्र दिखा रहे है.

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