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हमें हिंदुत्व ना सिखाये उध्दव सेना

  •  सांसद नवनीत व विधायक रवि राणा की शिवसैनिकों को दो टूक

  •  शिवसैनिकों पर दीपाली चव्हाण को न्याय दिलाने की बजाय बेवजह का उत्पात मचाने का आरोप

  •  आदिवासी संस्कृति के साथ ही 118 गांवों में होली मनाने का किया दावा

  •  हरिसाल में होलीका दहन नहीं, बल्कि रेड्डी व शिवकुमार के पुतलों का ही हुआ था दहन

अमरावती/प्रतिनिधि दि.1 – इन दिनों राज्य की सत्ता में रहने के बावजूद शिवसेना के पास कोई सकारात्मक सोच व विकासात्मक काम नहीं है. ऐसे में शिवसेना द्वारा बेवजह के मामलों को तुल देते हुए नाहक ही उत्पात मचाने का काम किया जा रहा है. इस समय बेहद जरूरी है कि, हरिसाल की फॉरेस्ट रेंजर दीपाली चव्हाण की आत्महत्या के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई करने हेतु मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे के समक्ष खुद शिवसैनिकों द्वारा आवाज उठायी जाये, लेकिन ऐसा करने की बजाय शिवसैनिकों द्वारा हिंदुत्व के मुद्दे की आड लेकर नाहक उपद्रव किया जा रहा है. इस आशय का प्रतिपादन जिले की सांसद नवनीत राणा व बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र के विधायक रवि राणा द्वारा किया गया.
बता दें कि, विगत रविवार को जिले की सांसद नवनीत राणा व विधायक रवि राणा द्वारा हरिसाल में होलिका दहन के अवसर पर होली पर उपवन संरक्षक विनोद शिवकुमार व अपर मुख्य वन संरक्षक श्रीनिवास रेड्डी की प्रतिमाएं एवं चप्पल-जुतों का हार चढाते हुए पवित्र होली और आदिवासी संस्कृति का अपमान किया गया. ऐसा आरोप लगाते हुए शिवसेना द्वारा सांसद नवनीत राणा व विधायक रवि राणा के खिलाफ समूचे जिले में तीव्र विरोध प्रदर्शन किये गये और राणा दम्पत्ति के प्रतिमाओं पर चप्पल-जुते बरसाने के साथ ही उनकी प्रतिमाओं पर चप्पल-जुते के हार चढाये गये. इस बारे में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए सांसद नवनीत व विधायक रवि राणा द्वारा उपरोक्त बात कही गयी.
सांसद नवनीत व विधायक रवि राणा ने कहा कि, जिन लोगों ने सत्ता की लालच में अपना हिंदुत्व बेच खाया है, वे लोग आज हमें हिंदुत्व सिखाने चले है. जबकि हकीकत यह है कि, हिंदुत्व की रक्षा करनेवाली शिवसेना स्व. बालासाहब ठाकरे के साथ ही खत्म हो गयी और इस समय उध्दव सेना अस्तित्व में है, जो इन दिनों सत्ता की लाचारी में कांग्रेस सेना बन गयी है. ऐसे में उन्हें कोई हक नहीं कि, वे हमें धर्म और संस्कृति सिखाये. राणा दम्पत्ति के मुताबिक वे विगत 11 वर्षों से प्रतिवर्ष मेलघाट क्षेत्र के आदिवासियों के साथ ही होलिका पर्व मनाते आये है और उन्होंने हमेशा ही आदिवासियों की संस्कृति व परंपराओं का सम्मान किया है. इस बार भी करीब 118 आदिवासी गांवों में पुरे विधिविधान के साथ पूजा-अर्चना करते हुए होलिका दहन किया गया. वहीं हरिसाल गांव में होलिका दहन नहीं हुआ बल्कि दोपहर 3 बजे हरिसाल वन परिक्षेत्र के वन कर्मचारियों ने दीपाली चव्हाण आत्महत्या मामले का निषेध करते हुए चप्पल व जूतों की माला पहनाकर उपवन संरक्षक विनोद शिवकुमार तथा अपर मुख्य वन संरक्षक श्रीनिवास रेड्डी के छायाचित्रों का दहन किया. जिसे कुछ लोग होलिका दहन व होली के अपमान का नाम दे रहे है. ऐसे लोगों को शायद यह नहीं पता कि, होलिका दहन दोपहर 3 बजे नहीं बल्कि शाम 7 बजे के बाद होता है और हरिसाल में रेड्डी व श्रीनिवास के पुतलों का दहन दोपहर 3 बजे किया गया था. किंतु बेवजह के मुद्दों को लेेकर अपनी राजनीति चमकानेवाले लोगों का इससे कोई लेना-देना नहीं है और वे अपनी राजनीति चमकाने के साथ-साथ अपने आलाकमान को खुश करने के लिए नाहक उपद्रव मचा रहे है. ऐसे लोगों को चाहिए कि, वे पहले खुद जाकर आदिवासियों की संस्कृति को समझे और यदि आंदोलन करने का इतना ही शौक है, तो दीपाली चव्हाण मामले में इन्साफ की मांग करते हुए मुख्यमंत्री के समक्ष आंदोलन करे, ताकि दोषी वन अधिकारियों को कडी से कडी सजा हो सके.

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