विद्यार्थियों का दीक्षांत समारोह में हंगामा
कुलगुरू चांदेकर पर लगाये सनसनीखेज आरोप
अमरावती/प्रतिनिधि दि.29 – स्थानीय संत गाडगेबाबा अमरावती विश्वविद्यालय में शनिवार 29 मई को उस समय हंगामा मच गया, जब विद्यापीठ का 37 वां दीक्षांत समारोह ऑनलाईन जारी रहने के दौरान विद्यार्थियोें के एक समूह ने अचानक ही विद्यापीठ की मुख्य प्रशासकीय इमारत के सामने उपस्थित होकर नारेबाजी करने लगे और कुलगुरू डॉ. मुरलीधर चांदेकर पर विद्यापीठ में चल रही कई तरह की गडबडियों की अनदेखी करने का आरोप लगाने लगे.
प्रदर्शनकारियों का कहना रहा कि, वे किसी राजनीतिक दल अथवा विद्यार्थी संगठन से वास्ता नहीं रखते है. किंतु कुलगुरू डॉ. मुरलीधर चांदेकर द्वारा की गई अनदेखी और लापरवाही के चलते अमरावती संभाग के विद्यार्थियों को काफी आर्थिक व शैक्षणिक नुकसान का सामना करना पडा है. ऐसे में कुलगुरू डॉ. मुरलीधर चांदेकर ने खुद सामने आकर उन पर लग रहे आरोपों पर जवाब देना चाहिए. विद्यार्थी समूह द्वारा अचानक किये गये इस धरना प्रदर्शन की जानकारी कुलसचिव के जरिये मिलते ही फ्रेजरपुरा थाना पुलिस का दल विद्यापीठ परिसर पहुंचा तथा प्रदर्शनकारी विद्यार्थियों को पुलिस वाहन में बिठाकर वहां से हटाया गया. प्रदर्शनकारी विद्यार्थियोें में अजिंक्य मेटकर, प्रथमेश पिंपले, गोविंद यादव, करण तुरखेडे सहित कई अन्य छात्रों का समावेश था.
-
विद्या प्राधिकरण की बैठक रद्द, तो दीक्षांत समारोह कैसे आयोजीत
प्रदर्शनकारी विद्यार्थियों का कहना रहा कि, उनके द्वारा किये गये प्रदर्शन पर कुलसचिव ने फ्रेजरपुरा पुलिस को दी गई शिकायत में कहा है कि, विद्यार्थियों ने कोविड संक्रमण काल के दौरान एक जगह इकठ्ठा होकर संचारबंदी नियमों का उल्लंघन किया है. यदि ऐसा है, तो संचारबंदी काल के दौरान दीक्षांत समारोह कैसे आयोजीत किया जा रहा है और इस समारोह हेतु विद्यापीठ के सभागार में कुलगुरू, प्र-कुलगुरू व कुलसचिव सहित विद्यापीठ के करीब 20-22 अधिकारी कैसे उपस्थित है. प्रदर्शनकारी विद्यार्थियों ने यह भी कहा कि, गत रोज विद्यापीठ की विद्या प्राधिकरण की ऑनलाईन बैठक आयोजीत होनेवाली थी और इस बैठक की तारीख 21 दिन पहले ही तय कर दी गई थी. किंतु ऐन समय पर कोविड की संक्रामक महामारी का हवाला देते हुए इस बैठक को रद्द कर दिया गया. यदि कोविड संक्रमण काल के दौरान विद्या प्राधिकरण की ऑनलाईन बैठक आयोजीत नहीं हो सकती, तो ऑनलाईन दीक्षांत समारोह कैसे आयोजीत किया जा रहा है. इन विद्यार्थियों ने यह आरोप भी लगाया कि, विद्यापीठ प्रशासन द्वारा दीक्षांत समारोह के बारे में जिला प्रशासन को केवल सूचित किया गया था और संभवत: जिला प्रशासन द्वारा इस आयोजन के लिए लिखित तौर पर कोई अनुमति नहीं दी गई है. इसे भी अपने आप में विचित्र संयोग कहा जा सकता है.