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वीर पत्नी सविता ने शहीद पति का सपना किया पूरा

शहीद कृष्णा समरीत का बेटा बना लेफ्टीनंट

* पिता की शहादत के समय मां के पेट में था प्रज्वल समरीत
* फौज की परीक्षा में राष्ट्रीय स्तर पर हासिल किया 63 वां रैक
* अब 18 माह के प्रशिक्षण हेतु जाएगा देहरादून
वर्धा /दि.19- वर्ष 1999 में हुए कारगिल युद्ध में अग्रीम मोर्चे पर लडते हुए पुलगांव निवासी भारतीय फौज के सिपाही कृष्णाजी समरीत ने अपना सर्वोच्च बलिदान देते हुए देश के लिए शहादत दी थी. उस समय शहीद कृष्णाजी समरीत की पत्नी सविता समरीत गर्भवती थी और उन्हें 2 वर्ष का एक बेटा भी था. पति की शहादत के बाद वीर पत्नी सविता समरीत ने अपने पति की पेंशन के सहारे अपनी गुजर बसर करते हुए अपने दोनों बच्चे को पढा लिखाकर योग्य व काबिल बनाया. जिसमें से छोटा बेटा प्रज्वल समरीत अब अपने पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए भारतीय फौज का हिस्सा बनने जा रहा है. अखिल भारतीय स्तर पर भारतीय सैन्य दल की चयन परीक्षा में 63 वां रैंक हासिल करने वाले प्रज्वल कृष्णाजी समरीत का भारतीय सेना में लेफ्टीनंट के तौर पर चयन हुआ है. जिसके चलते कई वर्षों के बाद सविता समरीत सहित समरीत परिवार के घर में गर्व से भरी खुशी की लहर देखी जा रही है.
उल्लेखनीय है कि, भारतीय सेना में सिपाही रहने वाले कृष्णा समरीत जब भी छूट्टियों के समय अपने घर आते थे, तो अपने बडे बेटे कुणाल से हमेशा आगे चलकर सैन्य अधिकारी बनने की बात कहा करते थे. हालांकि उस समय कुणाल की उम्र भी साल-डेढ साल के आसपास ही थी. वहीं इसके कुछ समय बाद कृष्णाजी समरीत की कारगिल मोर्चे पर शहादत हो गई. उस समय उनकी पत्नी सविता समरीत गर्भवती थी और उन्होंने पति की शहादत व अंतिम संस्कार के बाद छोटे बेटे प्रज्वल को जन्म दिया. जिसने अपने वीर पिता का कभी मुंह भी नहीं देखा था. पति की शहादत के बाद अपने वीर पति की इच्छा को पूर्ण करने का संकल्प लेकर सविता समरीत ने अपने दोनों बच्चों को अच्छे तरीके से पढाने लिखाने के साथ-साथ उनका बेहतरीन तरीके से संगोपन करने पर ध्यान दिया. जिसके चलते बडे बेटे कुणाल समरीत ने अभियांत्रिकी में पदवी प्राप्त करने के साथ एमटेक होने के साथ ही पुणे में अपना काम करना शुरु किया. यद्यपि शहीद कृष्णाजी समरीत अपने बडे बेटे कुणाल को ही फौज में अधिकारी बनाने की इच्छा रखते थे. लेकिन कुणाल को फौज की बजाय अभियांत्रिकी क्षेत्र में ज्यादा रुची रही. वहीं दूसरी ओर कृष्णाजी समरीत की शहादत के समय अपनी मां के गर्भ में रहने वाले छोटे बेटे प्रज्वल समरीत ने पुलगांव के केंद्रीय विद्यालय से पढाई-लिखाई पूरी की और वह हमेशा ही अपनी मां के साथ-साथ अपने शहीद पिता के सपने को पूरा करने का प्रयास किया करता था. जिसके चलते प्रज्वल ने सैन्य दल परीक्षा की जमकर तैयारी की. जिसमें प्रज्वल ने अखिल भारतीय स्तर पर 63 वां रैंक हासिल करने के साथ ही शानदान सफलता प्राप्त की और उसे भारतीय सेना द्बारा लेफ्टीनंट के तौर पर चुना गया. इसके साथ ही शहीद कृष्णाजी समरीत द्बारा अपने बेटे को भारतीय सेना का अधिकारी बनाने को लेकर देखा गया सपना भी पूरा हो गया. बहुत जल्द पुणे में मेडिकल जांच के बाद प्रज्वल समरीत 18 माह के प्रशिक्षण हेतु देहरादून के लिए रवाना होगा.

* आसान नहीं था वीर पत्नी सविता समरीत का सफर
विशेष उल्लेखनीय है कि, वीर सिपाही कृष्णाजी समरीत के शहादत के बाद मिलने वाले पेंशन पर समरीत परिवार की गुजर-बसर हुई. पति की शहादत के बाद सरकार व सेना से मिली रकम के जरिए वीर पत्नी सविता समरीत ने प्लॉट लेकर अपना घर बनाया. जिससे परिवार को छत मिली. अपने बेटे की उपलब्धि से बेहद भावुक होते हुए सविता समरीत ने कहा कि, बेटे को सेना में अधिकारी बनाने को लेकर पति द्बारा देखे गए सपने को पूरा करने के साथ ही उनका जीवन सफल को गया. वे बताती है कि, पति कृष्णाजी समरीत के देश हेतु बीच राह में अकेला छोडकर चले जाने के बाद शुरुआत में मायके की ओर से काफी साथ व सहयोग मिला. फिर धीरे-धीरे दोनों बच्चे पढ-लिखकर बडे हुए और आज शहीद कृष्णाजी समरीत का छोटा बेटा अपने पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए देश की रक्षा करने के लिए तैयार है. यह उनके जीवन का सबसे बडा क्षण है.

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