अपनी गलतियों को छिपाने दीक्षांत समारोह की आड ले रहे कुलगुरू चांदेकर
युकां प्रदेश महासचिव सागर देशमुख ने लगाया आरोप
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कुलपति व राज्यपाल कोश्यारी को भेजा पत्र
अमरावती/प्रतिनिधि दि.२५ – संगाबा अमरावती विद्यापीठ के कुलगुरू डॉ. मुरलीधर चांदेकर आगामी 1 जून को सेवानिवृत्त होने जा रहे है और उन्होंने कोविड संक्रमण काल जारी रहने के बावजूद अपनी सेवानिवृत्ती से महज दो दिन पहले 21 मई को विद्यापीठ के दीक्षांत समारोह का आयोजन किया है. इस ऑनलाईन आयोजन में राज्य के राज्यपाल व कुलपति भगतसिंह कोश्यारी को भी आमंत्रित किया गया है. कुल मिलाकर इस जरिये कुलगुरू चांदेकर द्वारा दीक्षांत समारोह की आड लेकर राज्यपाल की उपस्थिति में अपनी तमाम गलतियों को छिपाने का प्रयास किया जा रहा है. इस आशय का आरोप महाराष्ट्र प्रदेश युवक कांग्रेस के महासचिव सागर देशमुख द्वारा लगाया गया है.
इस संदर्भ में राज्यपाल व कुलपति भगतसिंह कोश्यारी को लिखे गये पत्र में युकां प्रदेश महासचिव सागर देशमुख ने कहा है कि, डॉ. मुरलीधर चांदेकर ने संगाबा अमरावती विद्यापीठ का कुलगुरू नियुक्त होने के बाद विद्यार्थियों के हित व स्वाभिमान से जुडे सारे मसलों की अनदेखी करते हुए केवल मुठ्ठीभर ठेकेदारों के फायदेवाले काम किये. माईंड लॉजीक नामक कंपनी के संदर्भ में तीन-तीन समितियों द्वारा ठेका रद्द करने की सिफारिश किये जाने के बाद परीक्षा संबंधी काम का जिम्मा रहनेवाली इस कंपनी का ठेका रद्द करने में जानबूझकर विलंब किया गया. इसी तरह अक्तूबर 2020 से जनवरी 2021 के दौरान ली गई ऑनलाईन ग्रीष्मकालीन 2020 की परीक्षा का ठेका नागपुर की कोमार्क कंपनी को दिया गया था. जबकि कंपनी द्वारा खुद अपनी वेबसाईट पर यह स्पष्ट किया गया है कि, कंपनी के पास ऐसी परीक्षा लेने का कोई अनुभव नहीं है. बावजूद इसके डॉ. चांदेकर ने व्यवस्थापन समिती के समक्ष कोई करार न रखते हुए अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए यह ठेका कोमार्क कंपनी को दिया और 5 लाख विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड किया. इसी तरह विद्यापीठ अनुदान आयोग द्वारा विद्यापीठों में अटल कम्युनिटी अन्वेषण सेंटर स्थापित करने हेतु 8 करोड रूपयों का अनुदान घोषित किया और कुलगुरू से इस हेतु प्रस्ताव मंगाया गया. इस जरिये शैक्षणिक विभाग व विद्यापीठ से संलग्नित महाविद्यालयों के विद्यार्थियों के स्वयंरोजगार का मसला हल करना आसान हो सकता था. किंतु कुलगुरू डॉ. चांदेकर ने इस संदर्भ में विद्यापीठ अनुदान आयोग के पास किसी भी तरह का कोई प्रस्ताव नहीं भेजा. जिससे लाखों विद्यार्थियों का नुकसान हुआ.
सागर देशमुख के मुताबिक कुलगुरू डॉ. चांदेकर अब बेहद चालाक पध्दति से अपनी सेवानिवृत्ती से पहले दीक्षांत समारोह आयोजीत कर रहे है. जिसमें जानबूझकर राज्यपाल को आमंत्रित किया गया है, ताकि राज्यपाल की उपस्थिति में अपनी तमाम गलतियों पर परदा डाला जा सके. ऐसे में राज्यपाल व कुलपति भगतसिंह कोश्यारी को चाहिए कि, वे इस दीक्षांत समारोह में उपस्थित न हो, ऐसी मांग भी सागर देशमुख द्वारा की गई है.