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दिल्ली के किसान आंदोलन का विदर्भ की मालढुलाई को फटका

  • अब तक हुआ दो हजार करोड रूपयों का नुकसान

  • आंदोलन के शुरूआती दौर में 30 हजार ट्रक आठ दिनों तक दिल्ली में अटके रहे

अमरावती/प्रतिनिधि दि.21 – नये कृषि कानूनों को पीछे लेने की मांग को लेकर दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन से विदर्भ क्षेत्र के व्यापारी, किसान एवं ट्रान्सपोर्टर बुरी तरह से प्रभावित हुए है, क्योेंकि इस आंदोलन के चलते दिल्ली और विदर्भ के बीच होनेवाली मालढुलाई का काम गडबडा गया है. जहां एक ओर शुरूआती दौर में आंदोलन काफी तीव्र रहने के चलते विदर्भ क्षेत्र के करीब 30 हजार ट्रक दिल्ली में अटके रहे. वहीं इस समय ट्रान्सपोर्टरोें को अपना नियमित रूट छोडकर राजस्थान होते हुए माल को दिल्ली भेजना पड रहा है. जिसकी वजह से नाहक ही अतिरिक्त पैसा, समय और श्रम खर्च हो रहे है. एक अनुमान के मुताबिक दिल्ली में चल रहे आंदोलन की वजह से अब तक केवल विदर्भ क्षेत्र को ही 2 हजार करोड रूपयों के नुकसान का सामना करना पडा है.
बता दें कि, दिल्ली से विभिन्न तरह का माल लेकर विदर्भ आनेवाले ट्रक यहां से वापिस जाते समय संतरे सहित करारानुसार अन्य माल लेकर वापिस जाते है. पहले अमरावती एवं नागपुर सहित विदर्भ क्षेत्र के अन्य जिलों में रोजाना करीब 200 ट्रक दिल्ली से आया करते थे, लेकिन अब उनकी संख्या काफी कम हो गयी है. इसी तरह विदर्भ के जिलोें से भी माल भेजने या मंगाने की बुकींग काफी घट गयी है. बता दें कि, विदर्भ के बाजारपेठोें में दिल्ली से सुखा मेवा, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, बासमती चावल, वाहनोें के स्पेयर पार्ट, फल, कपडे व कंपनियों में लगनेवाले कच्चे माल की आवक होती है. वहीं विदर्भ की बाजारपेठोें से मिरची, हल्दी, सागौन, संतरा, सोयाबीन, सुपारी, दाल, चावल, चना, लोहा व सीमेेंट आदि दिल्ली भेजा जाता है. किंतु विगत दो माह से दिल्ली की सीमा पर चल रहे किसान आंदोलन की वजह से माल ढुलाई का काम काफी हद तक प्रभावित हुआ है. इस किसान आंदोलन की वजह से जहां शुरूआती दौर में स्थानीय ट्रान्सपोर्टरों ने दिल्ली की ओर जाने से इन्कार करा दिया था. वहीं अब सिंधु बॉर्डर बंद रहने के चलते ट्रान्सपोर्टरों को अन्य पर्यायी रास्तों से होते हुए अपने ट्रक निकालने पड रहे है. जिसकी वजह से माल को लाने-ले जाने में काफी विलंब हो रहा है और माल ढुलाई की लागत भी बढ रहीं है. एक अनुमान के मुताबिक इस आंदोलन की वजह से विदर्भ क्षेत्र के व्यापारियों का अब तक करीब दो हजार करोड रूपयों का नुकसान हो चुका है.
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी. सी. भरतीया के मुताबिक इस समय विदर्भ क्षेत्र के सभी गोदामों में जिवनावश्यक वस्तुओें का भरपुर स्टॉक उपलब्ध है. जिसकी वजह से फिलहाल सभी वस्तुओं की दरें नियंत्रित है. किंतु यदि माल ढुलाई में ऐसे ही विलंब होता रहा और मालढुलाई की लागत बढती रही, तो आनेवाले समय में महंगाई बढ भी सकती है.

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