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विसंगतियों व गडबडियों का गढ बन गया है विद्यापीठ

पत्रवार्ता में प्रा. दिनेश सूर्यवंशी का विवि प्रशासन पर ‘हल्लाबोल’

  • ऑनलाईन सीनेट व विषयों की अवहेलना पर लगाया सवालिया निशान

  • सभी प्रश्नों का विषय सुची में समावेश किये जाने की उठायी मांग

  • विद्यापीठ के निजीकरण हो चुकने का लगाया आरोप

अमरावती प्रतिनिधि/दि.28 – किसी भी विद्यापीठ में सीनेट यानी अधिसभा सबसे सर्वोच्च सदन होता है, जो विद्यापीठ प्रशासन को सभी अच्छी बातों व खामियों के संदर्भ में फीडबैक देने का काम करता है. क्योंकि सीनेट के पास कानूनी तौर पर फीडबैक देने का अधिकार होता है. किंतु विद्यापीठ प्रशासन द्वारा सीनेट सदस्यों की ओर से आनेवाले प्रस्तावों को कार्यसूची में शामिल करने से इन्कार करते हुए एक तरह से इस अधिकार की अनदेखी की गई है. साथ ही सीनेट की बैठक को प्रत्यक्ष आयोजीत करने की बजाय ऑनलाईन आयोजीत करते हुए सीनेट सदस्यों की आवाज को बंद करने का प्रयास किया जा रहा है. साथ ही इन दिनों तेजी से निजीकरण की ओर बढ रहे विद्यापीठ में तमाम तरह की विसंगतियां और गडबडियां देखी जा रही है. जिन्हें तत्काल दूर किये जाने की सख्त जरूरत है. इस आशय का प्रतिपादन पूर्व सीनेट सदस्य प्रा. दिनेश सूर्यवंशी द्वारा यहां बुलायी गयी पत्रकार परिषद में किया गया. साथ ही उन्होंने कहा कि, वे इस पत्रवार्ता के जरिये कुलपति व राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी एवं संगाबा अमरावती विवि के कुलगुरू डॉ. मुरलीधर चांदेकर से आवाहन करते है कि, मंगलवार 29 दिसंबर को होने जा रहीं सीनेट की बैठक ऑफलाईन ली जाये तथा सीनेट सदस्यों की ओर से आये सभी प्रस्तावों पर इस बैठक में चर्चा की जाये.
इस पत्रवार्ता में प्रा. दिनेश सूर्यवंशी का कहना रहा कि, सीनेट की बैठक साल में केवल दो बार ही होती है. जिसके जरिये सीनेट सदस्य विद्यापीठ परिक्षेत्र अंतर्गत आनेवाले संस्था चालकों, प्राचार्यों, प्राध्यापकों, शिक्षकेत्तर कर्मचारियों व विद्यार्थियोें से संबंधित मसलों से विद्यापीठ को अवगत कराते हुए उन समस्याओं के समाधान हेतु सुझाव देते है. साथ ही सीनेट बैठक के जरिये विद्यापीठ के कामकाज की समीक्षा करते हुए कामकाज के दौरान दिखाई देनेवाली गलतियों व खामियोें को दूर करने का प्रयास किया जाता है. ऐसे में सीनेट की प्रत्यक्ष बैठक और इस बैठक में आनेवाले विषयों की अनदेखी कतई नहीं की जा सकती.

  • शुल्क निर्धारण समिती की सिफारिशों को भी अनदेखा किया

इस पत्रकार परिषद में प्रा. दिनेश सूर्यवंशी ने कहा कि, करीब डेढ वर्ष पूर्व मुंबई विद्यापीठ के पूर्व कुलगुरू डॉ. राजेंद्र वेलूकर की अध्यक्षतावाली शुल्क निर्धारण समिती द्वारा पदव्युत्तर पाठ्यक्रमों के शुल्क को लेकर कुछ सिफारिशे दी गई थी. जिन पर अब तक संगाबा अमरावती विद्यापीठ द्वारा अमल नहीं किया गया है. जिसका खामियाजा एक तरह से संभाग के छात्रों व उनके अभिभावकों को ही भुगतना पड रहा है. संभाग में पदव्युत्तर पाठ्यक्रम चलानेवाले महाविद्यालयों के शैक्षणिक शुल्क के बारे में विद्यापीठ द्वारा अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है. ऐसे में मैनेजमेंट कोटे के तहत एमए व एमएससी जैसे पाठ्यक्रमोें के लिए भी लाख से डेढ लाख रूपयों का शुल्क वसूल जा रहा है. इसमें संबंधित महाविद्यालयों व उनके संस्थाचालकोें की कोई गलती नहीं है. क्योंकि उन्हें अपना खर्च निकालना है. साथ ही विद्यापीठ द्वारा उन्हें इस संदर्भ में कोई दिशानिर्देश भी नहीं दिया गया है.

  • निजी एजेंसियां ले गयी सभी छात्र-छात्राओं का निजी डेटा

इस समय प्रा. दिनेश सूर्यवंशी ने कहा कि, विद्यापीठ प्रशासन द्वारा परीक्षा एवं मूल्यांकन के कार्य हेतु जिस माइंड लॉजीक व प्रोमार्क नामक निजी एजेंसी को नियुक्त किया गया था, उन कंपनियों द्वारा अमरावती संभाग के करीब 5 लाख विद्यार्थियों, जिनमें लगभग सवा दो लाख छात्राएं भी शामिल है, का पर्सनल डेटा अब भी अपने पास रखा गया है. इसमें इन सभी लडके-लडकियों के नाम, पते, मोबाईल नंबर, वॉटसऍप नंबर, ईमेल आयडी जैसी बेहद निजी जानकारियों के साथ ही उनके जाति, संवर्ग और परीक्षा में मिले अंकों आदि जानकारी का समावेश है. इसमें से विशेष तौर पर लडकियों के पर्सनल डेटा का काफी बडे पैमाने पर दुरूपयोग भी हो सकता है. जिसे विद्यापीठ द्वारा समय रहते गंभीरतापूर्वक नहीं लिया गया. ऐसे में बहुत संभव है कि, यदि अब विद्यापीठ द्वारा उन एजेंसियों से वह डेटा मांगा भी जाता है, तो उन एजेंसियों द्वारा इस डेटा का डुप्लीकेशन कर लिया जाये.

  • क्या विवि प्रशासन लकवे का शिकार है?

प्रा. दिनेश सूर्यवंशी के मुताबिक विद्यापीठ अंतर्गत विभिन्न प्राधिकरण व समितियां कार्य करते है. जिनके द्वारा विगत कुछ अरसे के दौरान कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये. लेकिन हैरत की बात यह रही कि, किसी भी निर्णय पर ‘खमठोक’ अमल नहीं किया गया. ऐसे में यह पूछा जाना बेहद लाजमी है कि, क्या विद्यापीठ कुछ मुठ्ठीभर लोगों की मर्जी के हिसाब से चल रहा है और क्या विद्यापीठ प्रशासन को लकवा मार गया है. प्रा. दिनेश सूर्यवंशी के मुताबिक वे संगाबा अमरावती विद्यापीठ में चल रही तमाम गडबडियों और विसंगतियों के संदर्भ में जल्द ही कुलपति व राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी से मुलाकात करनेवाले है और उनके समक्ष विद्यापीठ प्रशासन का पूरा कच्चाचिठ्ठा खोला जायेगा.

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