अमरावतीमुख्य समाचार
जुड़वा कन्या के जन्म पर हुआ जोरदार जल्लोष
पटारे परिवार ने कुछ इस तरह मनाया नया वर्ष
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ओवी-भावी का हुआ आत्मीय पूजन
परतवाड़ा/अचलपुर दि. ६ – आज भी दकियानूसी विचारों के लोग ‘ पहली बेटी-धन की पेटी ‘ इस प्रकार की घटिया सोच रखकर कन्याजन्म पर अपने स्वयं का थोबड़ा ही आड़ा-टेड़ा करके बैठ जाते है.इसके विपरीत आधुनिक विचारधाराओं से प्रेरित और सावित्रीबाई फुले के आदर्शों को मानती युवा पीढ़ी अब कन्याजन्म पर भी उसी प्रकार धूमधाम से स्वागत समारोह मनाने लगी है जैसे लोग कभी पुत्रजन्म की प्राप्ति के समय दिखावा किया करते थे. अब समय बदल चुका है.लोग दंगल फ़िल्म देखने के बाद भी काफी प्रभावित हुए और अब गर्व से कहने भी लगे है कि हमारी छोरिया भी छोरो से कुछ कम नही है…!
ऐसा ही कुछ अभूतपूर्व नजारा देखने को मिला समीपस्थ गाँव धौतरखेड़ा मे जहां कन्या जन्म के बाद अपनी बेटियों को लेकर घर में लौटे युवा माता-पिता का अतिभव्य स्वागत किया गया.स्वागत भी ऐसा की जिसे लोग बरसो तक याद रखे. ओवी और भावी के धौतरखेड़ा आगमन ने पूरे गाँव को ही किसी भव्य स्वागत समारोह में तब्दील कर दिया गया था.हम बात कर रहे है गाँव के मूल निवासी और युवा अश्विन नरेंद्र पटारे और उनकी पत्नी जयश्री की जिन्हें परमात्मा ने सात वर्षों बाद एक नही बल्कि दो कन्याओं के साथ नवाजा है. ईश्वर की असीम अनुकंपा से अश्विन और जयश्री की गोद मे एक साथ दो सुकोमल फूल खिले , जिन्हें देख पटारे दंपति भी खिलखिला उठे.
चार माह तक ओवी और भावी का अति सुरक्षित पालन पोषण पूर्ण होने के बाद मौका था अपने गृहनगर धौतरखेड़ा आगमन का और परिजनों को प्रतीक्षा थी कि वो इनका कुछ इस प्रकार स्वागत करें जो हर किसी की आंखों में बस जाए. जुड़वा गुड़ियों के लिए पूरे घर की शानदार-जानदार साज सज्जा की गई थी.आकर्षक रोशनाई की व्यवस्था का इंतजाम उपस्थितों को प्रसन्नचित कर दे रहा था.शुद्ध पारंपरिक ग्रामीण महाराष्ट्र शैली की रंगोली से पूरे घर के प्रांगण को सजाया गया था.धीमी आवाज में मधुर संगीत कानो में खुशियों के आने के संकेत दे रहा था.
संभवत पूरे महाराष्ट्र में यह पहला मौका होंगा जब 1जनवरी, नये वर्ष के पहले दिन जुड़वा कन्या के साथ घर पधारे किसी नव नवेले माता-पिता का इस प्रकार अभिनव सत्कार किया गया हो. लोग नये वर्ष की खुशियां होटलों में बड़ी-बड़ी पार्टियों के साथ करते है, न्यू ईयर के लिए युवाओं की भीड़ नशे में धुत्त होकर हँगामेबाजी करती रहती है, लेकिन जुड़वा कन्या की प्राप्ति पर पटारे परिवार ने जो आतिशबाजी की और घर मे लक्ष्मी रूपी ओवी-भावी का नववर्ष पर जो स्वागतमय पूजन हुआ , उसे प्रेरणादायक ही कहा जा सकता है.लोग सिर्फ दीपावली पर ही सिर्फ लक्ष्मी पूजन करते है, लेकिन धौतरखेड़ा में 2021 की पहली तारीख को स्वयं लक्ष्मीनारायण ( अश्विन-जयश्री ) और ओवी-भावी के आगमन प्रीत्यर्थ का आत्मीय पूजन युवा पीढ़ी को एक संदेश देकर गया है.
अवसरवादी कथित उपदेशक स्त्री-पुरुष समानता पर बड़ी-बड़ी डींगें हांकते रहते है.ढोंगी नेता अक्सर नारी सशक्तिकरण की बाते कर लोगो को बरगलाते रहते, लेकिन आज भी पुत्रजन्म पर अलग प्रकार से और पुत्री होने पर किसी ओर तरह से खुशियां प्रकट की जाती है.यदि पुत्र हुआ तो लोगो मे पेड़े बांटे जाते और पुत्री ने जन्म लिया तो जलेबी से मुहं मीठा किया जाता है.अश्विन पटारे ने कुंचित विचारधाराओं के ऐसे कथित स्त्री समर्थकों के मुहं पर करारा तमाचा जड़ा है, जो कहते कुछ है और करते कुछ है.अश्विन और जयश्री दोनों भी सावित्रीबाई फुले -जिजाऊ के उपदेशों से और इन्ही के आदर्शों से खासे प्रभावित है. वो बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ की बात करते है.अश्विन पटारे स्वयं सामाजिक कार्यो में भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते है.कोरोना काल मे मुख्यमंत्री कोष में मदत देने की बात हो या फिर किसी जरूरतमंद की सहायता करना हो.अश्विन इसके लिए सदैव तत्पर रहते है. बहरहाल ओवी-भावी का आत्मीय पूजन ह्र्दयपटल पर छाप छोड़ गया.ओवी यानी आरती, ईश्वर की आरती और भावी यानी भावनाओ की अभिव्यक्ति. दोनों के मंगलमय भविष्य की कामना कर रहे है शुभचिंतक लोग.फूलों की तरह महकती -मुस्कुराती है बेटियां, एक अहसास की तरह दिल मे बस जाती है बेटियां